4 liner#3
कर के दरकिनार फासलों को तू बढ़ता जा
तू चढ़ता जा सीढियां वो तमाम
जो हर पल गोल घूम जातीं हैं सताती हैं पर
बताती हैं कि बढ़ना ही जिंदगी है चढ़ना ही जिंदगी है
कर के दरकिनार फासलों को तू बढ़ता जा
तू चढ़ता जा सीढियां वो तमाम
जो हर पल गोल घूम जातीं हैं सताती हैं पर
बताती हैं कि बढ़ना ही जिंदगी है चढ़ना ही जिंदगी है
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बहत खूब!
पन्ना भाई बड़ा वाला 🙂
sach kahe…dil ko choo gayi aapki char lines
big tnx
chadte chadte pata nahi kis unchai pe le jaaegi jindagi
kya pata choti pe paunch ke bas tanhaai mile
umdaa
short but with deep meaning…elegant poetry
tnx
Good
वाह