Categories: मुक्तक
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देखो फिर आई दीपावली
देखो फिर आई दीपावली, देखो फिर आई दीपावली अन्धकार पर प्रकाश पर्व की दीपावली नयी उमीदों नयी खुशियों की दीपावली हमारी संस्कृति और धरोहर की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दीपावली का अगला दिन
हम अपने घरों का का कोना कोना चमकाते है ताकि अच्छे से मना सके दीपावली का दिन और कितना कूड़ा फैला देते है दीपावली के…
“आखिर दीवाली उनकी भी तो है”
चाइनीज झालर नहीं दीये जलाओ किसी गरीब के घर रोशनी करके दीपावली मनाओ झुग्गी, झोपड़ी वालों के भी अरमान होते हैं किसी एक के घर…
भाव पूर्ण रचना
इसी को कहा गया है सर..
कहीं धूप कहीं छाया
यही है ईश्वर की माया..
अत्यन्त संवेदनशील एवं यथार्थ रचना जिसकी समीक्षा करने में मैं असमर्थ हूँ…😯😯😯
बहुत खूब
Nice