“लेखनी की ताकत”

होगी बेशुमार दौलत
आपके पास
पर हमारे पास गजब का हुनर है
देर से ही सही पर इंसान
समझ जाते हैं
किसी दूसरे पर आश्रित ना होकर
खुद कमाते हैं और खुद खाते हैं
जिस कुर्सी पर आज तुम
जमकर बैठे हो साहब !
उस कुर्सी को हमने ठुकराया है
बिना रिश्वत की है हमारी रोजी- रोटी
रिश्वत की रोटी को हमने ठुकराया है
अपनी आवाज की दम पर हम
लाखों दिलों में घर करते हैं
लेखनी की ताकत” से
रोज कितनों की तकदीर लिखते हैं
अपने मोहब्बत की सलामती
हम अपनी दम पर रखते हैं…

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

Responses

  1. होगी बेशुमार दौलत
    आपके पास
    पर हमारे पास गजब का हुनर है
    देर से ही सही पर इंसान
    समझ जाते हैं
    Jay ram jee ki

+

New Report

Close