2021

उठती रहेगी
इक लहर
सागर से निरंतर
जो समाहित कर लेगी
हर पीड़ा
जो दी बीते वर्ष ने
हर बार होगी
इक नईं हिलोर
जो देगी हौंसला
सतत् नवीन
जीवन जीने की
नववर्ष में।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

New Report

Close