हाल -ए- दिल
हम अपना हाल -ए- दिल आपसे कहते रहे
कभी बच्चा तो कभी मासूम आप हमें कहते रहे
आज तक कोई सबक पढा न जिंदगी में हमने
ताउम्र हम आपकी आखों जाने क्या पढते रहे
इक अरसा बीत गया हम मिले नहीं आपसे
तुझसे मुलाकात के इंतजार में हम तनहा मरते रहे
न हुई सुबह न कभी रात इस दिल ए शहर में
कितने ही सूरज उगे कितने ही ढलते रहे
अनजान राहों में चलते रहे मंजिल की तलाश में
चलना ही मुसाफिर का नसीब है सो हम चलते रहे
Behatarin bhai….. Badhai aapki
thanks friend
nice
Thanks
gud one!
thanks
Good
Bahut khoob