Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मारी नहीं पिचकारी(होली पर )
गाली न दे मुझे आली नहीं मारी तुझे पिचकारी मैंने मारी नहीं पिचकारी, भर कर रंग, चला कुंज गलियन, मारी नहीं पिचकारी। शायद तुझको भूल…
वंदेमातरम् गाता हूँ
नारों में गाते रहने से कोई राष्ट्रवादी नहीं बन सकता। आजादी आजादी चिल्लाने से कोई गांधी नहीं बन सकता। भगत सिंह बनना है तो तुमको…
वतन में आज नया आफताब निकला है,
वतन में आज नया आफताब निकला है, हर एक घर से गुल ए इंकलाब निकला है। सवाल बरसों सताते रहे थे जो हमको, सुकूनबख्श कोई…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
बहुत ही सुंदर रचना
रंगों से सरोबार रचना, वाह
वाह
श्वेत पहनकर, निकला था घर से
तूने निशाना दे मारी, रंग भरी पिचकारी।
_________होली के पर्व का सजीव चित्रण प्रस्तुत करती हुई कवि सतीश जी बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना
अतिसुंदर
ठेस न दे मुझे आली
तेरी यह रंग भरी पिचकारी।
श्वेत पहनकर, निकला था घर से
तूने निशाना दे मारी, रंग भरी पिचकारी।
मन गीला कर, तन गीला कर
वसन सभी रंगों से तर कर
बदल दिया रंग मेरा,
बदल दिया ढंग मेरा।
होली के उत्सव का सजीव चित्रण