ज़िन्दगी रंगीन हो जाता
कर गुज़रता कुछ तो, ज़िन्दगी रंगीन हो जाता।
जो किया ही नहीं, वो भी ज़ुर्म संगीन हो जाता।
मैं क्या हूँ, ये मैं जानता हूँ, मेरा ख़ुदा जानता है,
आग पर चल जाता तो, क्या यकीन हो जाता।
कुसूर बस इतना था, मैंने भला चाहा उसका,
काश ज़माने की तरह, मैं भी ज़हीन हो जाता।
तोहमतें मुझ पर सभी ने, लाख लगाई लेकिन,
ज़माने की सुनता गर मैं, तो गमगीन हो जाता।
नशे में जहाँ है, मैं भी गुज़रा हूँ, उन गलियों से,
सम्भल गया वरना, ‘देव’ भी शौकीन हो जाता।
देवेश साखरे ‘देव’
ज़हीन- intelligent,
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Pragya Shukla - December 16, 2019, 3:46 pm
Good
देवेश साखरे 'देव' - December 16, 2019, 3:51 pm
Thanks
Abhishek kumar - December 16, 2019, 5:26 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - December 16, 2019, 6:09 pm
Thanks
Abhishek kumar - December 16, 2019, 9:33 pm
Welcome
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - December 16, 2019, 7:46 pm
अतिसुंदर
देवेश साखरे 'देव' - December 17, 2019, 3:27 pm
आभार आपका
Amod Kumar Ray - December 16, 2019, 9:17 pm
सुन्दर
देवेश साखरे 'देव' - December 17, 2019, 3:27 pm
धन्यवाद
Amod Kumar Ray - December 17, 2019, 9:43 am
Nice
देवेश साखरे 'देव' - December 17, 2019, 3:27 pm
Thanks
Anil Mishra Prahari - December 19, 2019, 11:00 am
बहुत खूब।
देवेश साखरे 'देव' - December 19, 2019, 12:01 pm
शुक्रिया
Kanchan Dwivedi - March 7, 2020, 1:44 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - June 10, 2020, 4:29 pm
Thanks
Satish Pandey - July 13, 2020, 10:24 am
वाह