“बाँहों का हार”
दीदार करके उसका
मैं पाक हो गई
मेरी मोहब्बत से
जिन्दगी आबाद हो गई
करता रहा वो
मेरे इजहार का इन्तजार
पर
मैं किसी और की बाँहों का हार हो गई..!!
दीदार करके उसका
मैं पाक हो गई
मेरी मोहब्बत से
जिन्दगी आबाद हो गई
करता रहा वो
मेरे इजहार का इन्तजार
पर
मैं किसी और की बाँहों का हार हो गई..!!
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वाह क्या मुहब्बत है। किसी की बाहों के हार। बहुत ही दिलकश अंदाज है।
प्रज्ञा जी अति सुंदर रचना❤
Thanks
बहुत ख़ूब
Thanksb
Thanksb
Thanks
कवि प्रज्ञा जी की सुन्दर भावों से सजी सुन्दर रचना है यह
Thanks
बहुत खूब
Thanks
सुन्दर
Thanks