स्लो जनरेशन का अज्ञानी
इन घड़ी वालों के पास वक़्त कहाँ है
इनकी बातों में वो बात अब कहाँ है
जिंदगी आसान करने के फंडे ढूंढते ढूंढते
छप्पर तो अभी भी है, उठवाने वाले हाथ कहाँ है।
इस अंधी दौड़ में, पर्दे में है सबकी आंखे
किसी छप्पर फटने के इंतजार में सबकी बाहें
दूरी कम करने में कमर कस के लगे है मगर
पास रहने वालों के भी पास आते कहाँ है।
जन्मदिन याद रखने को ‘कलैंडर’ ढूंढते है
लोरी अब बच्चे ‘मोबाइल’ पर सुनते है
जमाना बदल गया साहब फिक्र मत करिए
दोस्ती के लिए ‘राइट स्वाइप’ है ‘राइट चॉइस’ कहाँ है।
पिछली ‘जनरेशन’ ‘स्लो’ थी,अब ‘लवली ग्लो’ है
बताया था याद नही रहा, प्यार कितने रुपये किलो है
‘फिगर कॉन्शियस’ माएँ अब दूध डब्बे का लाती है
बच्चों की गर्लफ्रेंड रूठी है ‘कॉकटेल’ में, बचपन कहाँ है।
खैर अच्छा हुआ मैं बूढ़ा हो लिया जल्दी
अनसुना करो, इन बातों में अब कोई ज्ञान कहाँ है।
बहुत ही सुन्दर भाव में प्रस्तुत किया है आपने।
शुक्रिया
उत्तम प्रस्तुति
🙏🙏
वाह बहुत खूब
आभार
अति उत्तम प्रस्तुति
धन्यवाद
सुन्दर भाव
धन्यवाद जी