चुन नई राहें पथिक
कवि कलम कहती है मत रह
तू निराशा में पथिक,
भूल जा बीती सभी कुछ
चुन नई राहें पथिक।
याद मत कर दर्द को
या दर्द की उस बात को तू,
भूल जा बच्चा सा बन जा
कर नई शुरुआत तू।
जिन्दगी है, हर तरह के
लोग होते हैं यहाँ,
कोई लुटाते नेह कोई
ठेस देते हैं यहाँ।
ध्यान रख ले वक्त भी
रहता नहीं है एक सा,
क्या पता राहों में कब
मिल जाये साथी नेक सा।
इसलिये तू मत समझ
खुद को अकेला, ओ पथिक,
आज दुख है तो तुझे कल
सुख मिलेगा, ओ पथिक।
ज़िन्दगी है,हर तरह के लोग होते हैं यहां
कोई लुटाते नेह, कोई ठेस देते हैं यहां ….
….. वाह, बहुत सुंदर पंक्तियां है सर…..
As usual beautifully written satish ji…. लेखनी को प्रणाम
बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी, भावों को समझने और इतनी सुन्दर समीक्षा करने हेतु हार्दिक आभार। आपकी समीक्षा शक्ति अदभुत है। सादर अभिवादन।
Nice
Thank you pragya ji
बहुत ही जबरदस्त
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया कविता
धन्यवाद जी
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद जी