
Poonam singh
Mere manmit
October 11, 2019 in गीत
तुझ में सब कुछ पाया मैंने,
तू ही तो मेरा सवेरा,
ओ मेरे मनमीत कहां हो तुम
तुझे ढूंढे यह दिल मेरा,
आने से होती है तेरे
शम्मा ये गुलजार ये रौशन बहारा,
तेरे ही लिए मैंने खुद को है संवारा,
तू जो चले तो, झुक जाए फूलों की डाली,
मंडराए मन का भंवरा,
तू ही तो दुनिया हो मेरी,
तू ही हो मेरा सहारा,
गर आ जाओ तुम तो,
खिल जाए, इन होठों की कलियां |
Tera sahara
October 7, 2019 in गीत
काश ! मुझे सहारा तेरा मिल गया होता,
तूफा नहीं आता तो किनारा मिल गया होता,
मेरे दिल की धड़कन तुझे दस्तक देती है,
यह तन्हाई काटे नहीं कटती है,
बिखर के रह गया है तेरे बिन मेरा यह आशियाना,
चले आओ ये आंखें रास्ता देखती हैं तेरी,
तेरे बिन लगता है, सुना जहां मेरा,
न जाने कब यह बात तुझे समझ में आएगी,
वह नजारे याद आते हैं, जब हम मिला करते थे,
वह मंजर भूल नहीं सकती, जब तुम मुस्कुराते थे,
फूलों की कलियां खिलती थी, जब तुम मुस्कुराते थे |
Tera sahara
October 7, 2019 in गीत
काश!मुझे सहारा तेरा मिल गया होता,
तूफा नहीं आता तो किनारा मिल गया होता,
मेरे दिल की धड़कन तुझे दस्तक देती है,
यह तन्हाई काटे नहीं कटती है,
बिखर के रह गया है तेरे बिन मेरा यह आशियाना,
चले आओ ये आंखें रास्ता देखती हैं तेरी,
तेरे बिन लगता है सुना जहां मेरा,
न जाने कब यह बात तुझे समझ में आएगी,
वह नजारे याद आते हैं जब हम मिला करते थे,
वह मंजर भूल नहीं सकती जब तुम मुस्कुराते थे,
फूलों की कलियां खिलती थी जब तुम मुस्कुराते थे |
Ghar ek sapna
October 5, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
घर एक सपना,
होता है, हर एक का सपना,
तिनका तिनका जोड़ कर,
बनाया तू आशियाना,
बुढ़ापे का सहारा
होता है घर अपना,
आती है सच्ची खुशियां
जब घर हो कोई अपना,
जो भी हो, जैसा भी हो,
बस वह घर हो अपना,
जिसे कह सकूं मैं अपना.
करता है महसुस वो अस्तित्विहीन,
जिसे ना हो कोई घर अपना,
सर पर एक छत हो अपना,
सोने को बिस्तर हो अपना,
तब सपना हो जाता है अपना |
Ambe ma
October 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अंबे मां जगदंबे मां,
तू है कितनी दयालु मां,
तेरा रुप है कितना निराला मा,
दुखियों के दुख हरने वाली,
सब को सुख तो देने वाली,
तेरी कृपा हम पर बनी रहे,
मेरी यह आरजू है मां,
मैंने नितदिन तेरी आरती करूं,
तेरा ही तेरा ही गुणगान करू,
मैंने तो नितदिन तुझे भोग लगाऊं,
तेरे चरणों में अपना शीश झुकाऊं,
अब कर दो इतना उपकार मां,
खुशियों से भर दो आंगन मेरा,
तेरी पूजा मै करती रहू,
बस इतनी सी दया देदो मा |
Tum bin
October 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम बिन ये दिल कहीं लगता नहीं,
तू ही बता हम क्या करें,
तेरे सिवा कोई मुझे भाता नहीं,
मेरे तसव्वुर में बस तुम ही तुम हो,
दूसरा कोई और आता नहीं,
तेरी निगाहे मुझे बरबस खींच लेती हैं,
तेरी निगाहों के कैद में जी लूं,
बस यही तमन्ना है अब मेरी |
Sachchai
October 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
सच्चाई से डर के सारे ब्रिक्स चाहिए तो ईमान है तेरा सच्चाई ही धर्म है तेरा सच्चाई तो सेवा है ै सच्चाई ही पूजा है तेरा सच्चाई तो जीवन है तेरा सच्चाई ही जग में तेरा सच्चाई तो परिवार है तेरा सच्चाई ही भगवान है तेरा
O manmit mere
October 3, 2019 in गीत
ओ मनमीत मेरे,
मैंने दिल से तुझे पुकारा,
मैं नदिया की धारा,
तुम हो मेरा किनारा,
बिन तेरे जीना मेरा,
होगा नहीं गवारा,
चाहे किस्मत रूठे मुझसे,
या रुठे यह जग सारा,
तुम धूप तो मैं हूं छाया,
तू अंबर तो मैं धरती,
कब तक मिलन होगा हमारा,
अब तक कितने मौसम बीते,
क्या मिलन होगा न ये हमारा,
बीच भंवर में फंसी है मेरी नैया,
तुम आकर कर दो इसे किनारा |
O titli tum pyari pyari
October 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ओ तितली तुम प्यारी प्यारी,
सबको लगती न्यारी न्यारी,
रंग बिरंगे पंख तुम्हारे,
जैसे फूलों की हो बाडी,
तुझे देख गूजी बच्चों
की किलकारी,
तुझे पकड़ने बच्चे दौडे,
हर वगिया की बारी बारी,
चंपा चमेली गुलाब हजारी,
इन फूलों से है तेरी यारी,
इन तितलियों के आने पर ही,
होती बगिया की रौनक पूरी |
Ajad Hind
October 1, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आजाद हिंद के आज आजाद हैं हम,
खुला आसमां है आज हमारे सर पर,
नहीं किसी की हुकूमत है हम पर,
उन्मुक्त गगन के आज आजाद पंछी हैं हम,
श्रेय इसका है उन वीर सपूतों का,
जिन्होंने हैं प्राण गवाए हिंद पर,
महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन का,
जिन्होंने भगा दिया अंग्रेज को,
उनका कर्ज है हमारे सर पर,
हम सारे भूल गए उनके उपकार को,
कुछ तो रहम करो मेरे प्यारो,
याद करो उनकी कुर्बानी को,
जिन्होंने हैं प्राण गवाएं देश पर,
अब तो सब की परी है अपनी,
नहीं देश की चिंता है सर पर,
चाहे जितना भी करो गंदा,
चाहे जितना भी लूटो नोचो,
इघर से लूटो उधर से नोचो,
बस मेरा मेरा की रट लगी है,
क्या कभी सोचा है तुमने ?
आज की आजादी मिली है कैसे ?
होश में आओ मेरे वतन के लोगों,
होश में आओ मेरे वतन के लोगों |
Mera gaon
September 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मंजर वो आते हैं याद,
नहीं भूल सकती वो याद,
था छोटा सा गांव अपना,
कितने मस्त थे हम वहां,
सब कुछ लगता था अपना.
जो बन गया अब सपना,
वो था बचपन अपना.
लगे भूख तो खा लो अमरुद,
लगे प्यास तो चूस लो गन्ना,
कितने प्यारे दिन थे अपने,
मुझे अभी भी है वो याद,
मास्टर जी को कुर्सी से गिराना,
दोस्तों संग आंख मिचोली खेलेना,
स्कूल की छुट्टी वक्त जोर से चिल्लाना,
पेड़ के पत्तों को नोच कर एक दूसरे पर फेंकना,
मुझे अभी भी है वो याद बारिश में
लेट कर चारपाई पर भीगना,
भीगना और भीगते रहना,
फिर पोखर मे छपाछप करना,
फिर दोस्तों संग नाव चलाना,
फिर दोस्तों संग झूला झूलना,
फिर दोस्तो संग पतंगे उड़ाना,
नहीं भूल सकती वो याद,
नहीं भूल सकती वो याद |
Barish
September 27, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
सितंबर महीने में जुलाई
की बारिश,
यूं तो मनभावन लगती
है बारिश,
पर उन लोगों का क्या !
खोया है जिन्होंने अपनों को!
क्या है ईश्वर तेरी लीला!
पल में चमन था जो पल में
हुआ वीरान!,
दूधपीतीबच्ची को भी न
छोड़ा तुमने,
वह भी हो गई अनाथ !
बह गए उसके मां बाबा!
काल की गाल में,
बह गए सारे सामान गाड़ियां,
बचा क्या?
बाकी बस निर्जन मकान!
वह भी बह गए कही साथ उनके,
हे ईश्वर ! क्या इतना बढ़ गया अन्याय !
Nari
September 26, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मानते हो सब नारी
का सम्मान हो, फिर भी,
इनका ये हाल क्यों?
चढ़ती हैं भेंट हर युग में
नारी ही क्यों ?
राम ने त्यागा सीता को,
हुई चीरहरण द्रौपदी का,
अब कलयुग में निगाहें
मैली है, इन दुराचारियो की,
बाल विवाह, दहेज प्रथा,
चीरहरण होता है अभी भी,
रिपोर्ट थाने में लिखी
जाती नहीं, सुनवाई कोर्ट
में होती है इतनी देरी से क्यों?
जाते हैं ये जेल चंद दिनों के लिए ही,
होता है इन्हें बेल आखिर क्यों?
Rah takti hai najre meri
September 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
राह तकती है तेरी,नजरें मेरी,
तेरे बगैर सुना सुना है जहां मेरा,
तुझे पास बुलाती है निगाहें मेरी,
इस कदर तुम चले गए जिंदगी से मेरी,
तेरे बिना यह दुनिया है विरान मेरी,
जिगर को बांध के रखी हूं अपनी,
बिखर न जाए टूट कर ये कहीं,
आ जाओ तुम मुकद्दर में मेरी |
Rah takti hai najre meri
September 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
राह तकती है तेरी नजरें मेरी,
तेरे बगैर सुना सुना है जहां मेरा,
तुझे पास बुलाती है निगाहें मेरी,
इस कदर तुम चले गए जिंदगी से मेरी,
तेरे बिना यह दुनिया है विरान मेरी,
जिगर को बांध के रखी हूं अपनी,
बिखर न जाए टूट कर ये कहीं,
आ जाओ तुम मुकद्दर में मेरी |
Ma baba ki dulari wo thi
September 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मां बाबा की दुलारी वो थी,
नन्हे कदम जब पडे थे उसके.
आंगन में खुशियां छाई थी,
किलकारियां घर में गूंजी थी,
पायल की घुघरू की खनखन से,
सारा घर आंगन गुंजा था,
देखते ही देखते जाने कब,
वो बड़ी हो गई थी अब,
मां बाबा के मन में चिंता छाई थी तब,
पराई होने की बारी थी उसकी अब.
उसके मन ने कहा था तब,
मैं हूं तेरे जिगर का टुकड़ा बाबा,
मुझको अपने से दूर न करो,
रहने दो मुझे अपने आंगन में,
मैं तेरी ही परछाई हूं बाबा,
ममता से मुझको दूर न करो,
मैं तेरी ही बगिया की फूल हूं |
Mahatma Gandhi
September 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आजाद भारत के तुम हो
मसीहा, गांधी तेरी यही पहचान,
सत्य अहिंसा और धर्म का.
तूने बनाई एक मिसाल.
सादा जीवन उच्च विचार का,
दुनिया को सिखलाया पाठ,
नतमस्तक होकर अंग्रेज भी,
छोड़ कर चले गए अपने देश,
आंखों पर चश्मा हाथ में लाठी,
कमर में धोती, तेरा था यही लिबास,
सिखाया आपने दुनिया को,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,
आपस में है भाई भाई.
भारत छोड़ो आंदोलन है
तेरा ही नारा, दिया भारतवासियों को
तूने, स्वदेशी हो कपड़ा अपना,
चरखा है तेरी पहचान,
रघुपति राघव राजा राम,
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम,
तेरा था यही गान, सत्याग्रह,
असहयोग पर दिया था जोर,
तभी तो राष्ट्रपिता का दर्जा पाया |
Ma o ma
September 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मां ओ मां,
तुझ से प्यारा,
तुझ से न्यारा ,
होगा कोई न और दूजा,
भोली भाली सूरत तेरी,
ममता तेरी आंखों से झड़ती,
शीतल पवन सा तेरा प्यार,
तेरी गोद है जन्नत का द्वार ,
खुद भूखी सो जाती है पर ,
मुझे न भूखा रखती है ,
नींद मुझे जब आती नहीं तो,
लोरी गाकर सुलाती है,
कष्ट मुझे जब होता है तो,
खुद बेचैन तू होती है,
मेरे लिए तो तू ही मंदिर,
तू ही मस्जिद तू ही गुरुद्वारा है,
सत सत नमन उस ईश्वर से,
जिसने तेरा बेटा मुझे बनाया है l
Bhukha pyasa nanha sa balak
September 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
भूखा प्यासा नन्हा सा बालक,
सड़क किनारे बैठा था वो,
फटे थे तन पर कपड़े उसके,
मांग कर खाना ही फितरत थी उसकी,
ममता उसे नसीब न थी,
मां बाबा कहकर किसी
को पुकारा भी न था,
पडी निगाह एक दिलदार की
उस पर, दिया सहारा
उसने उसे बेटा बना कर,
होते बहुत कम है ऐसे रहमदिल,
सबको अपनी की परी है आजकल,
देता नहीं कोई साथ किसी का,
बस अपना स्वार्थ देखते हैं आजकल |
Bhukha pyasa nanha sa balak
September 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
भूखा प्यासा नन्हा सा बालक,
सड़क किनारे बैठा था वो,
फटे थे तन पर कपड़े उसके,
मांग कर खाना ही फितरत थी उसकी,
ममता उसे नसीब न थी,
मां बाबा कहकर किसी
को पुकारा भी ना था,
पडी निगाह एक दिलदार की
उस पर, दिया सहारा
उसने उसे बेटा बना कर,
होते बहुत कम है ऐसे रहमदिल,
सबको अपनी की परी है आजकल,
देता नहीं कोई साथ किसी का,
बस अपना स्वार्थ देखते हैं आजकल |
Ajkal ke kuch neta
September 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आजकल के कुछ नेता जनता को क्यों मूर्ख समझते,
बुनियादी मुद्दों से हटकर राजनीति का रंग देते,
धर्म और जाति को लेकर राजनीति का रंग देते,
कभी मंदिर तो कभी मस्जिद कर हवाओं को गर्म करते,
कभी हिंदू मुस्लिम तो कभी सिख इसाई को
आगे करके हवाओं को गर्म करते,
कभी गाय को आगे करके राजनीति का रंग देते ,
कभी दलित को आगे करके हवाओं को गर्म करते ,
कहीं शिक्षा नहीं तो कहीं बिजली नहींं,
कहीं रोड नहीं तो कही पुल नहीं,
कहीं रोटी कपड़ा और पानी नहीं
तो कहीं मकान नहीं ,
फिर भी वोट के लिए भाषण से हवाओं को गर्म करते,
आजकल के कुछ नेता जनता को क्यो मुर्ख समझते,
बुनियादी मुद्दो से हटकर राजनीति का रंग देते|
Suraj chanda nabh ye tare
September 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
सूरज चंदा नभ ये तारे,
कितने लगते प्यारे ये नजारे ,
मन मारे हिलकोरे,
चलू सूरज चंदा तारों के द्वारे,
सूरज की चमक से चंदा चमके ,
अपनी ही चमक से चमके ये तारे.
नीला रंग ये आसमान के ,
लगता समुद्र हो आसमा में ,
जब जब रिमझिम बारिश बरसे ,
मन मयूरा छम छम नाचे,
पूनम की रात में चंदा ये तारे,
ऐसे चमके जैसे दिवाली हो आसमां में |
Dosti
September 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
दोस्ती भगवान का प्रसाद है,
दोस्ती अल्लाह की इबादत है ,
दोस्ती बारिश की फुहार है,
दोस्ती फूलों का हार है,
दोस्ती तितलियों की रंगत है,
दोस्ती फूलों की महक है,
दोस्ती झरनों का संगीत है ,
दोस्ती हर गम की दवा है,
दोस्ती खुशियों की बारात है ,
दोस्ती के बिना जीवन अधूरा है ,
दोस्ती के लिए हम कर देते अपनी खुशियों का कुर्बान,
दोस्ती के लिए हम कर देते हाजिर अपनी जान|
Dharti ma
September 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
धरती मां के बेटे सुन,
हो गया मां से एक अपराध सुन,
कि उन्होंने तुम्हें जन्म दिया,
लिया नहीं बस दिया,
धरती मां के बेटे सुन
हो गया तुमसे अपराध सुन ,
कि तूने इस मिट्टी को बंजर बना दिया,
दिया नहीं बस लिया,
कि तूने हवा को दूषित किया,
दिया नहीं बस लिया,
कि नदियों को तूने मैला किया ,
दिया नहीं बस लिया,
कि पेडौ को तूने काट डाला ,
दिया नहीं बस लिया|
Pradushan
September 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
आज मानव खुद को ही,
विनाश की ओर है धकेल रहा ,
लालच और फरेब का,
चारों तरफ जाल है बुन रहा ,
खुद को सबसे आगे,
रखने की होर में ,
दूसरे को पैरों तले है रौद रहा ,
नतीजा प्रदूषण की चपेट में,
सारा विश्व है घिर रहा ,
जिसके कारण मानव का ,
दम है घुट रहा,
कितने लोग हर साल
प्रदूषण की चपेट में है मर रहे,
बेचारी हवा अपने पुराने दिन
को याद कर है रो रही ,
कब आएंगे वह प्यारे दिन
और रातें वह सपने है सजा रही,
कब जागेगा इंसान ?
कब होगी उसकी आत्मग्लानि?
Pradhanmantri Narendramodi
September 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तमन्ना थी हम देशवासियों की,
ऐसा हो कोई प्रधानमंत्री हमारा,
गर्व हो जिस पर हम सबका,
हां, आप में पाया वह सब गुण हमने,
उच्च शिखर तक भारत को है पहुंचाया आपने,
भारत क्या दुनिया ने भी लोहा मान लिया है आपका,
पहले थी हर तरफ लूट मारी चोरी घूसखोरी,
अब तो लगा लगाम नौकरशाही पर,
अब तो लगा लगाम चोर बाजारी पर,
स्वच्छ भारत का सपना है दिखाया,
योग दिवस का बिगुल बजाया.
कश्मीर से 370 हटाया,
पुलवामा का बदला लिया,
आतंकवाद की नीव हिलाई,
हां सच है 56 इंच के सीने वालीे है बात आपमे,
उज्जवल भारत का सपना है अब दिख रहा |
Pradhanmantri Narendramodi
September 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तमन्ना थी हम देशवासियों की,
ऐसा हो कोई प्रधानमंत्री हमारा,
गर्व हो जिस पर हम सबका,
हां आप में पाया वह सब गुण हमने,
उच्च शिखर तक भारत को है पहुंचाया आपने,
भारत क्या दुनिया ने भी लोहा मान लिया है आपका,
पहले थी हर तरफ लूट मारी चोरी घूसखोरी,
अब तो लगा लगाम नौकरशाही पर,
अब तो लगा लगाम चोर बाजारी पर,
स्वच्छ भारत का सपना है दिखाया,
योग दिवस का बिगुल बजाया.
कश्मीर से 370 हटाया,
पुलवामा का बदला लिया,
आतंकवाद की नीव हिलाई,
हां सच है 56 इंच के सीने वालीे है बात आपमे,
उज्जवल भारत का सपना है अब दिख रहा |
Dilly ka pradution
September 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
याद आती है उनकी मौजूदगी के दिन,
सुबह की मीठी चाय से शुरू होते थे वे दिन,
बात बात पर मुझे चिढाना उनका ,
मेरा रूठना और फिर मुझे मनाना उनका,
रोज नए नाम से मुझे पुकारना उनका ,
शाम को हाथों में सब्जी लेकर दफ्तर से लौटना उनका,
काश कि हम दिल्ली आए ही न होते ,
तो प्रदूषण की चपेट मे वे पडे ही न होते ,
काश कोई जादू होता और पहिया समय का घुमा पाती मै,
तो सब कुछ पहले जैसा होता ,
कुछ ही दिन पहले समझती थी खुद को खुशकिस्मत ,
अब समझती हूं खुद को बदकिस्मत,
ख्वाबों में तो आते हो रोज तुम ,
पर ख्वाब टूटते ही खुद को पाती हू तन्हा मै ,
विश्वास नहीं होता मन को कि तुम नहीं हो ,
तुम यहीं कहीं हो, यहीं कहीं हो ,यहीं कहीं हो |
Dilly ka pradution
September 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
याद आती है उनकी मौजूदगी के दिन,
सुबह की मीठी चाय से शुरू होते थे वे दिन,
बात बात पर मुझे चिढाना उनका ,
मेरा रूठना और फिर मुझे मनाना उनका,
रोज नए नाम से मुझे पुकारना उनका ,
शाम को हाथों में सब्जी लेकर दफ्तर से लौटना उनका,
काश कि हम दिल्ली आए ही ना होते ,
तो प्रदूषण की चपेट मे वे पडे ही न होते ,
काश कोई जादू होता और पहिया समय का गुमा पाती मै,
तो सब कुछ पहले जैसा होता ,
कुछ ही दिन पहले समझती थी खुद को खुशकिस्मत ,
अब समझती हूं खुद को बदकिस्मत,
ख्वाबों में तो आते हो रोज तुम ,
पर ख्वाब टूटते ही खुद को पाती हू तनहा मै ,
विश्वास नहीं होता मन को कि तुम नहीं हो ,
तुम यहीं कहीं हो, यहीं कहीं हो ,यहीं कहीं हो |
Tujhe bhul na pai ab tak
September 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुझे भूल न पाई अब तक,
आंखों में तुम बसे हो अब तक,
आंखों में तेरी थी समंदर की गहराई,
जो भूल न पाई अब तक,
बातों में तेरी थी झरनों की सरगम,
जो कानों में मेरे गूंजती है अब तक,
ठंडी हवा का झोंका सा था तेरा आना,
जो मुझे महसूस होता है अब तक,
छोड़कर जो चले गए तुम मुझे,
क्या मैं याद नहीं आई तुझे अब तक,
गुजरेगी जिंदगी क्या तन्हाई में तेरी,
कितने निष्ठुर हो तुम यह जान गई मैं अब तक |
Tujhe bhul na pai ab tak
September 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुझे भूल न पाई अब तक
आंखों में तुम बसे हो अब तक
आंखों में तेरी थी समंदर की गहराई
जो भूल न पाई अब तक
बातों में तेरी थी झरनों की सरगम
जो कानों में मेरे गूंजती है अब तक
ठंडी हवा का झोंका सा था तेरा आना
जो मुझे महसूस होता है अब तक
छोड़कर जो चले गए तुम मुझे
क्या मैं याद नहीं आई तुझे अब तक
गुजरेगी जिंदगी क्या तन्हाई में तेरी
कितने निष्ठुर हो तुम यह जान गई मैं अब तक
Mubile nahi jadu hai yah
September 16, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मोबाइल नहीं जादू है यह ,
विज्ञान का कमाल है यह ,
हुआ न होता आविष्कार मोबाइल का तो,
सोचो दुनिया कितनी पीछे होती,
दूर से हम एक दूसरे से बातें ना करते ,
हमारी चिंता घरवालों को ज्यादा होती,
लिफाफा पोस्टकार्ड अब पुराना हो चुका,
चिट्ठी पत्र लेखन अब पुरानी हो चुकी,
अब तो नया जमाना है यह,
इंटरनेट का जमाना है यह ,
व्हाट्सएप फेसबुक का जमाना है यह,
मोबाइल नहीं खजाना है यह ,
,हर सवाल का जवाब है यह ,
बस एक क्लिक पर कर देता दुकान हाजिर यह,
बस एक क्लिक पर कर देता गाड़ी हाजिर यह,
बस एक क्लिक पर कर देता बैंक हाजिर यह,
बस एक क्लिक पर कर देता मुस्कान हाजिर यह |
Mai hu rastrabhasha hindi
September 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मीठी मीठी झंकार सी,
कानों में रस घोलती,
मैं हूं राष्ट्रभाषा हिंदी,
स्वीकार किया
सब ने मुझे,
हू मातृभाषा हिंदी,
फिर भी जताने को
वर्चस्व अपना,क्यों
बोलते हो अंग्रेजी,
वह तो भाषा है विदेशी,
मैं तो हूं तेरी अपनी,
मैंने ही तो दिए हैं
संस्कार तुझे मेरे बच्चों,
फिर क्यों मुझसे ही
मुंह फेरते हो मेरे बच्चो |
Jane kaha ja rahi aj ki pidhi
September 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
सभी मित्रों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जाने कहां जा रही आज की पीढ़ी,
नए नए ढंग है इनके,
नई नई सोच है इनकी,
नया जमाना अब है इनका,
साड़ी सलवार पुरानी हो चुकी लड़कियों को,
चुड़िया दुपट्टा पुरानी हो चुकी लड़कियों को,
ऊंची हील की सैंडल है भाता इनको,
पैजामा कुर्ता पुराना हो चुका लड़कों को,
धोती कुर्ता न भाता इनको,
विदेशी हो गई है सोच इनकी ,
विदेशी हो गया है पहनावा इनका ,
छोटे कपड़े हो गए हैं इनके,
बाल भी रंग गए हैं इनके,
फटा जींस है फैशन इन का ,
बेढंगा कटा बाल है फैशन इनका,
ढंग बोलने का गजब है इनका.
अंग्रेजी का नशा है इनको,
हिन्दी की कदर नही इनको,
मुबाईल ही सबकुछ है इनका,
बुजुर्गों की कदर नहीं इनको |
370 to jhaki hai
September 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
370 तो झांकी है,
पीओके अभी बाकी है,
चला था कश्मीर लेने वो,
अब तो उसे खुद
की साख बचानी है,
दर-दर की खाकर ठोकरे,
लौट के आया बुद्धू घर पर,
अब तो उसे पर गए हैं
खाने के भी लाले,
नाचता है आतंकी के बल पर,
भेजता रोज आतंकी वो,
कहता किस मुंह से वो,
करनी है बातें भारत से हमें,
बात बात पर एटम बम की
धमकी है देता वो,
अब न चलेगी गीदड़
भभकी तेरी ओ पाकिस्तान,
पास मेरे है आज का हिंदुस्तान |
Pukara sahil samandar ka
September 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
पुकारता साहिल
समंदर का,
मत दूर जा
ओ लहरें मुझसे,
लहरें कहां सुनी
साहिल की,
वह तो चली
जाती है दूर,
खुद को तन्हा
पाकर,होता है
पछतावा उसे,
जब वो निकल
आती है दूर ,
क्यों थी मदमस्त
उच्शृंखल इतनी.
क्यों नहीं सुनी
साहिल की,
आती है उसे याद
अब साहिल की,
कितने प्यारे दिन
थे हमारे, जब हम
मिला करते थे,
तेरी कदर समझ
आई साहिल अब,
भूल मत जाना
मुझे साहिल तुम,
रखना यादों में
बसा कर तुम |
Tum chupe ho kaha
September 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम छुपे हो कहां तुझे ढूंढूं मैं यहा…..
बिना तेरे जीवन मेरा अधूरा यहां,
तेरी यादों का दीपक मैं जलाऊं यहां ,
आ जाओ तो फिर एक बार तुम यहां ,
तुम छुपे हो कहां तुझे ढूंढूं मैं यहां…..
तेरी ख्वाबों का रंग महल मै सजाऊ यहां,
तेरी बातों की चिलमन गूंजे हरदम यहां ,
आ जाओ तो फिर एक बार तुम यहां,
तुम छुपे हो कहां तुझे ढूंढूं मैं यहां……
तेरे बिना मैं अधूरी जीऊ कैसे मैं यहां,
मांगी दुआ मिली सजा तुझे बताऊ कैसे,
आ जाओ तो फिर एक बार तुम यहा ,
तुम छुपे हो कहां तुझे ढूंढूं मैं यहां…..
तेरे बिना घर आंगन सुना है यहा,
तुम एक बार झलक दिखला जाओ तो यहां ,
आ जाओ तो फिर एक बार तुम यहा |
Mai tere prem me krishna
September 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं तेरे प्रेम में कृष्णा,अपना नाम कर दूंगी,
जो तू न आया तो तेरी याद में सुबह शाम कर लूगी,
मैं राधा नही मीरा नहीं मैं भी एक योगन हूं,
तेरी मुरली की धुन सुनने को मैं भी व्याकुल हू,
मै तेरे प्रेम मे कृष्णा मै अपना नाम कर दूगी,
जो तू न आया तो तेरी याद मे सुबह शाम कर लूगी,
तू आए न आए यह तो तेरी मर्जी है ,
पर इतना समझ ले तू कि मैं तेरे चरणों की दासी हू,
मैं तेरे प्रेम में कृष्णा अपना नाम कर दूंगी,
जो तू न आया तो तेरी याद मे सुबह शाम कर लूगी,
गर आया तू कृष्णा तो तेरा उपकार समझूगी,
तेरे दर्शन को पाकर मैं जीवन धन्य कर लूंगी |
Wo din ab dur nahi
September 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो दिन अब दूर नहीं जब,
होगा चांद हमारी मुट्ठी में,
तो क्या हुआ जब रह गया
फासला थोड़ी दूरी का,
हौसला तो अभी बाकी है,
मंजिल भी पा लेंगे हम,
कल का सपना देख रहे हम.
जब चांद पर होगा अपना यान,
वो दिन अब दूर नहीं जब,
शैर को जाएंगे चांद पर हम,
होगा हमारा भी घर वहां,
दुनिया करेगी हमें सलाम |
Lauta do fir se wahi manjar
September 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
लौटा दो फिर
से वही मंजर,
बाबा मेरे थे वो
कितने प्यारे,
उंगली पकड़कर
चलना मुझे सिखाया
था कभी आपने,
कंधों पर भी मुझे
झूला झुलाया
था कभी आपने,
तूतली बोली थी मेरी
तब ठीक से
बोलना सिखाया
था कभी आपने,
ठीक से पढना भी
तो आपने ही
सीखाया था बाबा,
मीठी झिडकी
भी मुझे लगाई
थी कभी आपने,
फिर रूठने पर
मुझे मनाया भी तो
आपने ही था बाबा,
वह ठहाके वाली
हंसी आपकी
अभी तक कानों
में गूंजती है बाबा,
लौटा दो फिर
से वही मंजर,
लौटा दो फिर
से वही बचपन |
Lauta do fir se wahi manjar
September 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
लौटा दो फिर
से वही मंजर
बाबा मेरे थे वो
कितने प्यारे
उंगली पकड़कर
चलना मुझे सिखाया
था कभी आपने
कंधों पर भी मुझे
झूला झुलाया
था कभी आपने
तूतली बोली थी मेरी
तब ठीक से
बोलना सिखाया
था कभी आपने
ठीक से पढना भी
तो आपने ही
सीखाया था बाबा
मीठी झिडकी
भी मुझे लगाई
थी कभी आपने
फिर रूठने पर
मुझे मनाया भी तो
आपने ही था बाबा
वह ठहाके वाली
हंसी आपकी
अभी तक कानों
में गूंजती है बाबा
लौटा दो फिर
से वही मंजर
लौटा दो फिर
से वही बचपन
Khushio ki saugat hoti hai aulad
September 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
खुशियों की सौगात होती है औलाद,
जीवन का संगीत होती है औलाद,
माता-पिता की गर अच्छी हो औलाद,
बुढ़ापे की लाठी होती है औलाद,
फल की मिठास होती है औलाद,
फूलो की सुन्दरता होती है औलाद,
झडनो की सरगम होती है औलाद,
नदियों की कल कल होती है औलाद,
जीने की तमन्ना होती है औलाद,
सूरज चांद तारों की चमक होती है औलाद,
सुख का अहसास होती है औलाद,
बुजुर्गों का आशीर्वाद होती है औलाद,
भगवान का प्रसाद होती है औलाद |
Pyasi dharti hai pukar rahi
September 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
प्यासी धरती
है पुकार रही
बादल तू बरस
न गरज
बस तू बरस
हो रोम रोम
पुलकित मेरा
खिले अंकुर नया
मिले नवजीवन
इन फूलों को
इन पौधों को
खिल जाए यह चमन
इंद्रधनुषी रंगों से
मिले खुशियां
मेरे चमन को
मेरे बच्चों को
है कपूत कितने मेरे
पर मैं कुमाता नहीं
थी उपजाऊ
मिट्टी कभी मैं
पर इन्होंने तो मुझे
बंजर है बना दिया |
Wo hai hamare sikchak mahan
September 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
अज्ञानता के तिमिर को हटाकर,
फैलाए ज्ञानता का पून्ज,
वो है हमारे शिक्षक महान,
मां सरस्वती के वे हैं वरदान,
उन पर है हमें अभिमान,
उन्हें करती मैं शत् शत् नमन,
हमारी उपलब्धि के हैं वे स्रोत,
वो है हमारे शिक्षक महान,
उनके पथ पर चलकर ही तो,
हुए इतने पुरुषोत्तम् महान,
रहे खुश होनहारो से वो ,
पाए वो उनका आशीर्वाद,
युगो युगो से है उनकी महिमा,
बिना उनके होता नहीं
यह अपना देश महान,
बिना गुरू के राम,कृप्ण
भी न बनते इतने महान|
Mai wo daria nahi
September 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं वो दरिया नहीं
जो वह जाऊं
किसी नाले में,
वो दरिया हूं जो
नापती हूं समंदर
की गहराई,
वो राही नहीं जो
भटक जाऊ
अपनी मंजिल से,
वो शम्मा हूं जो
बुझती नहीं
इन तूफा से,
वो दर्पण हूं जो
दिखाऊ आईना
सच्चाई का,
वो खुशबू नहीं जो
छुप जाऊं,
वो मोती नहीं जो
टूट कर मैं बिखर जाऊं |
Aie gam mujhse dur ja tu
August 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ऐ गम मुझसे
दूर जा तू,
इतनी दूर कि
दिखे भी न
साया तेरा,
क्यों आ आकर
सताती है मुझे,
नहीं चाहिए
मुझे तेरा साथ,
ऐ खुशी आ
पास मेरे तू,
मेरी सच्ची
सहेली है तू,
संवारा है तूने
ही तो मुझे,
लाया है राह पर
तूने ही तो मुझे,
थी भटक रही मैं
गम के अंधेरों में,
निकाला है
उस भंवर से
तूने ही तो मुझे,
जहां अपनो ने दिया
गम ही गम मुझे,
तब हर वक्त सवारा है
तूने ही तो मुझे,
ऐ खुशी आ
पास मेरे तू ,
ऐ खुशी आ
पास मेरे तू |
Badal tu hat ja jara
August 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
बादल तू हट जा जरा,
चंदा को देखूं जरा,
चंदा तुझे नहीं खबर,
कि तुझे चाहता है
इक चकोर,
चाहता मेरा भी दिल है,
कि चंदा से बातें करूं जरा,
ओ चंदा तेरी चांदनी,
प्यारी कितनी देखूं जरा,
तारे सितारे तेरे भाई बंधु,
उन्हे पल भर निहारु जरा,
बादलों संग तू खेले
आंख मिचोली,
कब तक चलेगी
यह तेरी लुकाछिपी,
तेरी चांदनी में लगे
सब कुछ शीतल शीतल सा,
तू उतर जा जमी पर
कभी ओ चंदा,
तुझे पास से
जी भर निहारू जरा |
Mai tery dharkan me hun
August 27, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
मैं तेरी धड़कन में हूं,
तेरे ख्वाबों में हूं,,
तेरी सांसो की
हर स्पंदन में हूं,
यह न समझना तुम
कि मैं नहीं पास हूं,
इन फिजाओं में हूं ,
इन घटाओं में हूं ,
इन हवाओं में हूं,
बारिश की बूंदो में हूं
मै तेरी धड़कन में हूं,
तेरे ख्वाबों में हूं,
तेरी सांसो की
हर स्पंदन में हूं,
ओस की बूंदों में हूं ,
इन हरियाली में हू,
इन फूलो की खुशबू मे हू,
तेरे ख्यालों में हूं,
तेरी यादों में हूं,
तेरी मुस्कुराहट में हूं,
तेरी बातो मे हू,
यह न समझना तुम
कि मैं नहीं पास हूं |
Kaha chupe ho mere syamre
August 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ओ श्यामरे कहां छुपे हो मोरे श्यामरे,
तेरे दरस को अखियां तरस गई मोरे श्यामरे,
मेरे मन मंदिर में तू ही तू बसा मोरे श्यामरे,
मोहिनी सूरत लट घुघराले तेरे श्यामरे,
उस पर से यह मोर मुकुट बड़ा प्यारा लागे मोरे श्याम रे,
अधर पर मुरली शोभे तेरे श्यामरे,
और यह पितांबर बड़ा ही प्यारा लागे मोरे श्याम रे,
तेरी मुरली की धुन सुन राधा नाची मीरा नाची,
मैं भी तो नाचू मोरे श्यामरे,
ओ श्याम रे कहां छुपे हो मोरे श्याम रे,
तेरे दरस को अखियां तरस गई मोरे श्यामरे |
Kitni pyari hai ye dharti
August 22, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
कितनी प्यारी है ये धरती,
ऊपर अंबर ये नीले नीले,
नीचे हरियाली ये धरती,
ऊपर सूरज चंदा ये तारे,
नीचे जीव जंतु ये सारे,
ऊंचे पहाड़ ये प्यारे-प्यारे,
नीचे नदियां खाई ये गहरे,
ऊपर बादल ये काले काले,
नीचे ठंढे झील ये झडने,
इतने सुंदर ये बाग बगीचे,
छोटे बच्चे ये प्यारे प्यारे,
प्यारी प्यारी यै ठंढी हवाएं,
प्यारे- प्यारे ये बारिश के झोंके |
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