बीत चुके हैं बरसों जिनको
बीत चुके हैं बरसों जिनको क्यों पल वोह याद दिलाते हो किए गहरे दफन जो जग जग रातों क्यों उनकी अब कब्रे खुदवाते हो …
बीत चुके हैं बरसों जिनको क्यों पल वोह याद दिलाते हो किए गहरे दफन जो जग जग रातों क्यों उनकी अब कब्रे खुदवाते हो …
लिखने का हुनर हमने कहीं से नहीं सिखा, जब दिल का दर्द हद से ज्यादा बढऩे लगा, तब जज्बातों को समझने वाला कोई ऩ रहा…।…
एक फूल के लिए कितना मुश्किल होता है कि वह अपनी पंखुड़ियों को तूफानों से बचा ले छिटकने न दें … पराग कणों को बिखरने…
Ek waadaa phir Milne ka bs wada bhr rah jate hain Bah jata hai samay ka dariya wo udhar- hum idhar rah jate hain Nikal…
कैसे कहे कोई उसको गम नहीं है! जो कुछ मिल गया है उसको कम नहीं है! हरतरफ तुम खोज लो इलाज-ए-मर्ज को, हर दर्द’ का…
ღღ__गुफ्तगू बेशक नहीं करते, निगाहें फिर भी रखते हैं; . ना जाने प्यार है कैसा, जो कभी बयाँ नहीं होता!!…..#अक्स
ज़िन्दगी ना कर पाई फ़ैसला मैँ शराब का नशा छोड़ दूँ या तेरी जुस्तजू की उम्मीद एक ने मुझे जीने ना दिया दूसरे ने मुझे…
बैठा हूँ बीच बाज़ार, लेकर अपनी यादों को बेशकीमती है यह गहने, इनका कोई मोल नही आए वोह ले जाएँ मुझसे, बेमौल मेरी जागीरें को…
जाने कितने दर्द समेटे होंगे उसने जो यादों को अपनी बाज़ार ले गया …
कोई मुझे यहां कवी बुलाता कोई बोले शब्दों का खिलाड़ी कोई समझे बुनता मैँ लड़ियाँ कोई समझे चुनता मैँ कलियां ना मैँ कवी ना…
हूँ लाखो वर्षो सी यूँ ही जल रहा मैं हूँ ख़ुद में आग लगा कर जल रहा मैं जला ख़ुद को कर रहा रोशन तुमको…
हुज़ूर देखा था मैंनें भी उसे सारी तस्वीरें सरेआम नीलाम करते हुये, लगता हैं वो अन्जान हैं इस बात से की यादों के खरीददार नहीं…
वक़त की कमी नही है यहां, यूँ ही गर देखो तो गया वक़त ना लौट कर आए, गौर से देखो तो …… यूई
सिर्फ दिखने को लगता है सबको आराम है नहीं किसी को यहां कभी भी आराम हर पल है हर शय उसकी गतिशील यहां है नहीं…
प्यार लुटाया दिल खोल खूब तब जा कमाया यह नाम खूब माना के हुए बदनाम हम खूब है यह बदनामी नाम से भी खूब पिघलाया…
कहते हो राज़ छुपे है हजारों मुझमें देखा है अपना अक्स कभी मुझमें कोशिश तो की होती पास आने की ख़ुद खुल जाते राज़ तुम्हारे…
कहते थे मेरी आँखों में ही रहना कभी फ़ासले दूर कर जाएँ तो क्या कहते थे क़रीब मेरे दिल के रहना जिस्म ना मिल भी…
सुना है नाम बहुत है उसका बदनाम होने के लिये, बहुत बड़ा राज होता है जना़ब कामयाबी यूँ ही नहीं मिलती,
मैं और तुम साथ साथ बड़े हुए दोनों साथ- साथ अपने पैरों पर खड़े हुए तुम्हारी शाखाएं बढ़ने लगीं पत्तियां बनने लगीं दोनों एक साथ…
अपनी छटपटाहटों को ही देता हूँ मन के जज़्बातों को डायरी में उतार लेता हूँ ये छटपटाहटें सिर्फ मेरी अपनी ही नहीं औरों की छटपटाहटों…
ये बात अफवाह सी लगती है कि ,सच्चा प्रेम कहीं मिला भीड़ में कहीं इंसान दिखा यह बात अफवाह सी लगती है कहीं ज्ञान का…
शाम का समय सूरज विश्राम करने को तत्पर दिन पर तपने के बाद सारी दुनिया तकने के बाद अपूर्ण ख्वहिशे दिन भर की मन में…
हरी जाली से देखने पर सूखे पेंड भी हरे लगते हैं नज़र का फ़ेर हो जाए तो पिलपिले भी खरे लगते है । तेज
एक युद्ध में कितने युद्ध छिपे होते हैं हर बात में कितने किंतु छिपे होते हैं नींव का पत्थर दिखाई नहीं पड़ता अक्सर रेल चलती…
ღღ__कहाँ रहते हो तुम भी, आज-कल “साहब”; . बात-बिन-बात, दिल दुखाने नहीं आते!!….#अक्स
ღღ__कोई याद ही ना करे, ये तो हो सकता है “साहब”; . मगर भूल जाए मुझको, भला ये कहाँ मुमकिन है!!….#अक्स
गर फासले बढते है तो बढ जायें यूं करीब रहकर भी हम करीब थे कभी??
हमें दफनाने की आपकी कोशिश शायद हो पूरी हमारी यादो को दफनाने की कोशिश ना होगी पूरी ……यूई
किया है कभी गौर की गये मयखाने में और ना चढी शराब तो क्या होगा , गर पिला जायें कोई हुश्न के दो चार जाम…
मार कर हमें तुम, अपने दिलो की तहों में जो दफ्नाओगे वादा है मोहब्बत का, हम जिंदा उन तहों से लौट आएंगे ……यूई
चाह कर तो ना हम तुम्हे स्तायेंगे चाह कर तुम हमें भूला ना पाओगे ज़ोर जितना हमें भुलाने पे लगाओगे दिल को अपने बेवजह तुम…
जो मर मर के जिया, वोह ख़ुद का ना मीत जो ना हुआ ख़ुद का मीत, वोह कैसा तेरा मीत ……यूई
हर पल मृत्यु से अभय, शौर्य की पहचान हर पल मृत्यु सो जो डरा, वो जिंदा मरा ……यूई
सिसकियां साँसें दिल चाहतें इंतज़ार बेकरारीयाँ मुस्कराहटें गहने है यह सब अनमोल मिल जाए कभी भी कही भी संभाल लीजियेगा, ख़ोयिएगा नही हां इकठे कभी…
फूलों का खिलना भँवरो का नाचना तितलियों का मचलना बरसात की रिमझिम हवाओं की अठखेलियाँ तारों का टिमटिमाना नदियों का मचलना निशनियाँ है प्यार की…
अरे क्या कह्ते हो कि मेरे होश ठिकाने आए क्या सच में ही चाहते हो कि मेरे होश ठिकाने आए सोचा है गर कभी जो…
ख़ुद का चरना, कह्ते इसे पशु प्रवृति जो ख़ुद का चरते, वोही तो पशु कहलाते कुछ ग़लत कहा क्या? क्या सोचा ना था? यूई अब…
क्या करूँ मैं शिकवा इस बेरहम जमाने से! थक़ गया हूँ मैं अब और तुझे मनाने से! मैं बेवसी की चादरों में लिपटा हूँ मगर,…
मोहब्बत की नज़्मों को फिर से गाया जाए अपनी आज़ादी को थोड़ा और बढ़ाया जाए हक़ मिला नहीं बेआवाज़ों को आज तक हक़ लेना है…
पवित्र नारी ही क्यों हो पुरुष की पवित्रता का क्या मोल नहीं ? पतिव्रता नारी ही क्यों पुरुष के पत्नी व्रत का क्या कोई तोल…
सिर्फ संकेतो और प्रतीकों से कुछ न होगा सिर्फ परंपरागत तरीक़ों से कुछ न होगा सिर्फ नारे बाज़ी से भी कुछ न होगा सिर्फ आज़ादी…
सुपर डेंस फेज में जब कण होते हैं तब बिस्फोट के कई कारण होते हैं बिग बैंग भी तभी होता है और अणु, परमाणु ,न्यूट्रॉन…
चलो थोड़ा जादू करते हैं जनता के दिल को छूती हुई एक कविता लिखते हैं झोपड़ियों में पल रही भूख से टकराते हैं छोटे छोटे…
ज़्यादा दिमाग़ न आज लगाया जाए सिर्फ मन में ज़मी मैल को बहाया जाए धर्म और परंपरा की ऐसी भी न कट्टरता हो कि होलिका…
जिन बाज़ारों में बड़ी रौनक़ है कल सन्नाटा उनमे छाएगा बंद होनी हैं दुकाने सब ऐसा बाज़ार नहीं रह पाएगा नफ़रत के अंधेरों में जो…
अच्छी कविताएँ लिखना उतना महत्वपूर्ण नही है उन्हें अच्छे से प्रमोट होना बहुत ज़रूरी है ऑफिस में काम भी उतना आवश्यक नहीं आपका गुड बुक्स…
Poetry is Neither frustration Nor speculation Poetry creates a situation where we get solution Poetry is an inspiration To live and let live Poetry is…
वक्त मिटायेगा फासले क्या पता कब वो मेरे हो जाये, मैं ही क्यो मानूँ हार जब भरी महफिल में भी सब अकेले हो जाये
ღღ__कई बार खुद को, यूँ भी बहलाया है हमने “साहब”; . कि वो आते तो ज़रूर, मगर फुरसत ही कहाँ होगी!!…..#अक्स
हर लम्हा तुमसे मैं बात किया करता हूँ! यादों से मैं मुलाकात किया करता हूँ! हर ख्वाब़ बेइंतहाँ जलाते हैं मुझे, खौफ से गुफ्तगूँ’ हर…
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