देश के इसी हालात पर रोना है

देश के इसी हालात पर तो रोना है,
69 साल हो गए आजादी के
फिर भी आँखें भिगोना है,
रो रहा कोई रोटी को
और किसी के पास सोना-ही-सोना है,
देश के इसी हालात पर तो रोना है।

भारत के वीर सपूतों ने आज़ादी के लिए
दिए थे अपने प्राण,
पर आज लग रहा है
व्यर्थ चला गया उनका बलिदान,
आज देश में
चारो ओर फैला है भ्रष्टाचार,
लोग भूल गए हैं
अपनी सभ्यता-संस्कृति और संस्कार,
बापू ने कहा था
हिंसा छोड़,अहिंसा के बीज बोना है,
हम भूल गए उनकी बात
और सोचा, देखेंगे जो भी होना है,
देश के इसी हालात पर तो रोना है।

चंद्रशेखर आजाद ने स्वयं को गोली मार
दिलाई हमें स्वतंत्रता,
पर आज स्वतंत्रता दिवस मनाना
रह गयी महज एक औपचारिकता,
आज़ादी के दिन हम
फहराते हैं अपना तिरंगा प्यारा,
पर कितना प्यार है हमें तिरंगे से
ये बताता है कर्म हमारा,
नहीं जानते हम महिला स्वतंत्रता सेनानियों के नाम
और सोचते हैं,उनसे हमें क्या लेना है,
पर इतना जरूर जानते हम
किस फ़िल्म में आलिया और किसमें कैटरीना है,
देश के इसी हालात पर तो रोना है।

नेताजी सुभाषचंद्रबोस ने हमारे लिए
लड़ा था स्वतंत्रता संग्राम,
पर आज के नेताओं ने तो
नेता शब्द को ही कर दिया है बदनाम,
नेताओं ने काफी ठेस पहुंचाई है
इस देश की गरिमा और आन को,
तभी तो नेता बनने में हिचक होती है
एक अच्छे इंसान को,
नेताओं ने यह ठान लिया है
देश की संपत्ति को जितना हो सके
ढोना है,
देश के इसी हालात पर तो रोना है।

अब हमें ही अपने देश के लिए
पड़ेगा कुछ करना
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ
हमें ही पड़ेगा लड़ना,
ऐसा तभी संभव है
जब बदल जाएँ लोगों के विचार,
लोगों को रखनी होगी सहयोग भावना
भूलकर अपनी जीत और हार,
आज़ाद हो गए हम
पर हमारी सोच को अभी भी
आज़ाद होना है,
देश के इसी हालात पर तो रोना है।
देश के इसी हालात पर तो रोना है।

©विनायक शर्मा

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