शिक्षा
हम सबकी तरफ से हर-एक अध्यापक-गुरुजन को सादर नमन
हैं पावन दिवस आज, करते हैं हम उनको प्रणाम,
जो ज्ञान की लौ जला कर मन अलौकिक करते रहते।
जन्म दिया माँ–बाप ने और राह दिखलाई हैं सबने,
सबके आशीर्वाद से ही हम हैं आगे बढ़ते रहते॥
जिन्दा रहने का असल अंदाज सिखलाया इन्होने।
ज़िन्दगी हैं ज़िन्दगी के बाद बतलाया इन्होने।
खुद तो तप की अग्नि में जल कर हैं बनते रहते कोयला,
पर जहाँ को कोहिनूर मिला सदा इनकी खानों से ॥
हमने तो माँगा था फल पर दी सदा इन्होंने ‘गुठली’,
अपमान सा हमको लगा पर हो अंकुरित ‘कल्प’ निकली।
उसी वृक्ष की छांव में हम नित्य बनाते बसेरे,
पर उसे ही भूल जाते जो जड़ो में हैं समेटे॥
जन्म दिया माँ बाप ……….
हैं पावन दिवस……….
आज जब देखा खुद को ज्ञान की गलियों में “अंकित”।
विचित्र सी तबीयत खिली पर ख्वाब दिल में पनपे शंकित।
शिक्षा जो पानी की भांति होनी थी सब के लिए पर,
आवश्यक तत्व होने पर भी प्रतिरूप पानी बनाना काल्पनिक॥
शिक्षा बनी व्यापार केंद्र, इसे बेचने सब आपाधाप निकले।
औरो से क्या अरमां रखे जब सरकारी सब के बाप निकले।
आश है, विश्वास हैं, अब आकुल सुंदर-सौरभित सुरभि पर,
तम में ज्ञान-दीप जला कर कमनीय-कीर्ति गौरव गिरिवर निकले॥
जन्म दिया माँ बाप ……….
हैं पवन दिवस……….
सस्वर पाठ:
तो हैं नमन उनको की जो यशकाय को अमृत्व दे कर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं।
तो हैं नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर रह कर भी आसमानी हो गए हैं।
Good and respectful lines
shukriya
Nice poem sir
don’t call me sir,, otherwise kuch jyada hi sir pe baith jaata hu m… :p
And dhanyabaad…
towards prfction…
Naaa bhaaaya…… Perfection to katai naa as skta.., fir bhi shukriya
great yaar!
वाह बहुत सुंदर
जबरदस्त
अतिसुन्दर
Bahut khoob