चेतावनी धरती की
हे अज्ञानी मानव, सुन ले मेरी पुकार,
तेरी हूँ मैं पालनहार, फिर भी तू कड़े है वार l
तुमको शुद्ध आहार दिया, मुझको प्लास्टिक की पहाड़ दिया,
तुझको जीवनदायी पानी दिया, तुमने उसमें जहर मिलाया l
ओजन जैसी प्रहरी दिया, उसको भी कर्म से छेद किया,
तुमको खुला आसमान दिया, उसको भी प्रदूषित किया l
तुमको मिट्टी की खुशबू दिया, तुमने कचरे वाली बदबू फैलाया ,
जीवन उपयोगी सारी चीजें दिया,तुमने विनाशकारी चीजें बनाया l
हे अज्ञानी मानव, अब समय है सुधर जाओ,
वरना तुमको औकात दिखाऊंगी l
मैंने ही कई सभ्यता मिटाई है,
जरूरत पड़ी तो तुमको भी मिटाऊँगी l
याद रख मैं तुम्हारी जननी हूँ , सबकी सीमा बांटी हूँ,
जहां न जाना था तुमको, वहां भी बस्ती बसाए हो l
बाढ़ और भू – चाल जैसी कई चेतावनी दी है तुमको,
फिर भी समझ ना आई तुमको l
तूने ही धरती के सारे भेद खोले,
फिर भी न्यूटन के तीसरे नियम को भूले l
जो तुम दोगे मुझको, वापस करूंगी मैं तुझको,
जो मैंने दिया है तुझको , वापस करो तुम मुझको l
हे अज्ञानी मानव, मेरे जंगल वापस कर तू मुझको,
प्लास्टिक रहित धरती दे मुझको l
फूलों से सुगंधित खुशबू वापस कर तू मुझको,
शुद्ध वायु दे मुझको , वापस कर तू जीवन मुझको l
दम तोड़ी जिसने तेरी लालसा के कारण,
अनंत काल से झेला तुझको, शायद तू संभल जाएगा l
अब संभलने में देर न कर,
वरना तू काल के खंडहर में लुप्त हो जाएगा l
अब समझने और समझाने के दिन गए तेरे,
अब कुछ करने की है बारी l
अब न स्नेह दूंगा तुझको न समझाउँगा,
अब प्रलय दिखाऊंगी तुझको l
अब प्रलय दिखाऊंगी तुझको ll
Rajiv Mahali
बहुत खूब
Thank you
आपने इतने अच्छे भाव रखें हैं काबिले तारीफ है
Thank you
सुंदर भाव
Thank you