मैं बीता कल हूँ भले ही
मैं बीता कल हूँ भले ही
तुम्हारे लिए ,
पर किस के लिए तो
आज हूँ मैं।
तुम्हारी नजर में
बेवफा हूँ।
पर किसी वफ़ा का नाज हूँ मैं।
स्वयं ठुकरा के
मेरी बाहों को,
तुम उछालो भले ही
कीच मुझ पर,
तब भी तुमसे नहीं
नाराज हूँ मैं।
उतार फेंका जिसे
वो गले का हार हूँ मैं,
तुम्हारा कुछ भी नहीं अब
किसी का ताज हूँ मैं।
मैं बीता कल हूँ भले ही
तुम्हारे लिए ,
पर किस के लिए तो
आज हूँ मैं।
बहुत ख़ूब
धन्यवाद जी
बहुत अच्छी पंक्तियाँ
Thanks
Very good
Thanks
बहुत खूब
धन्यवाद जी
टाइपिंग मिस्टेक हुई है, सुधार सेवा में प्रस्तुत है-
मैं बीता कल हूँ भले ही
तुम्हारे लिए ,
पर किसी के लिए तो
आज हूँ मैं।
Good
Thanks
सुन्दर प्रस्तुति
Thanks ji
बहुत शानदार
Thanks
बहुत खूब
Thanks