पहचान क्यों अलग सी है..
जय हिन्द साथियो
पहचान क्यों अलग सी है सारे जहान में
सब सोचते ऐसा है क्या हिन्दोस्तान में
है सभ्यता की मूल ये हिन्दोस्तां मेरा
कितनी मिठास मिलती हमारी ज़ुबान में
हर रूप में हैं पूजते नारी को हम यहाँ
तुमको खुदा मिलेंगे हमारे ईमान में
ख़ुश्बू उड़े हवा में सुबह शाम पाक सी
गीता सुनाई देती यहाँ पर क़ुरान में
यूँ लाँघना कठिन है फ़सीलों को भी यहाँ
बारूद भर दिया है यहाँ हर जवान में
है केसरी सफेद हरे रंग से बना
ऊँचा रहे तिरंगा सदा आसमान में
बस खुशनसीब लिपटें तिरंगे में ‘आरज़ू’
कर जाते नाम भी अमर दोनों जहान में
जय हिंद
जय जवान,जय किसान,जय विज्ञान
Arjun Gupta (Aarzoo)
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Virendra sen - August 15, 2020, 9:03 am
शानदार
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:53 pm
शुक्रिया हुज़ूर
Prayag Dharmani - August 15, 2020, 10:16 am
Nice Poetry Lines
Vasundra singh - August 15, 2020, 11:15 am
Nice
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:53 pm
Thanx a loy
Suman Kumari - August 15, 2020, 1:08 pm
bahut sundar
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:52 pm
हार्दिक आभार अभिनंदन
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - August 15, 2020, 3:01 pm
Atisunder
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:51 pm
शुक्रिया हुज़ूर
Rajiv Mahali - August 15, 2020, 5:54 pm
Wa
Satish Pandey - August 15, 2020, 8:23 pm
बहुत खूब
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:51 pm
जी शुक्रिया
Pragya Shukla - August 15, 2020, 11:52 pm
आप बहुत ही अच्छा लगते हो परंतु आपकी कविताओं का इंतजार अधिक समय तक करना पड़ता है
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:51 pm
जी जल्दी आने की पूरी कोशिश रहेगी
ARJUN GUPTA (AARZOO) - October 11, 2020, 5:50 pm
आप सभी का दिल से शुक्रिया।
बहुत मशकूर हूँ आपकी मुहब्बत के लिए