आंखों का नूर
आंखों का नूर हैं ये आंसू
नूर की बूंदें यूं ना बहाया करो,
किसी अपने पे तरस तो खाया करो।
कहीं कोई परेशां सा हो जाता है ,
कुछ तो दोस्ती का फ़र्ज़ निभाया करो ।
आंखों का नूर हैं ये आंसू
नूर की बूंदें यूं ना बहाया करो,
किसी अपने पे तरस तो खाया करो।
कहीं कोई परेशां सा हो जाता है ,
कुछ तो दोस्ती का फ़र्ज़ निभाया करो ।
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Thank you master ji
बहुत सुन्दर रचना
शुक्रिया प्रज्ञा जी
वाह, बहुत ही लाजबाब अभिव्यक्ति। स्नेहमयी भाव
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सतीश जी 🙏
अंदाज़ काफी लाजवाब है।
Thank you very much sir.
सुंदर
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत ही सुंदर
बहुत धन्यवाद आपका ईशा जी🙏
अतिसुन्दर
Thank you Piyush ji
very nice lines
बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
बहुत खूब
शुक्रिया कमला जी 🙏
लाजवाब
Thanks for your pricious complement 🙏
Thanks bro