राहें
जब राहें कंटकित व वीरान हो,
और कोई ना तेरे साथ हो,
तब तुम व्यथित होना नहीं,
हिम्मत मन की खोना नहीं,
जब होता कोई पास नहीं,
तब होता हैं वो आसपास कहीं,
एहसास करो अपनी श्वासों में,
छू लो उसको अपने ख़्यालों में,
जब जग के नाथ होंगे साथ तेरे,
तब उसके हाथ होंगे सर पर तेरे
फिर सूनी राहें ना डरायेंगी,
पथ से भ्रमित ना कर पाऐंगी।
-अनु सिंगला
सुधार के लिए सुझाव का स्वागत है।
अति उत्तम रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब
बहुत बहुत आभार
बहुत सुंदर
सह्रदय आभार
बहुत ही सुन्दर भाव है।
बहुत आभार
जब राहें कंटकित व वीरान हो,
और कोई ना तेरे…
तब तुम व्यथित होना नहीं,
हिम्मत मन की खोना नहीं,
……….कठिनाइयों में भी उत्साह वर्धन कराती हुई कवि अनु जी की बेहतरीन रचना
बहुत बहुत धन्यावाद गीता जी
सुंदर कला पक्ष