Categories: शेर-ओ-शायरी

Ankit Bhadouria
A CA student by studies, A poet by passion, A teacher by hobby and a guide by nature. Simply I am, what I am !!
:- "AkS"
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
न्याय बीमार पड़ी है, कानून की आँख में पानी है
अत्याचार दिन ब दिन बढ़ रहे हैं भारत की बेटी पर। रो-रो कर चढ़ रही बिचारी एक-एक करके वेदी पर ।। भिलाई से लेकर दिल्ली…
गुनहगार हो गया
सच बोलकर जहाँ में गुनहगार हो गया, लोगों से दूर आज मैं लाचार हो गया। जो चापलूस थे सिपेसालार बन गए, मोहताज़ इक अनाज़ से…
क्या कभी किसी को देखा है ?
क्या कभी किसी को देखा है ? दर्द से छटपटाते हुए। क्या कभी सुना है तुमने किसी को चुप-चाप चिल्लाते हुए। कठिन बड़ा है उस…
nice
thank uuuu
umda!
shukriya Panna ji
इक ‘अक्स’ है जो खुदकुशी करता रहता है …./…..
और इक हम है जिन्हे कभी मौत आती नहीं!
hehehehe…..are ni sahab…hmara khudkushi ka koi irada ni h
or apko b maut ki zarurat ni h abi….warna Shayari ka loss hoga!!
waise b bht log h iss jahan me…jinhe apki zarurat h
शुक्रिया जनाब!
most wlcm
NiCe
thankkk uuu Abushree ji _/\_