Categories: मुक्तक
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रंगमंच
दुनियाॅं के रंगमंच पर, हम सभी आते हैं अपना-अपना किरदार निभाने, किरदार निभाते-निभाते भूल ही जाते हैं.. कि एक दिन इस रंगमंच से, जाना है…
रंगमंच
दुनिया के रंगमंच में कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो कभी किसी का ध्यान आकर्षित नही कर पाते… मगर उनके बिना अधूरी है कहानी की…
आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं पाँव हमेशा जमीं पे टी’काके रखता हूँ ।।
जिंम्मेदारियों का बोझ मैं उठा’के रखता हूँ मेले में बेटे को काँधे पे बिठा’के रखता हूँ ।। आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं…
मुफलिसी जहां की जबान
मुफलिसी जहां की बस मैं जबान रखता हूं | आज हाथ में अपने आसमान रखता हूं | गौर कर जरा बस्ती पे कभी खुदा मेरे…
**ख्वाहिश रखता हूं**
****ख्वाहिश रखता हूं**** ना साथ की ख्वाहिश रखता हूं, ना प्यार की ख्वाहिश रखता हूं, मैं सिर्फ तुम्हारे चेहरे के दीदार की ख्वाहिश रखता हूं…
Nice
👌👌
वाह