नव वर्ष आ रहा है
समय की धीर लहरें
बढ़े ही जा रही हैं,
खुद में बीते दिनों को
समाते जा रही हैं।
जा रहा यह बरस अब
वक्त के इस जलधि में,
आ रहा नव-बरस है
आज बिंदास गति में।
रेत सी जिन्दगी है,
बीतता वक्त है यह,
काल के इस उदधि में
समाता वक्त है यह।
नए पल आ रहे हैं
पुराने जा रहे हैं,
रेत में चिन्ह अपने
घोलते जा रहे हैं।
पुराना जा रहा है
उसे है नम विदाई,
नया जो आ रहा है
आज उसकी बधाई।
पा सके थे नहीं जो
आप बीते बरस में,
वो मिले आपको अब
आ रहे नव-बरस में।
नैन आशा जगायें
होंठ मुस्कान लायें,
जहां भी आप जायें
वहां सम्मान पायें।
दूर हो रोग -बाधा
सभी का स्वस्थ तन हो
बनें राहें सरल सब
नहीं कुछ भी कठिन हो।
सभी निज लक्ष्य पायें
उदर का भक्ष्य पायें
झूठ के मार्ग को तज
सत्य के गीत गायें।
रेत सा वक्त है यह
लहर गतिमान है यह
नहीं रुकता कभी भी
सभी को भान हो यह।
निरंतर चल रहा है
वक्त, हम भी चलें अब
इस नए वर्ष में अब
सभी संकल्प लें यह।
जा रहे नव बरस को
आज है नम विदाई,
आ रहे नव बरस की
आज सबको बधाई।
——- डॉ0 सतीश चन्द्र पाण्डेय
बहुत ही सुन्दर रचना।👍👍
बहुत सुंदर।❤️
बहुत धन्यवाद
सुंदर रचना..
“नए पल आ रहे हैं पुराने जा रहे हैं,रेत में चिन्ह अपने
घोलते जा रहे हैं।पुराना जा रहा हैउसे है नम विदाई,
नया जो आ रहा है आज उसकी बधाई।
पा सके थे नहीं जो आप बीते बरस में,
वो मिले आपको अब आ रहे नव-बरस में।”
चित्र के अनुरूप बहुत ही सुंदर कविता है
सुन्दर शिल्प और कथ्य का बेमिसाल गठ बंधन है
सभी चाहते हैं कि जो कामयाबी बीते बरस में न मिल सकी
वो आने वाले बरस में मिले और साथ ही साथ कवि सतीश जी ने
आने वाले वर्ष की बहुत ही सहृदयता से बधाई भी दी है
बहुत ही सुन्दर लय बद्ध शैली में बहुत सुन्दर कविता
आपको भी नव वर्ष की बहुत-बहुत बधाई सतीश जी
इतनी जबरदस्त समीक्षगत टिप्पणी से मन भावुक हुआ, बहुत बहुत धन्यवाद है आपको गीता जी।
बहुत ही कम शब्दों में सटीक रचना
सादर धन्यवाद
अति सुंदर रचना।❤️
बहुत बहुत धन्यवाद नितिन जी
बहुत सुंदर रचना लाजवाब 👌👌
बहुत बहुत धन्यवाद हरी
बहुत खूब
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
बहुत सुन्दर लिखा
टिप्पणी हेतु सादर धन्यवाद अनु जी
बेहतरीन रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Bhut khub
Thanks ji
Bahut Sundar Rachna
Thank you ji
Bahut Sundar Rachna
Thanks Ravi
Very good poem
स्नेहिल धन्यवाद
Beautiful poem
बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut Sundar Rachna
सादर धन्यवाद
Bahut Sundar likha hai
Thanks
Bahut Sundar Rachna chacha ji
Thanks
Bahut Sundar Rachna
Thank you
Bahut Sundar Rachna
🙏🙏
Bahut Sundar Rachna chacha ji
बहुत बहुत धन्यवाद
शानदार रचना है, जैसा चित्र दिया गया है बिल्कुल वैसी ही रचना है।
बहुत बहुत धन्यवाद
आपकी रचना बहुत ही लाजवाब है। picture के अनुरूप जो आपने लिखा है वह बहुत ही सुंदर है।
प्रेरणा हेतु हार्दिक धन्यवाद
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर
सादर धन्यवाद
Lovely and heart touching poem
Thank you
अति सुन्दर भाव
सादर धन्यवाद
शानदार रचना। बधाई 👏👏
बहुत बहुत धन्यवाद
चित्र के अनुरूप रचना करने में आपको महारत हासिल है सर, हूबहू चित्रानुरूप रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद
चित्र पर बहुत शानदार रचना प्रस्तुत की है पाण्डेय जी, आपकी लेखनी से अत्यंत रचना का सृजन हुआ है। बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही उत्तम और सराहनीय कविता है सर, वाह
Thank you ji
जा रहा यह बरस अब
वक्त के इस जलधि में,
आ रहा नव-बरस है
आज बिंदास गति में।
रेत सी जिन्दगी है,
बीतता वक्त है यह,
काल के इस उदधि में
समाता वक्त है यह।
——- जैसा चित्र है वैसी ही कविता है। लहरें आ रही हैं, 2020 समुद्र में समा रहा है। वाह अदभुत कविता की सृष्टि हुई है।
बहुत बहुत आभार
बहुत ही मौलिक तरीके से चित्र पर रचना की है। आती हुई लहरों, और उन लहरों का 2020 को धीरे-धीरे अपने में समाना, यह सुरम्यता से चित्रित हुआ है यथा—
समय की धीर लहरें
बढ़े ही जा रही हैं,
खुद में बीते दिनों को
समाते जा रही हैं।
— चित्र का मुख्य भाव है कि समय की लहरें बढ़ती जाती हैं। बीते समय को अपने में समाती जाती हैं। जैसे आज वर्ष 2021 के 4 दिन भी समय समुद्र में समा गए हैं। कवि द्वारा चित्रित यह निरन्तरता प्रशंसनीय है।
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Bahut sundar rachna
सादर आभार
बहुत सुन्दरता से शांतचित्त होकर लिखी कविता प्रतीत होती है। इसमें बेहतरीन शब्द चयन है। नवीनता की दृष्टि से चित्र का अवलोकन कर समग्रता से कविता की सृष्टि हुई है। बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
“रेत सी जिन्दगी है,बीतता वक्त है यह,काल के इस उदधि में
समाता वक्त है यह।नए पल आ रहे हैं पुराने जा रहे हैं,”
चित्र के अनुरूप बिल्कुल सटीक कविता है यह, जैसे कि चित्र में दर्शाया गया है कि लहरें आती हैं और पुराना लिखा हुआ रेत की सतह पर लिखे की तरह मिटता जाता है और नया आता जाता है। कवि सतीश जी की काबिले तारीफ़ रचना
आपकी इस सहृदयता हेतु सादर धन्यवाद जी, आभार
चित्र के अनुसार लिखी गई कवि सतीश जी की इतनी जबरदस्त और शानदार रचना। यह तो प्रतियोगिता की श्रेणी में अति उत्तम है। बहुत ही सुन्दर। शानदार लेखनी। शिल्प और भाव दोनों दृष्टियों से अति उत्तम रचना ।
सादर आभार व्यक्त करता हूँ। सादर अभिवादन
आपकी कलम से नव वर्ष की बहुत ही बेहतरीन कविता लिखी गई है सर और प्रतियोगिता के लिए चित्र के अनुरूप बिल्कुल सटीक भी है।
“समय की धीर लहरें बढ़े ही जा रही हैं,
खुद में बीते दिनों को समाते जा रही हैं।”
जैसा चित्र है वैसी ही कविता, लाजवाब सर, बहुत खूब पाण्डेय जी।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद है। सादर अभिवादन है।
दिए गए चित्र के अनुरूप नव वर्ष पर कवि सतीश जी की बहुत ही सुन्दर और सटीक रचना । आपकी लेखनी से निकली सुन्दर लय और भाव लिए हुए बेहद शानदार कविता
आपके द्वारा की गई इस स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु हृदय तल से आभार।
Thank You