संसार और मैं
जग सारा सोता है जब तब मैं जागता रहता हूँ,
तेरी यादों में अश्कों से दर्द बांटता रहता हूँ,
तेरी रूह की साये से मैं दूर भागता रहता हूँ,
खुद से खुद की तस्वीर छाटता रहता हूँ ,
बस रात यूँ ही कट जाती है और दिन मुझको दौड़ाता है ,
दिन में भी तुझको पाने के दिवा-स्वप्न ताकता रहता हूँ,
जग सारा सोता है जब तब मैं जगता रहता हूँ,……….
मैं जगता रहता हूँ,……ता-उम्र यही चलता रहता है …….बहुत खूब….उशेष भाई !!
धन्यवाद भैय्या
बहुत खूब 🙂
Dhanyabad
क्या बात है
Good
Nice