वक्ता हूँ
कभी-कभी सोंचती हूँ कि
दूसरों को जो राय देती हूँ
क्या उसे मैं स्वयं अपनाती हूँ !
क्या मैं अपने अन्दर की गन्दगी मिटा पाती हूँ ?
जवाब आता है नहीं
मैं तो सिर्फ भाषण देती रहती हूँ
दूसरों को गलत और अपने आपको
पाक-साफ समझती हूँ
पर क्या करूं मैं तो ऐसी ही हूँ
श्रोता नहीं वक्ता हूँ मैं
अच्छी नहीं बुरी हूँ मैं
पर देती रहती हूँ दूसरों को ज्ञान
और कविता लिखकर हो जाती हूँ महान !!
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rj veera - October 24, 2020, 11:50 pm
वाह प्रज्ञा बहुत खूब लिखती हो अपने आप को तुच्छ बताते हुए कथनी को करनी में बदलने की बात बहुत सुंदर है
Pragya Shukla - October 25, 2020, 5:53 pm
धन्यवाद
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 25, 2020, 10:43 am
अतिसुंदर
Pragya Shukla - October 25, 2020, 5:53 pm
धन्यवाद
Abhishek kumar - October 25, 2020, 12:07 pm
लाजवाब रचना बेहद खूबसूरत पंक्तियां
Pragya Shukla - October 25, 2020, 5:53 pm
धन्यवाद
Deepak Mishra - October 25, 2020, 12:25 pm
अति सुंदर सराहनीय रचना
Pragya Shukla - October 25, 2020, 5:53 pm
धन्यवाद
Anu Singla - October 25, 2020, 12:36 pm
NICE
Pragya Shukla - October 25, 2020, 5:54 pm
Thanks
Reetu Honey - October 25, 2020, 5:33 pm
बहुत खूब
Pragya Shukla - October 26, 2020, 10:24 am
धन्यवाद
Satish Pandey - October 25, 2020, 6:29 pm
बहुत खूब
Pragya Shukla - October 26, 2020, 10:24 am
धन्यवाद