नया साल
नई उमंग होगी, नए तरंग होंगे नया सौगात होगा इस नया साल में। । गम के बिना खुशी मिले। रूदन के जगह हँसी मिले।। आप…
नई उमंग होगी, नए तरंग होंगे नया सौगात होगा इस नया साल में। । गम के बिना खुशी मिले। रूदन के जगह हँसी मिले।। आप…
देख देख यारा मेरा टीन एज खतम हो गया। साल बीसा मैं बनके सबसे बीस बन गया।।
तुम अपने दिल की प्यास बना ले। अलविदा कहने से पहले इतिहास बना ले । जा रहा हूँ मैं कहके ऐ मेरे दोस्त आने वाले…
जो ठहर जाए वो हवा नहीं होती, दुनिया में हर मर्ज की दवा नहीं होती । विनयचंद खुद सम्हाल अपने दिल को , क्योंकि यहाँ…
उनैस बीस केॅ फेर सॅ निकलू दुर्भाव घैल केॅ फोड़ू। आबि रहल अछि बीस बीस दिल केर नाता जोड़ू।। घैल-घड़ा फेर-चक्कर
निश्चित छोड़ अनिश्चित को धावे । मुट्ठी से निश्चित खोवे अनिश्चित हाथ न आवे । “विनयचंद “धैर्य बिना क्या पावे?
आनन्दपुर छूट गया हमें इसका तनिक मलाल नहीं। इस गम को कैसे झेललेंगे ,दो वीरा अपने नाल नहीं।। दूर गया नहीं हमसे , तेरा वीरा…
अखण्ड भारत देश हमर। कश्मीर धरा पर स्वर्ग जेकर।।
वो तख्त कहाँ वो ताज कहाँ वो कलगीधर सा शाह कहाँ। हे दशमपिता हे गुरु गोविन्द तेरे बिन मुझे कुछ चाह कहाँ।। ,,,,,,,,कोटि कोटि प्रणाम,,,,,,,,,
ये एहसास भी क्या चीज है? असत्य को सत्य में तुरन्त बदल देती है , ये एहसास। मन में आस्था जगे तो दिल में भगवान…
धोर अंधेरा शीत लहर संग बादल नभ से किनमिन है। घेर लिया मुगलों ने हमको बचना अब नामुमकिन है।। परवाह नहीं वो हजारों में पर…
धर्म बचाने के खातिर अपना सर्वस्व बलिदान दिया। हुए पिता कुर्बान थे उनके पुत्रों ने भी बलिदान दिया।। कटा दिए सिर एक एक कर पर…
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे? सुना के कहानी बाल वीरों की सब को हम रुला देंगे। रात अंधेरी थी घनघोर नभ में…
ये पूस का महिना कैसे हम भूला देंगे? सुना के कहानी बाल वीरों की सब को हम रुला देंगे। रात अंधेरी थी घनघोर नभ में…
कविताएँ नई होती हैं, पर भाव पुराने होते हैं। गैम्बलर बदल जाते हैं, पर दाव पुराने होते हैं।। कितना भी लेबुल बदलते रहो पर शराब…
अहॅक नामे हम बचपन जवानी लिख देव। सोझा बैसू हम अप्पन कहानी लिख देव।।
क्यों छोटी -छोटी बातों को बड़ा बनाते हो? भोली-भाली जनताओं से बगावत कराते हो।। क्या कभी जनताओं को सत्य से रुबरू कराते हो? कोड़े कागज…
आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात को ? झकझोर रहा है मेरे दिल की जज़्बात को । आखिर क्या कहूँ इस पूस की रात…
बहुत याद आएगा मुझे मेरा गाँव। पनघट पे हलचल पीपल की छाँव।। भोली -सी सूरत, मंदिर की मूरत, टनकती वो घंटियाँ निर्मल मुहूरत, खेतों में…
मुहब्बत जता के इनकार नहीं किया जाता। जमाने को बता के प्यार नहीं किया जाता।।
अंधेरों में इतना कहाँ जोर है । आ रहा है सूरज हुआ भोर है।।
“एक मालिक सभी का “कहने वाले। सुन साईंं मेरे शिरडी वाले ।। राम को पूजा कृष्ण को पूजा। अल्ला ईसा देव नहीं दूजा।। एक मस्जिद…
किएक नें हमरा गुमान हेतय हमसब भारतवासी छी। देशक सुरक्षा में जान जेतय हमसब भारतवासी छी। कलम सॅ लिखय छी बन्दूको उठायब। देशक दुश्मन पर…
तुम मेरे पास रहो या रहो मुझसे दूर। मेरा प्यार कम न होगा करुँगा भरपूर।।
ऐ बेदर्द सर्दी ! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं। कहीं मंद शीतल हवाएँ । कहीं शबनम की ऱवाएँ ।। दिन को रात किया कोहरे का…
व्याकुल धरती बुला रही है फिर से झाँसी की रानी को। बहुत हुआ अब नहीं सहेंगे शैतानों की मनमानी को।। गली गली में गुंडे बैठे…
एक हाथ में ध्वजा तिरंगा, काँधे पर बन्दूक हैं। भारत माँ का वीर सिपाही, लक्ष्य बड़ा अचूक है।। कदम चाल में चलते हमसब, भारत माँ…
तुम्हारे होंठों की सरगम बिन मेरे गीत अधूरे हैं। मेरी नजरों से रहते दूर तुम मेरे प्रीत अधूरे हैं। तुम्हें खोकर सारी दुनिया जीतूँ मेरे…
हे लक्ष्मी तुम कितनी चंचला हो? खुद भी नहीं ठहरती एक जगह पर और औरों को भी भटकाती। घर से दफ्तर जाकर भी भटके भर…
तशरीफ़ कैसे रखे अभी फ़रमान बाँकी हैं। हाले दिल क्या कहे अभी पहचान बाँकी है।।
मैं अपराधी की माँ बनकर जिन्दा रहूंगी आखिर कबतक? किस मनहूस घड़ी में जन्म दिया जो झेल रही हूँ तुमको अबतक।। किया कलंकित दूध को…
देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा। अपने हीं तो आँचल खींचे अपने खड़े हैं शीश झुकाए। बने गुलाम धर्मवीर सब अंधा राजा…
जब भी तेरा नाम लेकर तुझको कोई बुलाएगा। मेरा चेहरा तेरे मन के परदे पर नजर आएगा।।
आओ मनाएँ गणपति गणेश को। गौड़ी नन्दन पुत्र महेश को।। लम्बोदर गजवदन विनायक। प्रथम पूज्य सब देव सहायक।। करुणाकर करुणेश को, आओ मनाएँ……।। सिद्धि बुद्धि…
एड्स दिवस बनाने वाले काश! संयम दिवस भी बनाया होता। बह्मचर्य का पालन करके समय से पहले ना कोई जान गवाया होता।।
तेरी गिलाओं का बदला मेरा प्यार होगा। तू हीं मेरा पिछला और तू हीं अगला मेरा प्यार होगा।।
क्यों प्यार किया ये मत पूछो। अपनी आकुलता का कैसे इजहार किया ये मत पूछो।।
मुहब्बत की दुनिया में कदम जो रखेगा। मुश्किलों से हीं दामन उसका भड़ेगा।।
माँ भवानी केॅ दर्शन करय लय चलू। बेरंग जिनगी केॅ रंग सॅ भरय लय चलू।। माँ भवानी…. माँ भवानी……. लाल चोला आ चुनरी सेहो छै…
जब दुःशासन खींच रहा था, द्रुपद सुता की साड़ी। शीश झुकाए सब पांडव थे विलख रही थी नारी।। विलख रही थी नारी धर्म धुरंधर भी…
ब्रह्ममुहुर्त में जगना सीखो दिन करो जो मेहनत। निशा काल आराम करो तो श्रेष्ठ रहेगी तेरी किस्मत।।
अमृत बेले बिस्तर छोड़ो दिन में करो न आलिस। देर रात न जागो तो बन जाओगे खालिस।।
मैंने तो तुझे रहमदिल समझा था पर तुम तो बड़े बेरहम निकले। सिर्फ़ जख्म दिखाने मैं आया था पर तेरे कुचे से घायल हम निकले।।
अगर आग घर में लगाए कोई पानी से उसको बुझा देंगे हम। लगाए जो जीवन में आके कोई इन अश्कों से कैसे बुझाएगे हम।।
टूटे प्रेम अनादर से मिला सके न अल्लाह। मोती टूटे ना जुड़े कित लेपन कर लाह।।
बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख। कृष्ण सुदामा की कथा देती है यह सीख।।
बिना पंख की बेटी होती फिर भी कहते परी मेरी। बेटा दूर नजर से हो फिर भी कहते छड़ी मेरी।।
पिता नहीं कोई राजा बेटा राजकुमार हीं होता। दुर्लभ दर्शन मिले जहाँ ऐसा एक प्यार हीं होता।।
विनयचंद रे कर सदा, नारी का सम्मान। पूजित होते ये जहाँ, रमते तहँ भगवान।।
पुराण अठारह लिख गए, वेदव्यास भगवान। परोपकार बड़ पुन्य है, परपीड़ा पाप महान।।
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