हिन्दुस्तान की ब्यथा
भारत!
अब न भारद्वाज कि
भारत रही
न अकबर की
हिन्दुस्तान
एक कलियुग का
सुदामा
हाथों मे दिया लिए हुए
हिन्दुस्तान
ढूढ़ रहा था
कचरे कि ढेर मे
उसकी उंगलीयाँ
थिरक रही थि
और भारत!
बिलखतेहुए बच्चो को
फुटपाथ पर छोडकर
सर पे कम्प्युटर के
बोझ लिए हुवे
भाग रही थि
चाँद कि तरफ
किसे फिकर है
भारत की
इस सुदामा को?
और यह दीन दुखि:
सुदामा!
हसरत भरि नजरो से
दानीयों को ढूढ़ रहा था
यह दिन कि लाली
इस दीन का कर्मक्षेत्र था
उसके हाथो का कटोरा ही
हिन्दुस्तान की
ब्यथा थी
हरि पौडेल
samvedna se bharpoor kavya
behatreen rachna
nice
touchie…..
Good
Thank you 🙏
Best lines