सर्दी
वसंत को कहा अलविदा, ग्रीष्म और वर्षा काल बीता
अब शरद और हेमंत अायी, सर्दी शिशिर तक छाई
ये सर्द सर्द सी राते, इसकी बड़ी अजीब है बातें
कहीं मुस्कान अोस सी फैलायी, कहीं दर्द दिल को दे आयी
जब संग ये मावठ लाती, बारिश संग उम्मीद जगाती
रबी की फसले हर इक, खेतों की शान बढ़ाती
बर्फिली हवाओं बीच, करता किसान रखवाली
लेकिन जब पाला गिरता, फिकी हो जाती दीवाली
माना व्यापार है बढ़ता, शादी का सीजन खुलता
संक्रांत क्रिसमिस, न्यू ईयर, सर्दी के आंचल में खिलता
लेकिन कुछ को सरदर्दी, लगने लगती है सर्दी
जब ना हो जेब में पैसा, और ठिठुराने लगे बेदर्दी
बच्चों का अजीब सा नाता, यह मौसम उन्हें बड़ा भाता
छुट्टियां यह कई ले आता, जब शीतकालीन सत्र है आता
अस्पतालों में भी हरदम, तैयार रहती डॉक्टर की फौज
कोई ना कोई कहीं, बीमार पड़ता हर रोज
यह खट्टी मीठी सर्दी, सबके मन को बड़ी भाये
गर्मी में सोचे कब आये, सर्दी में पीछा कब छोड़ जाये
कभी आ जाती टाइम पर, कभी हो जाती है लेट
इंडिया की सर्दी ग्रेट, सब करते इसका वेट
Nice
Good
सर्दी ग्रेट आपकी कविता बेस्ट
Great poem
Cool cool
Mst likhte ho
Nice 👍
Nice
Nice
Nice poem
बहुत सुन्दर।