पूस की रात
फकीर बन तेरे दर पर आया हूं
एक मुट्ठी इश्क बक्शीश में दे देना
आशिक समझ दर से खाली ना भेजना
अमीर हो तुम चंद सांसे उधार दे देना
किस्मत की लकीरें हैं जुड़ी तुझ संग
ख्वाहिशों से भरी है झोली चंद आरजू दे देना
दुआओं में तुमको ही है मांगा सनम
कुछ चंद लम्हों का एहसास भर दे देना
दिल- ए- मरीज हूं तेरी जुस्तजू का जानां
रहमों करम ना सही इश्क- ए- दर्द दे देना
पूस की रात में सर्द हवाओं के अलाव में
बस एक शाम तुम अपनी उधार दे देना।।
अच्छा
Nice
Nice
Good
Oh
Nice
Nice
सराहनीय