आशियाना

आशियाना ढूँढ रही हूँ
इस प्रकृति के संसार में ।
कहीं तो होगा मेरा आशियाना
इस हरे भरे संसार में ।।
बरसात से दोस्ती कर ली
धूप से जोड़ा नया रिश्ता ।
जब ठंड में सकुरा बदन
तब सुर्य बनता है हमारा फरिश्ता।।

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