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Tags: ज़िन्दगी पर कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मुझे नही पता,
मुझे नही पता की फुल के तरह खिलुगाँ, भवरे आयेगे नोच– नोच-खायेगे, मेरी कोमल तन को पत्थर की चोट से घायाल करके मेरे बदन को…
नज़र ..
प्रेम होता दिलों से है फंसती नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
****सोचना भी मत में कमजोर नहीं**
****सोचना भी मत में कमजोर नहीं **** मुझे अपना पसंद का चिकन ब्रियनि खाने की तरह सोच कर खाने की सोचना मत भी मत मेरे करीब…
Good
Nice
सुन्दर अभिव्यक्ति