नन्हें सुमन हैं
“बाल श्रम निषेध दिवस”
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नन्हे सुमन हैं इनसे
क्यों करवाते हो मजदूरी
पढ़ने दो स्कूल में इनको
ना करवाओ अब मजदूरी
खिलेगे नन्हे पुष्प तो
भारत का नक्शा बदलेगा
इनके आगे बढ़ जाने से
इनका भविष्य संभलेगा
ये कोमल टेसू हैं
मुरझा जायेगे झट से
फिर कैसे होगे परिपक्व
सुमन ये हँसते हँसते??
अतिसुंदर भाव
tq
बहुत ही उच्चस्तरीय बात कही है आप अपनी छोटी सी कविता में।आपकी कविता तारीफ़ ए क़ाबिल है।
धन्यवाद