Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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रश्मि
धुंधले–धुंधले कोहरे में छिपती रवि से दूर भागती एक‘रश्मि’ अचानक टकरा गयी मुझसे आलोक फैल गया भव में ऐसे उग गये हो सैकडो रवि नभ…
बेटी पढाओ अपनी शान बढाओ
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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एक लड़की
Dear Negi, You’re a very good girl, you are very special for us, so be near our heart. You are the cloud of rain of…
खोजता मन है खिलौना
आसमां छत धरा बिछोना
गेहूं की बाली सी कोमल
और स्वर्ण सी जटाएं
बोलती मिश्री हैं मन में
काली-काली ये फिजाएं
धुंध छाए आसमां पर
कौंध बिजली की उठी
लिपटकर स्वर्ण रश्मि से
एक कली मन में खिली
तीक्ष्ण गन्ध से मन हरा
हो गया सुन्दर सलोना
खोजता मन है खिलौना
खोजता मन है खिलौना ।।
बहुत ही सुंदर है आप का भाव पक्ष तथा कला पक्ष शिल्प की संवेदना कविता को उत्तम बनाते हैं आपकी कविता दिल की संवेदना को व्यक्त करती है।
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु धन्यवाद आपका अभिषेक जी
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प्रगतिवाद से अलंकृत बहुत ही सुंदर पंक्तियां सुंदर समाहार शक्ति सुंदर शब्दकोश उच्च कोटि के भाव और संवेदना
धन्यवाद
क्या बात है बहुत ही सुंदर समीक्षा की है आपने इसके लिए आपका तहे दिल से धन्यवाद
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