स्वच्छ भारत अभियान
खुले में शौच से मुक्ति का दावा, बिलकुल निराधार
घोषित करने से, कार्ययोजना लेती कहाँ आकार ।।
स्वच्छ भारत अभियान का सच बताता
ग्रामीण सङको के किनारे चलना मुश्किल होता
ताजुब हमें तब होता, जब पढने को मिलता
कोई जिला, कस्बा शौच मुक्त घोषित कैसे होता
शौचालयों के निर्माण में खानापूर्ति कर रही सरकार
सिर्फ घोषित करने से कार्ययोजना लेती कहाँ आकार ।
बता दें कहाँ बारह हजार में होता शौचालय निर्माण
उसमें भी जब दो हजार की पेशगी लेते विभागप्रधान
शेष दस हज़ार का हिसाब भी बङा तगङा है
भूखों ने इतनी मोटी गड्डी पहली दफ़ा पकङा है
बच्चों की आशापूर्ति करें, या चुकाएं जिनके हैं कर्जदार
सिर्फ घोषित करने से, कार्ययोजना लेती कहाँ आकार।
राशि मिलने से पूर्व, तस्वीर जो खींची जाती है
दीवार खड़ी कर बस फाटक लगा दी जाती है
फोटो खींच नियमों की धज्जियां उङायी जाती है
योजनाओं को जमी पे उतारने में बाधक है भ्रष्टाचार
सिर्फ घोषित करने से, कार्ययोजना लेती कहाँ आकार ।
भूख से बिलखतो को, भोजन के सिवा क्या दिखता है
अभावों में पले जीवन को सफाई की सीख भी चुभता है
पाणि में रोजगार, मुख में रोटी मुअस्सर होगी
ज्ञान की क्षुधा , तभी जन-जन में जागृत होगी
सवच्छ भारत अभियान का स्वप्न, तभी तो होगा साकार
सिर्फ घोषित करने से, कार्ययोजना लेती कहाँ आकार ।
जबतक जागरूकता ग्रामीण भारत में न आयेगी
यूँ ही हर अभियान, अधर में दम तोङती नज़र आएगी
बगैर सही संचालन के, सफल नहीं हो पाएगी
सही सोच से ही हर विधान सफ़ल हो पाएगी
सचेत हो नहीं तो हर आकांक्षा पङी होगी मझधार
सिर्फ घोषित करने से कार्ययोजना लेती नहीं आकर।
सुमन आर्या
👏👏👏👌👌
बहुत बहुत धन्यवाद
प्रशासनिक कमियों को उजागर करती हुई रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
बिल्कुल सही और सटीक
बहुत बहुत धन्यवाद
काबिले तारीफ है
सच्चाई को उजागर करती बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद ।
कृपया आगे भी मार्गदर्शन करते रहें ।
साथ-ही-साथ खामियों को बताये ।
वाह, सत्य को उजागर करती आपकी बेहतरीन लेखनी को सलाम है।
सादर आभार ।
आप सबो की टिप्पणी से उत्साहित होकर बेहतर करने की कोशिश ।
कृपया आगे भी मार्गदर्शन करें ।
खामियों को भी उजागर करें ।
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
यथार्थ परक सुंदर रचना