मेरा जिक्र उनसे न करना कुमार
मेरा जिक्र उनसे न करना कुमार वो पगली हंसते हंसते रो पड़ेगी ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
मेरा जिक्र उनसे न करना कुमार वो पगली हंसते हंसते रो पड़ेगी ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
मेरा जिक्र उनसे न करना कुमार वो पगली हंसते हंसते रो पड़ेगी ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
जो लगे कब्र पे पत्थर हैं बराबर कर दे ऐ खुदा मेरे बराबर मेरी चादर कर दे ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
मैं हूं मनमौजी, बात कहूं मैं मन की सीधी सपाट कहता है, श्रीधर सनकी
ये आप भी देखें है कि बस मुझको भरम है हर शख़्स परेशान है खुलकर नहीं मिलता कुमार अरविन्द ( गोंडा )
आइने में नजर न आयेंगे ऐसे चेहरे बना रहा हूं मैं ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
सोचा था जिंदगी इक पूरी किताब होगी मगर ये तो चंद लफ़्जों में ढ़लकर रह गयी|
डूबती कश्तियों के सहारे बैठ कर क्या होगा, समन्दर के इतने किनारे बैठ कर क्या होगा, तैरना है तो लहरों के बीच जाना ही होगा,…
अनुभव की राहों पर चलकर खुद मैंने भी देखा है, अपनों को अपनों से छलते खुद मैंने भी देखा है, आसमान को धरती से मिलते…
तू याद रख सके मुझे जिंदगी भर कुमार आ तुझे कुछ इस तरह मोहब्बत कर लूं ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
सुकूँ कुछ ऐसा मिलना चाहिए जिंदगी को, जैसे तेरे नर्म हाँथो पे मेरे हाँथ होने का एहसास हो।। -मनीष
अन्धेरा होकर भी अन्धेरा होता नहीं मेरे घर में, मैं जुगनू हूँ दोस्त रौशनी अपने साथ रखता हूँ।। राही (अंजाना)
अभी तो उनसे हमारी बात कहां हुई…. दिन तो हुआ मगर रात कहां हुई…. वह हमारे तो हो गए यादों में ही सही…. अभी तो…
तेरी तस्वीर के आगे यह दुनिया कुछ भी नहीं है । जो भी देखेगा तुझे देखकर, दीवाना हो जायेगा ।
‘मुस्कुरा कर जो देखो तो सारा जहाँ हसीं दिख जाता है..’ वरना.. ‘भीगी आँखों से तो आईने में अपना चेहरा भी धुंधला नज़र आता है..’
इक इक दिन करके जिंदगी गुजर गयी फूल सी जिंदगी कांटो में ढल गयी
लफ़्ज हो गये है खत्म दास्ता बयां करते करते कुछ कहते हम अक्सर थम जाते है
इक नज्म है जो दबी हूई है दिल की दरारों में आज फिर बहुत कोशिश की मगर निकल ना पाई
देखा है दुनिया को अपनी दिशा बदलते अपने लोगो को अपनो से आंखे फ़ेरते कतरा कतरा जिंदगी का रेत फिसलता जाता है देखा है जिंदगी…
प्यार का इज़हार होने दीजिए। गुल चमन गुलजार होने दीजिए। खास हो एैसा ही, कोई पल दे दो, वक्त को हम – राज होने दीजिए।…
कौन कहता है के खेल को सीखना होगा, खेल है तो खेल को खेलना ही होगा, हार जीत की परवाह कहाँ है किसी को, पर…
मैं भी अब कुछ करने के क़ाबिल हो गया हूँ, रुपयों से खुशियाँ खरीदने की दौड़ मे मैं भी शामिल हो गया हूँ #पहलीनौकरीकीख़ुशीमे -मनीष
अरे कौशल मिलाओ ख़ून में तुम भी ज़रा पानी, बहुत ख़ुद्दार होना भी तुम्हें बरबाद कर देगा। ठा. कौशल सिंह✍️
यार इसमें तो मज़ा है ही नहीं, यार इसमें तो मज़ा है ही नहीं, कोई हमसे ख़फ़ा है ही नहीं, इश्क है मर्ज़ है इसकी…
मेरी पलके झुकती नहीं तेरे इंतज़ार में,मेरी आंखे भर आती है तेरे दीदार में,तुझे क्या समझ आएंगी मेरे दिल की बातें तू तो बैठा है…
क्या बनायेगा मुद्दा, जमाना हमारी बातों का। हमारी तो ख़ामोशी भी चर्चा में है। राही (अंजाना)
तेरी ख़ामोशी भी चर्चा में है, तू कुछ कहेगा तो मुद्दा ही बनेगा सनम। – राही (अंजाना)
जिंदगी संग तो हर दिन की यारी है, तुम खुद ही बता दो मौत कब मिलने की तैयारी है।। -मनीष
कोई बात है उनमें शायद जो याद आते है या फिर हमें बस याद करने की आदत हो गयी है
रेत से बने इस रक्त के पुतले पर, रस्म ऐ रूह का रूतबा क्या कहूँ, बदलते रोज़ चेहरों के मुखौटे पर, जश्न ऐ जाम का…
तेरी ख्वाहिश में हम क्या से क्या हो गये कभी अपने थे हम, अब बैगाने हो गये
मैंने सारे जवाब जो तुझे ख़त किये है. दिल के फरमान काग़ज़ी किये है. बहोत उदास तेरी चाहतो का शोहबर इन दिनो. हमनें अपनी फरमाईश…
ਸਮਾਂ ਬਦਲ ਰਿਹਾ ਹੈਂ, ਲੋਕ ਬਦਲ ਰਹੇ ਨੇ। ਸੱਚ ਆਖਾ, ਸਭ ਦੇ ਸੌਂਕ ਬਦਲ ਰਹੇ ਨੇ। ਚੰਦ, ਸੂਰਜ ਤਾਂ ਓਹੀ ਜਾਪਦੇ ਬਸ ਮਨੁੱਖ ਹੀ ਬਦਲ…
कभी लफ़्जों में ढल जाती हूं कभी आखों में पिघल जाती हूं मैं तो तेरी खुशबू हूं हर तरफ़ बिखर जाती हूं
जिंदगी का खेल अब तक समझ न आया वो दाव खेलते रहे, मैं हारता रहा
ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त, कैसा वक्त है, जो कभी होता भी नहीं, कभी गुजरता भी नहीं, ये कैसा रंग, कैसा वर्ण, कैसा रोगन है,…
kon yaad rakhta hai raakh ko jismo ke sab diwaane hai iss janam mai nibha na sake saat janmo ki baat karte hai @@ SAGAR…
Besak koi bat na bne, Par koi bat kse bne, Jab tak meri mulakaat na bne..!!! #devil
MOhabbat krni jruri h Hakk ho to Jayaj,, Najaj ho to Majburi h mgr, MOhabbat krni jruri h
इक अरसे बाद नजरे मिली उनसे हमारी नजरों ने पहचाना और अन्जान कर दिया
नये साल का हम जशन मनायें कैसे बीता हुआ साल बार बार आकर आंखे नम कर जाता है|
पागल हैं, वे लोग जो कहते हैं कि, मरने के बाद जन्नत मिलती है ऐ दोस्तो मां की गोद में फिर एक बार सिर रखकर…
दिन, महीने और साल गुजरते जाते हैं और इक दिन आदमी भी इनमें गुजर जाता है|
डूबना तय है हर किसी का जिस समन्दर में, काश उसी समन्दर के ऊपर तैर जाऊँ मैं।। राही (अंजाना) शकुन सक्सेना
कोई मिट्टी बता रहा है कोई मुक्ति बता रहा है, जीवन की इस उलझन को वो छुप के सुलझा रहा है॥ राही (अंजाना)
उनके ख्यालों में हमार ख्याल हो इतनी सी आरजू है उनके लफ़्जों मे हमारा जिक्र हो इतनी सी जुस्तजू है
कभी कभी जीवन के पथ में, ऐसा भी हो जाता है। कभी कभी मनचाहा मिलता , मिलकर भी खो जाता है।
ग़ालिब के जन्मदिन पर सभी शायरों, कवियों को हार्दिक शुभकामनाये… ग़ालिब ये किस जहान में तू हमे छोड़ गया है ना सच्चाई है ना अफसाने…
रात पिघल जाती है यादों की जलन से! बात बदल जाती है लफ्जों की चुभन से! गरूर बना देता है दिलों में दूरियाँ, फासले मिटते…
अलविदा हम उनसे कैसे कहे रूह को जिस्म से अलग होने को कैसे कहें|
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