poem

एक फूल के लिए कितना मुश्किल होता है कि वह अपनी पंखुड़ियों को तूफानों से बचा ले छिटकने न दें … पराग कणों को बिखरने…

‘खरीददार’

हुज़ूर देखा था मैंनें भी उसे सारी तस्वीरें सरेआम नीलाम करते हुये, लगता हैं वो अन्जान हैं इस बात से की यादों के खरीददार नहीं…

“नाम”

सुना है नाम बहुत है उसका बदनाम होने के लिये, बहुत बड़ा राज होता है जना़ब कामयाबी यूँ ही नहीं मिलती,

मैं और तुम

मैं और तुम साथ साथ बड़े हुए दोनों साथ- साथ अपने पैरों पर खड़े हुए तुम्हारी शाखाएं बढ़ने लगीं पत्तियां बनने लगीं दोनों एक साथ…

Two Liner

हरी जाली से देखने पर सूखे पेंड भी हरे लगते हैं नज़र का फ़ेर हो जाए तो पिलपिले भी खरे लगते है । तेज

होते हैं

एक युद्ध में कितने युद्ध छिपे होते हैं हर बात में कितने किंतु छिपे होते हैं नींव का पत्थर दिखाई नहीं पड़ता अक्सर रेल चलती…

गहने है यह सब अनमोल

सिसकियां साँसें दिल चाहतें इंतज़ार बेकरारीयाँ मुस्कराहटें गहने है यह सब अनमोल मिल जाए कभी भी कही भी संभाल लीजियेगा, ख़ोयिएगा नही हां इकठे कभी…

कुछ न होगा

सिर्फ संकेतो और प्रतीकों से कुछ न होगा सिर्फ परंपरागत तरीक़ों से कुछ न होगा सिर्फ नारे बाज़ी से भी कुछ न होगा सिर्फ आज़ादी…

बहुत ज़रूरी है

अच्छी कविताएँ लिखना उतना महत्वपूर्ण नही है उन्हें अच्छे से प्रमोट होना बहुत ज़रूरी है ऑफिस में काम भी उतना आवश्यक नहीं आपका गुड बुक्स…

फासले

वक्त  मिटायेगा  फासले  क्या  पता  कब  वो  मेरे हो जाये, मैं ही क्यो मानूँ हार जब भरी महफिल में भी सब अकेले हो जाये

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