गुरु का स्थान

सर्वप्रथम गुरु का स्थान।
तत्पश्चात पूज्य हैं भगवान।

प्राचीन काल से ही,
गुरुओं ने दिए संस्कार।
किताबी ज्ञान के साथ,
सांसारिक नीति व्यवहार।
धर्म-अधर्म का ज्ञान दिया,
बना जीवन का आधार।
असंभव गुरुओं के बिना,
समृद्ध राष्ट्र का निर्माण।
सर्वप्रथम गुरु का स्थान।
तत्पश्चात पूज्य हैं भगवान।

अबोध कच्चे मिट्टी को,
ज्ञान के जल से मिलाकर।
सुनिश्चित आकर देते,
शिक्षा के चाक में घुमाकर।
सुदृढ़ता प्रदान करते,
अनुशासन के ताप में पकाकर।
अंधकार से प्रकाश तक,
गुरुओं की महिमा महान।
सर्वप्रथम गुरु का स्थान।
तत्पश्चात पूज्य हैं भगवान।

शिक्षकों के प्रयास से बनते,
चिकित्सक या अभियंता।
वैज्ञानिक, खगोल विज्ञानी,
या वक्ता, अभिवक्ता।
चित्रकार या पत्रकार,
या फिर नेता, अभिनेता।
प्रतिष्ठित प्रत्येक व्यक्ति का,
शिक्षक ही करते निर्माण।
समाज के विभिन्न क्षेत्रों में,
वे देेते महत्वपूर्ण योगदान।
सर्वप्रथम गुरु का स्थान।
तत्पश्चात पूज्य हैं भगवान।

देवेश साखरे ‘देव’

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

शिक्षा ग्रहण करो, संत ज्ञानेश्वर भीमराव बनो

शिक्षा ग्रहण करो,संत ज्ञानेश्वर भीमराव बनों —————————————————- यदि मन में अभिलाषा है किसी विशेष कार्य, वस्तु ,लक्ष्य, पद प्रतिष्ठा के लिए और धरातल पर कोई…

Responses

+

New Report

Close