“ख़ुदकुशी” #2Liner-101

ღღ__न जाने किस कशिश से कब्र ने, पुकारा था आज “साहब”;
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कि ना चाहते हुए भी मुझको, आज ख़ुदकुशी करनी पड़ी!!…‪#‎अक्स‬
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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. इक ‘अक्स’ है जो खुदकुशी करता रहता है …./…..
    और इक हम है जिन्हे कभी मौत आती नहीं!

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