माधव
माखन निकाल रही यशोदा मैया
ध्यान में है सिर्फ श्याम कन्हैया
भूखे जब होंगे बाल गोपाल
तब दूंगी उन्हें माखन निकाल
अभी रख देती हूं इसे संभाल
मन में है हरदम उन्हीं का ख्याल
हरि भी देख रहे मां को छुप-छुप के
माखन तो प्रिय मेरे सारे सखाओं के
देर लगेगी मां को अभी थोड़ा
इसलिए चल दिए पड़ोस में चुपके
दही की कमी नहीं है गोकुल में
श्याम बसे जन-जन के मन मन में
मनमोहक कृत्य सखा संग माधव के
मन में गोपियां रख सकी न संभाल
मां सोचे घर में कमी नहीं माखन की
फिर राह तके कान्हा औरन के घर की
मन फंसा दुविधा में तभी गोपियां लायी
मोहन को माखन लपटाए मुंह व भाल
हजम कैसे करे मां शिकायत लाल की
उनको तो चिंता बस बाल मान की
जो हैं प्यारे न्यारे सारे जग के दुलारे
उनको कैसे कोई रखे आंचल में संभाल
सुंदर चित्रण
सुन्दर
बहुत खूब
बहुत ही सराहनीय।
मगर आपको प्रकाशित करते समय poetry picture contest Select करना चाहिए था
श्री कृष्ण के चरित्र को अच्छी तरह से उतारने का प्रयास सराहनीय है
Very nice
बहुत सुंदर
सुन्दर अभिव्यक्ति