वफा से बे – वफा

माथे पे आज पसीना के बूंद आया है क्यों।
जो कल तक थे हमारे आज अजनबी है क्यों।।
दामन – ए – यार का जब साथ पकड़ा था मैने।
हल्की मुस्कान से हम पर वार किए थे क्यों।।
जन्म जन्म का वादा था साथ निभाने का ।
आज वादे को कबर में दफना के मुस्करा रहे है क्यों।।
गैर के हाथों में है आज उनके नाजुक से हाथ।
वफा के दिलासा दिलाने वाली तू बे-वफा बनी क्यों।।
सोचा था सारी खुशियां तुम्हारे दामन में डाल दूँगा।
ए मेरे खुदा मेरी मुहब्बत में तूने नजर लगायी ही क्यों।।

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