ek sher
मैं कफ़न में बूत पड़ा था जश्न मेरा सर-ए-आम निकला ऐ बन्दे तुझे ज़मीन मुबारक मुक़द्दर में मेरे आसमान निकला
मैं कफ़न में बूत पड़ा था जश्न मेरा सर-ए-आम निकला ऐ बन्दे तुझे ज़मीन मुबारक मुक़द्दर में मेरे आसमान निकला
मिल गया अंजाम मुझे तुमसे दिल लगाने का! #दर्द मुझे होता है जैसे किसी परवाने का! नाकामियों के आलम से परेशान हूँ मगऱ, हौसला अभी…
ღღ__आपकी मोहब्बत का, इतना तो असर हुआ है “साहब”; . कि अब अक्सर वहाँ होता हूँ, जहाँ होता नहीं हूँ मैं !!….#अक्स
अहवाल ए मोहब्बत की समझ हम में भी हैं तनिक सी , इश्क कर बेवफाई को बदनाम करना कुछ नया तो नहीं , यूँ मौत…
(Jawaa Dilo ke dharrkan aur ehsas ko chhone ka prayas : ek shringaar rachna.)——– WO—- ——— WO…….. Muskuraa rahi–yun door se hi Kbb qarib aayegi………
सहरा में मुझे तू किसी गुलशन की तरह मिल मैं मर रहा हूँ आ मुझे जीवन की तरह मिल तुझे देखकर शायद मुझे कुछ साँस…
Karke naadaani…. Aaj khush ho rahe hain Jhelte pareshani- Aaj khush ho rahe hain Chhorr kar pehchan ki- Sabhi nishaniyaa Badh rahi hai naitikk baimaaniyaa…
देखिए आज ज़माना भी नहीं अच्छा है इस तरह घाव दिखाना भी नहीं अच्छा है हम खतावार नहीं खता फिर भी मानी दिल बिना बात…
मेरे लब पर तेरे लब पर सब के लब पर गंगा है, जो भारत का वासी केवल उसकी जान तिरंगा है (कुलदीप विद्यार्थी) जब कलम…
वो कनेक्ट होना चाहता है पूरी दुनिया से वर्चुअली लेकिंन अपनी रियल दुनिया के लिए … उसको फुरसत नही फेस बुक पर 5000 मित्र है…
ख़्वाब है या के ख़्वाबो की ताबीर है.. ज़िन्दगी इक पहेली की तस्वीर है.. है बदौलत फ़कत अपने आमाल की अय नजूमी जो हाँथों…
ღღ__गर इजाज़त हो आपकी, तो कुछ ख्वाब देख लूँ “साहब”; . यूँ तो अरसा गुज़र चुका है, आप सुलाने नहीं आये !!….#अक्स
अन्याय इस लिए नही हैं कि वह बहुत शक्तिशाली है और उसका पलड़ा भारी है वह हर जगह छाया है… उसने अपना घर बसाया है…
ज़िंदगी में ऐसे काज करो कि ज़िंदगी पे थोड़ा नाज़ करो ज़िंदगी को रिलैक्स करो ज़िंदगी का हेड मसाज़ करो फिर … ज़िंदगी से कुछ…
जब कोई धर्म साज़िशों का पुलिंदा बन जाता है तब धर्म केवल धंधा बन जाता है शोषण और लूटपाट ही दलालों का एजेंडा होता है…
कभी वो भी आयें, उनकी यादों के आने से पहले फ़िजा महक भी जाये, सावन के आने से पहले
दर्द देकर चैन से तुम जीने नही देते! बेरहम जख्मों को तुम सीने नही देते! खोजता हूँ जिन्दगी जाम के पैमानों में, उसको मगर चैन…
ღღ__यूँ भी कई बार “साहब”, मोहब्बत का सिला मिला मुझे; . कि मेरे ख़त के जवाब में, मेरा ही ख़त मिला मुझे!!…..#अक्स
रुसवा हो गयीं हो तुम या फिर समझ मैं नहीं पाया , यूँ नखरें दिखाना तिरी अदाओं में तो शामिल ना था, तड़प गर मैं…
मैं बस ख़ुद से आगे कभी सोच ना पाया तूने मेरा सब सोच के भी कभी ना जताया …… यूई
ज़िंदगी ने जब जब तपती राहों से निकाला मुझको हर बार तेरी खुदायी का मंज़र नजर आया मुझको …. यूई
जन्मो जन्म राहें अपनी भटकाई मैंने इसी लिए तो तेरी राह ख़ुद गंवाई मैंने अब जाके कुछ थोड़ा सा बस संभला हूँ सब सोचे छोड़…
सुना है रहजन बहुत हैं तिरी राह पर मयकशी के जाम आँखों से लूटते हैं, चलों लुटने के बहाने ही सहीं ‘ज़नाब’ तिरी जानिब फिर…
वोह सातों जन्मो का सच दिखता है तुझमें वोही जन्मो का प्यार जो रच दिया है मुझमें खोया रहा उन राहो में बस सिमट कर…
बस मुसकरा कर तेरी आँखें लूटा देती हैं प्यार इतना ता-जन्म जिस्म छू कर भी ना लूटा पाये कोई इतना …
तुझको कुछ कहने की जरूरत ही क्या है मादक आँखें तेरा हाल-ए-दिल बता देती है …. यूई
तेरी आँखों में अपने इश्क की तक़दीर ढूँढता हूँ हुई जो ना अबतक मुकम्मल वोह तसवीर ढूँढता हूँ …. यूई
तेरी मुसकराती आँखों में सब कुछ दिखता है इन मुस्कराहटों के पीछे भी कुछ दिखता है दर्द जो छुपा बरसों से इनमें वोह दिखता हैं…
लोग तो करते हैं बातें सच्ची चाहतों की आँखें तेरी वोह सच्चाई बयान करती हैं …. यूई
सच्चाई है तेरी बातों में सच्चाई है तेरी सोचों में इसी सच्चाई में बसा लो मुझको कुछ तो ख़ुद सा बना लो मुझको …
शाम ढ़लती गयी शम्अ जलती रही.. और तबीयत हमारी मचलती रही .. मेरी हालत की उनको ख़बर तक न थी उम्र आहिस्त करवट बदलती…
तन्हा राहों पर गर मैं भी अकेला चला होता तो अब तलक मंजिल मिल ही गयी होती, मगर इन्तजार भी कोई चीज़ होती है ‘हुज़ूर’…
इक अजीब सा डर रहता है आजकल पता नहीं क्यों, किस वजह से, किसी के पास न होने का डर या किसी के करीब आ…
ღღ__न जाने किस कशिश से कब्र ने, पुकारा था आज “साहब”; . कि ना चाहते हुए भी मुझको, आज ख़ुदकुशी करनी पड़ी!!…#अक्स .
तेरी यादों की चुभन रातभर तड़पाती रही! मेरी साँस तेरे नाम से आती जाती रही! गमों की आग में हरलम्हा जल रहा हूँ मैं, तेरी…
टूट लिए सपने जितने थे टूटने अब ना फिर कभी भी यह टूटेंगे अरमानो को हमने गहरे दफन किया उम्मीद के दिये जलाने छोड़ दिया…
है मुश्किल तो ख़ुद का साथ निभा यह दुनिया तेरा साथ क्या निभाएगी मुश्किलो में इसका विश्वास है हिल जाता खुदा पे भरोसा इसका इक…
माफ कर देता तेरी तुम्हारी बेवफाईओ को पर मुझे तुम्हारी कोई भी ख़ता याद नही …… यूई
ए लहरॊं की रागिनी राग का यह राज तो बता सुर तेरे से मचलती है लहरे या उनकी मस्ती से महकते सुर तेरे …… यूई
लगता सबको है यह पहली बार कि है यह बस मेरे वाला प्यार नही जानते हो तुम हो नादान है सदियों पुरानी यह रिवायते नजर…
रंग अपनी मेहँदी मेरे रकीबों के नाम कौनसी तूने यह नई कहानी लिख दी निभायी जिसने भी यहां रस्म-ए-वफ़ा उसने अपनी बर्बादी-ए-जिंदगी लिख ली ………
हो ज़िन्दगी की बेवफाईयों से खफा मैंने रात की दिन से ज़ुदाई लिख दी बचाने को तेरी रुसवाईया जमाने में ख़ुद की बदनाम कहानी लिख…
ज़िन्दगी को कर के ज़ुदा ज़िन्दगी से ज़िन्दगी को मिला दिया ज़िन्दगी में कोई ऐसी मौत का शिकवा क्यों करे पलकें मेरी बंद हुई उनकी…
खूब बेरहम इश्क है यह दर्द का खुदा दुश्मनों को भी इससे बचाए …… यूई
आपको हुआ है इश्क दर्द से तो कोई बात नही बचना कही दर्द को ना हो जाए इश्क आपसे …… यूई
क्या मेरी आँखों से ही तिरी कोई रंजिश थी उस दिन, या तिरे दीदार की हर खबर झूठी थी उस दिन, हर गलीं हर चौक…
रोज़ मार के भी ख़ुद को मर सके रोज़ जीना चाहके भी जी ना सके मरते हुए मरने का करते रहे इंतज़ार जीते हुए करते…
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