पहचान क्यों अलग सी है..
जय हिन्द साथियो
पहचान क्यों अलग सी है सारे जहान में
सब सोचते ऐसा है क्या हिन्दोस्तान में
है सभ्यता की मूल ये हिन्दोस्तां मेरा
कितनी मिठास मिलती हमारी ज़ुबान में
हर रूप में हैं पूजते नारी को हम यहाँ
तुमको खुदा मिलेंगे हमारे ईमान में
ख़ुश्बू उड़े हवा में सुबह शाम पाक सी
गीता सुनाई देती यहाँ पर क़ुरान में
यूँ लाँघना कठिन है फ़सीलों को भी यहाँ
बारूद भर दिया है यहाँ हर जवान में
है केसरी सफेद हरे रंग से बना
ऊँचा रहे तिरंगा सदा आसमान में
बस खुशनसीब लिपटें तिरंगे में ‘आरज़ू’
कर जाते नाम भी अमर दोनों जहान में
जय हिंद
जय जवान,जय किसान,जय विज्ञान
Arjun Gupta (Aarzoo)
शानदार
शुक्रिया हुज़ूर
Nice Poetry Lines
Nice
Thanx a loy
bahut sundar
हार्दिक आभार अभिनंदन
Atisunder
शुक्रिया हुज़ूर
Wa
बहुत खूब
जी शुक्रिया
आप बहुत ही अच्छा लगते हो परंतु आपकी कविताओं का इंतजार अधिक समय तक करना पड़ता है
जी जल्दी आने की पूरी कोशिश रहेगी
आप सभी का दिल से शुक्रिया।
बहुत मशकूर हूँ आपकी मुहब्बत के लिए