कविता : वो एकतरफा प्यार

वो एकतरफा प्यार ,जिसके लिये हुआ दिल बेक़रार
मैं ढूंढता रहा उसे ,होकर बेक़रार
उसका मुस्कुराना देखकर
आँखों का झुकना देखकर
उसके आगे लगने लगे
महखाने सारे बेअसर
वो जाते जिधर जिधर
मैं पहुंचता उधर उधर
जैसे मृग कस्तूरी के लिए ,भटके इधर उधर
अब तो दिन कटता था ,रस्ता उनका देखकर
उनसे मिलने का मौका ढूंढता था ,दिल तो जानभूझकर ।।

वो कॉलेज कैन्टीन में मिलना ,न कोई इत्तेफाक था
वो क्यूँ न समझ पाए ,ये इत्तेफाक ही मेरा प्यार था
अब तो प्यार का रंग मुझ पर चढ़ने लगा था
चेहरे पर मेरे ,गज़ब निखार आने लगा था
मैं फ़िल्मी गीतों को गुनगुनाने लगा था
हर गीत हमको अपनी ही दास्तान लगने लगा था
बेतुकी बातें भी उसकी ,अच्छी लगने लगी थीं
सारी कमियों में उसकी ,खूबियां दिखने लगी थी ||

खूबसूरत दिखूं मैं कैसे ,परेशान रहता था
वो कॉलेज क्यों नहीँ आई ,सवाल रहता था
अपने बर्थडे से ज्यादा ,उसके बर्थडे का इंतज़ार रहता था
उसे पहले विश करना ,ऐसा ख्याल होता था
अगर वह विश कर दे,तो अपना बर्थडे यादगार होता था ||

सोंचता था कह दूँ उससे अपने दिल की बात
याद तुझे करता हूँ मैं दिन और रात
डरता था कर दे न कहीं वो मेरे प्यार को इंकार
कर दे न कहीं मेरी भावनाओं को तार तार
जब बताने गया उसे ,अपने दिल की ये बात
तो देखा किसी और को उसके साथ
टूट गया मेरा दिल कांच की तरह
बिखर गए सपने मेरे रेत की तरह
अफ़सोस है जिस प्यार का बरसों किया इंतज़ार था
मेरा पहला प्यार ही एकतरफा प्यार था ||

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Responses

  1. हम भी गुजरे ऐसे रास्ते से,
    मिल न सकी लाख मन्नतों से,
    जब इजहार किया अपने प्यार को,
    उसका प्यार रहा किसी और से,

    मैं टूट कर वही रोने लगा,
    रात दिन उसी के याद में खोने लगा,
    एक दिन खत लिखा एक आता है,
    संभल जाओ अभी समय है,
    परीक्षा सर पर आने वाला है,

    यह हमारी कविता का कुछ अंश है

    सचमुच आप की कविता काबिले तारीफ है

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