माता – पिता
पिता बरगद का साया है,
मां ममता की छाया है।
जीवन में दोनो ही का,
स्नेह मैंने पाया है।
एक भी ना हो जीवन में,
वो जीवन किसको भाया है।
जहां मां का दिल कोमल सा,
बोली मीठी है , कोयल सी।
नारियल सा पिता दिखता,
हमेशा सख्त ही कहता है।
पर भीतर से नर्म है वो,
सारे दुख खुद ही सहता है।
किसी के भी जीवन में,
ज़रूरी है दोनों का साथ,
बना रहे मां का आंचल भी,
बना रहे पिता का सिर पर हाथ।
बेहद संजीदा रचना
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
अतीव सुन्दर, बोधगम्य, सरल और सुन्दर शब्दों में माता-पिता के स्नेहमयी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है। बहुत ही सुंदर लिख रही हैं, आप, वाह
बहुत बहुत आभार,
आपकी प्रेरणादायक समीक्षा बहुत ही उत्साहवर्धन करती है।
आपका हार्दिक धन्यवाद 🙏
माता- पिता के निस्वार्थ प्रेम की भावनाओं को प्रकट करती हुई बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत बहुत शुक्रिया,आभार🙏
Bahut Khoob, Bahut Sundar
बहुत शुक्रिया इन्दु जी🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद आपका🙏
अतिसुंदर भाव
अतिसुंदर उपमा अलंकार से अलंकृत काव्य
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
उम्दा प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह, उम्दा लेखन
Thanks Allot Piyush ji 🙏