चांद की छटा

October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

निहार रहे थे,
चांद की छटा को हम,
बीच में ये बादल का टुकड़ा
कहां से आ गया..

*****✍️गीता

सरगम

October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन में मेरे आज एक,
सरगम सी बज रही है
पुष्पित हुआ है हृदय,
सुगंधि सी आ रही है
कोई, कहीं दूर से मुझको,
याद कर रहा है
उसको कोई बतादे,
वो भी याद आ रहा है..

*****✍️गीता

जो जान लेता है..

October 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो हमें जानता ही नहीं,
उसे हक है, हमें
अच्छा,बुरा कुछ भी क्रहने का
पर जो हमें जान लेता है,
वो हम पर जान देता है ..

दिल मांगे मोर..

October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक पति थे,
थोड़े बोर टाइप
और पत्नी थी उनकी,
दिल मांगे मोर टाइप
कोरोना काल में,
ना कामवाली आती
ना सहेलियों से मिल पाती,
पति से पूछती रहती बेचारी,
कैसी लगती है,बताओ तो आपको ये नारी
पति कभी कुछ बोल देते,
कभी चुपचाप ही निहारते रहते
एक दिन क्या हुआ….
रसोई में गई,चाकू उठाया
कलाई की नस पे लगाया,
और बोली…………..
तारीफ़ करते हो, या काट दूं …

*****✍️गीता

दोस्ती और मुहब्बत

October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुहब्बत में कभी-कभी,
घर छूटते हैं
मुहब्बत में अक्सर ही,
दिल टूटते हैं
दोस्ती की देखो,
निराली ही शान है
दोस्ती के सिर पे,
ना कोई इल्ज़ाम है
मुहब्बत के मैं, विरुद्ध नहीं,
बशर्ते मुहब्बत हो शुद्ध और सही
एक बार मुहब्बत,
हो जाए किसी से
फ़िर दुबारा भी हो,
वो तो मुहब्बत नहीं है
दोस्ती का रिश्ता,बड़ा ही पाक है
दोस्ती के दामन पर, ना कोई दाग है
एक बार ही मुकम्मल,
हो जाए इस जहां में मुहब्बत
ये ही क्या कोई कम बड़ी बात है
हाथों में गर हाथ है किसी का,
होली है दिन और दीवाली की रात है
दोस्ती की अपनी अलग ही शान है,
दोस्ती का कुछ अलग ही मान है ..

*****✍️गीता

दोस्ती का नियम

October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दोस्तों से कुछ भी,
छिपाते नहीं हैं
यही दोस्ती का,
पहला नियम है
छिपाए जाएं गम, खुशी
गर दोस्तों से
फ़िर वो दोस्ती ही कैसी
ये तो नहीं, जानते हम हैं ..

*****✍️गीता

भरोसा ख़ुद पर..

October 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना रो बंदे,
ज़ार-ज़ार
ख़ुद पे कुछ
भरोसा तो रख
रोए तेरे बाद
ये ज़माना बार-बार
तुझे याद करके
ऐसा कुछ काम तो कर

*****✍️गीता

रिश्ते..

October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

रिश्ते तोड़ना बेशक,
एक ग़लत बात है
लेकिन , जहां कदर ना हो,
वहां निभाए भी नहीं जाते ।
गर चुप रहे कोई बंदा,
तो कुछ लोग,
भले लोगों के साथ
बोलने की हदें, भूल जाते हैं ।।

*****✍️गीता

काला पानी (भाग 2)

October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

डेविड बेरी,जेलर था सैल्यूलर जेल का
डेविड बेरी को “बैरी” कहते थे ,
सारे हिन्द के सैनानी ।
उसके किए की भी ,
क्या ख़ूब सज़ा मिली
ये जानें सारे हिन्दुस्तानी ।
आज़ाद भारत जब हो गया,
उसका भी दम कम हुआ
लंदन जाता था अपने घर,
कलकत्ता में ही बेदम हुआ
औरों का घर छीना जिसने,
उसको अपना भी ना नसीब हुआ ।
जय-हिन्द की गुंजार ने,
सारे हिन्द को फिर एक किया
वन्दे मातरम् के नारे ने,
काम बहुत ही नेक किया ।
अब वर्तमान भारत की सोचो,
क्या ऐसा ही भारत चाहा होगा
एक अच्छे भारत की
चाह में ही तो,
अपना शीश कटाया होगा ।
तो आज से हम एक काम करें,
इस देश का कुछ उद्धार करें
देश-प्रेम ही देश-प्रेम हो,
यह जन-जन में, संचार करें ।।

*****✍️गीता

काला पानी (भाग 1)

October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

काला पानी के नाम से,
प्रसिद्ध वह स्थान है
जहां भेजे जाते थे ,
भारत के स्वतंत्रता सेनानी।
सैल्यूलर जेल के नाम से
जो वहीं विद्यमान है ।
पोर्ट ब्लेयर के नाम से
आजकल उसको जाना जाता है,
कोई वापिस नहीं आया, जो गया वहां
ऐसा माना जाता है ।
वहां वीर-संवारकर जी ,
का कमरा भी देखो,
दस फुट का आकार है
फांसी घर को देख के,
हृदय में मच गया,
हा-हाकार है ।
अंग्रेजों ने जाने कितने,
भयानक जुल्म ढहाए थे
कोड़े मारे नंगी पीठों पर,
वो कितने करहाए थे ।
बोरों में भरके खुजली चूरन,
जबरन पहनाया जाता था
जब वो दर्द से करहाते थे,
अंग्रेज़ों द्वारा आनन्द उठाया जाता था
डांसिंग इंडियन कह कर उनको,
ठहाके लगाए जाते थे ।
इंसानों से कोल्हू चलवाकर,
नारियल तेल निकलवाए जाते थे।
खाने में फ़िर कंकड़ वाली,
दाल ही दे दी जाती थी ।
रोटी में भी अक्सर मिट्टी
की शिकायत आती थी ।
कैसे-कैसे ज़ुल्म सहे थे,
सुन के भी दिल थर्राता है,
ऐसे किस्से सुन-सुन के,
जी तो घबराता है ।..

चाहत..

October 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चाहतें तो बहुत हैं,
इस दिल की मगर
क्या करें हमें,
जताना नहीं आता..

*****✍️गीता

दुल्हन

October 8, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वो शरमा गए,
एक दुल्हन की तरह
जिक्र जिस पल भी हुआ,
उनकी अंजुमन में मेरा ..

पर्वतीय सौन्दर्य

October 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सिक्किम के सौन्दर्य का,
मैं कैसे करूं बखान
वहां से लेकर हम यादें,
आए अद्भुत, आलीशान
स्वर्णिम सूर्य उदित होते हैं,
पर्वतों के पार
बनते बादलों की छटा है,
सुन्दर अपरम्पार
झरने झर-झर बहें यहां पर,
शीतल पवन का शोर
सुन्दर हरियाली बिछी हुई है,
यहां पे चारों ओर
कंचन जंगा की बर्फीली चोटी,
के दर्शन यहां हो जाते हैं
बादल खेलें आंख-मिचौली,
बरस कभी भी जाते हैं
पर्वतों से कुछ प्यार सा है,
पर्वत सदा ही भाते हैं
जब करता है दिल कभी,
पर्वतों से मिलने चले जाते हैं ..

*****✍️गीता

जलता धागा

October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जब जलता जाए धागा,
इक रौशनी के वास्ते
ये देख कर..
मोम ने भी ली नसीहत,
और पिंघलना सीख गया ..

*****✍️गीता

बेटी

October 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहीं भ्रूण हत्या बेटी की,
कहीं पर हुआ बलात्कार है
कहीं एसिड अटैक सुना
और कहीं दहेज़ की, सही मार है
गर यूं ही चलता रहा तो,
भारत में भगवान भी
बेटी ना देंगे
पैदा होने से ही डर गई बेटियां,
तो कहां से वंश बधाओगे
बेटी ही ना होगी तो ,
बहू कहां से लाओगे
संसार को कैसे रच पाओगे ।।

सही (सहन करी)..

इज़हार

October 7, 2020 in Other

गुस्सा आने पर ,
इज़हार यूं भी किया जाता है.
दरवाज़े को ज़ोर से,
बन्द किया जाता है।।

*****✍️गीता

ओस की चंद बूंदे

October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ओस की चंद बूंदे,
इधर भी दे-दे, ए खुदा
वीरान मेरे दिल की,
ज़मीन पड़ी है ।।

*****✍️गीता

राहें

October 7, 2020 in शेर-ओ-शायरी

राहों में भटक गए गर,
मंज़िल नहीं भूलेंगे
शौक को कब से फ़िक हुई ,
पावों के छालों की..

*****✍️गीता

तलाश

October 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

थोड़ी सी कोशिश करें,
थोड़ी रखें उम्मीद
रास्ते भी मिल जाएंगे,
ना हो ना उम्मीद
कुछ भरोसा भी रख,
क्या पता मुकद्दर
खुद तुझे तलाश ले ।।

कश्ती

October 7, 2020 in मुक्तक

मेरी भी कश्ती,
इक दिन लगे किनारे
मुकद्दर ना साथ दे तो,
साथ कर्म होंगे हमारे ।।

*****✍️गीता

महफ़िल में

October 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

महफ़िल में आइए ,
ज़रा दुपट्टा ओढ़ कर
हर शख़्स की नज़र,
आप पर ही है ..

*****✍️गीता

बादल घनघोर

October 6, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछ देर की गर्मी थी,
फ़िर बादल घनघोर आ गया
तब तुम्हारा वक्त था ,
अब हमारा दौर आ गया ।।

आशीष देने वाले

October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बस-दस पंद्रह साल में,
इस दुनियां के माया – जाल से,
एक पीढ़ी विदा हो जाएगी
अफसोस ,जुदा हो जाएगी
इस पीढ़ी के लोग ही कुछ अलग हैं
रात को जल्दी सोने वाले,
भोर होते ही घूमने वाले
आंगन के पौधों को पानी देते,
बच्चों के दादाजी-नानाजी कहलाते
स्नान कर करते हैैं पूजा
उनके जैसा नहीं कोई दूजा
मंदिर भी जाते हर रोज़
वो चले गए तो,
कहां से लाएंगे उनको खोज
पुराने छोटे से फोन से ही,
बात करें गौर से
मित्रों, रिश्तेदारों के नंबर भी,
डायरी में लिखते, आज के दौर में
आते-जाते को नमस्ते करें झुका कर शीश
छोटों को हरदम, देते हैं आशीष
गर्मियों में अचार,पापड़ भी बनाते,
सदा देसी टमाटर और ताजे फल ही लाते
उनका अपना अनोखा सा संसार है,
उनके पास औषधियों और
तजुर्बों की भरमार है
हमें बहुत करना है इनका सम्मान,
ना जानें कब चले जाएं,
छोड़ कर ये जहान ।।

*****✍️गीता

पत्थर की आंख

October 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तंग आ चुके दुनियां के ताने से,
उस बेचारे काने ने
पत्थर की आंख लगवाली,
नज़र तो फ़िर भी नहीं आया
मगर दुनियां की नज़र बदल डाली ।।

*****✍️गीता

गुरू-शिष्य वार्तालाप

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गुरू से पूछा चेले ने,
चलते चलते एक मेले में
ऐसी पत्नी को क्या कहें,
जो पति के साथ खुशी-ख़ुशी रहे
ना करे कभी भी लड़ाई वो,
अच्छी जिसकी लम्बाई हो
सुन्दर भी सबसे ज्यादा हो,
पूरा करती हर वादा हो
ना काम से वो इन्कार करे,
खुशी-खुशी हर काम करे
पति को समझे सदा ही,
ना कोई अभिमान करे
निज बुद्धि का, निज रूप का
ना जिसको हो कोई अहम
गुरू मुस्कुरा कर के बोले..
बेटा , इसको कहते हैं वहम

*****✍️गीता*****

कविता हो मेरी पूरी

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे गम में तुम शामिल ,
मेरी खुशियों में भी शामिल
आपके साझे के बिन ,
खुशियां है मेरी अधूरी
मेरी खुशियों में शामिल हो
खुशियां कर दी मेरी पूरी
हम जानते हैं ये भी ,
हम मानते हैं ये भी
बहुत ममता है भरी
आपके हृदय में हमारे लिए
आपके गुनगुनाने से,
कविता हो मेरी पूरी..

*****✍️गीता*****

अहसास

October 5, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जो सुख-दुख में साथ देते हैं,
रिश्ते बस, वे ही नहीं होते,
रिश्ते तो वे भी हैं,
जो अपने पन का अहसास देते है ..

वन-सम्पदा

October 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वृक्षों को काट-काट कर,
इति करे सब वन
प्रकृति का सर्वनाश किया है,
कमाने को केवल कुछ धन।
दोहन कर-कर प्रकृति का भी,
चैन मनुज को ना आया
पशु , पक्षियों को बेघर किया है,
लालच वृद्धि करता प्रति क्षण।
प्रतिकार प्रकृति भी लेती है ,
फ़िर शुद्ध पवन कम देती है
फ़िर भी मानव को चैन नहीं,
काट रहा है फिर भी वन
हे मनुज तेरी ही हानि हो रही,
लगा लगाम लालच पर अपने
अब भी करदे ये सब बंद ,
अब भी करदे ये सब बंद ।।

*****✍️गीता*****

ये मंच बड़ा मन-भावन है..

October 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दूर – दूर से कवि पधारे,
कोई पर्वतीय, कोई मैदानों से ।
यहां पे आकर , धूम मचा कर,
लिखें बड़े अरमानों से ।
मैं भी आई, नाम है गीता ,
लिख दी मैनें, भी कुछ कविता ।
सब का ही स्नेह मिला,
कुछ प्रमाण-पत्र मिले सम्मानों के ।
सावन मंच को नमस्कार है ,
कोटि-कोटि अभिवादन है ।
गागर में सागर समेटे ,
ये मंच बड़ा मन-भावन है..
हां , ये तो सावन है ।
जी हां, ये सावन है ।।
*****✍️गीता*****

प्यार के दो मीठे बोल

October 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ वक्त की ज़िन्दगी है,
फ़िर तो हमको है जाना
कुछ समझौते भी हुए यहां,
कुछ उपहार मिले माना
खाली हाथ ही तो आए थे,
खाली हाथ ही है जाना
ये तो निर्भर, करता है हम पर ,
कैसे करेगा फ़िर याद हमें ज़माना
बस प्यार के दो मीठे,
बोल ही रह जाते हैं..
यही आज इस दिल को है बताना
इसीलिए “गीता” गाए ये गाना..
बस , प्यार के दो मीठे
बोलों का रह जाना..
बस, यही है मेरी ,
ज़िन्दगी का अफ़साना..

*****✍️गीता*****

सिलसिला

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बातों का सिलसिला कुछ यूं ख़त्म हो गया,
कि कायनात से दूरियां, मांगी होंगी उसने ।।

निष्प्राण

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

तीर, तलवार और तंज की धार से,
जब निष्प्राण हुआ शरीर
अनुप्रास ही दिखे कवि को,
यहां घायल पड़ा शरीर ।।

*****✍️गीता*****

दिल वालों की दिल्ली

October 4, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल वालों की दिल्ली देखो ,
हो गई है बीमार
कहीं किसी का साथी छूटा,
कहीं किसी का प्पार
दिल्ली का तो अब ये नसीब हो गया
हो गया वहीं दूर, जो करीब हो गया ।।

*****✍️गीता*****

बेरुखी

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बेरुखी से बड़ी सजा ही नहीं ,
खता क्या थी, पता ही नहीं
वो इस कदर दूर हो गए ,
कभी पास भी थे क्या,
अब तो ऐसा लगता ही नहीं ।।

तेरी अंजुमन

October 4, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चले जाएंगे तेरी अंजुमन से हम,
सुना है किसी के जाने से सूना नहीं होता ।।

*****✍️गीता*****

कुछ टूट सा गया है

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ना मुस्कुराएंगे कभी वैसे,
मुस्कुराते थे कभी जैसे
कुछ टूट सा गया है अंदर ,
दिखाई देगा नहीं बाहर से ।।

तुमने क्या समझ लिया

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

क्या ग़लत है क्या सही,
बात बस इतनी सी है
तुमने वो समझ लिया,
जो हमने कहा ही नहीं ।।

एक आंसू

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूं तो बड़े -बड़े तूफ़ानों
से भी गुज़र जाती हूं
और कभी एक आंसू ,
से भी पिंघल जाती हूं ।

*****✍️गीता *****

औरत का सम्मान

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

औरत का सम्मान ,
कुछ इस कदर किया जाए
सरक जाए गर पल्लू गलती से,
तो, झुका नजर को लिया जाए ।

घाव और मिठास

October 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्वपन में मैं रसोई में खड़ी थी,
रसोई में रखे, कैंची, चाकू और बेलन में,
ज़बरदस्त जंग छिड़ी थी
कि यदि चाहे, तो कौन
दे सकता है, ज्यादा घाव
मुझे भी हुआ सुनने का चाव..
देखा दूसरी दिशा में तो
चीनी, मिसरी और बूरा की
सभा सजी थी…
यहां चर्चा थी कि,
कौन देता है ज्यादा मिठास
और फिर मैंने देखा…………
सामने “शब्द ” खड़ा मुस्कुरा रहा था,
सच ही तो है,…..
शब्द चाहे तो दे दे घाव
शब्द चाहे तो मिले मिठास..

*****✍️गीता*****

साथी

October 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वित्त – विभूति कहीं जले
तो, जल ही उस बुझाए
कहीं दिल जले तो क्या किया जाए..
अम्बर से पानी बरसे,
तो , छतरी को लिया जाए
नयनों से पानी बरसे, तो क्या किया जाए
देह में कहीं दर्द हो ,
तो दवा ले ली जाए
वेदना हो तो क्या किया जाए
अच्छा साथी होता है,
दवा सा ही..
अच्छे साथी का साथ मिले गर,
तो दवा ही ना ली जाए..

*****✍️गीता*****

वो मासूम कली

October 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

छोटी सी मासूम कली थी,
अपने घर में, मां की गोद में
बड़े लाडों से पली थी
मुस्कान के आगे जिसकी,
पूरा घर था खिल गया
उसको शर्म सार करके,
किसी को क्या मिल गया
जीने भी ना दिया गया,
वो कितना रोई होगी,
उसकी मां से पूछ के देखो,
वो कैसे सोई होगी
कलेजा फट जाता है सुनकर,
उसने कैसे सहा होगा
जीवन की भीख तो मांगी होगी,
आखिर कुछ तो कहा होगा
वो भी तो चाहती थी जीना,
आखिर क्यूं उसका जीवन छीना
ये चीख – चीख रूह बोल उठी,
तेरी भी पोल खुलेगी इक दिन
अत्याचारी तू पकड़ा जाएगा,
जंजीरों में जकड़ेंगे तुझे
तू भी ना बख्शा जाएगा
कानून को इतना सख्त बना दो तुम,
कि दहशत फैले दरिंदों में
वरना ये दानव यूं ही आएंगे,
फ़िर एक और कहानी दोहराएंगे ।
कानून को सख्त तो करना ही होगा,
हम सब मिलकर ये मुहिम चलाएंगे ।

प्रभु ऑनलाइन हैं..

October 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई भी कर्म करो,
इतना रखो ध्यान
स्वर्ग -लोक में भी,
जा पहुंचा है ,इंटरनेट श्रीमान
प्रभु के पास भी अब हैं,..
टैब , लैपटॉप , मोबाइल,
अब रहते हैं प्रभु भी,
हमेशा ही ऑनलाइन..

*****✍️गीता*****

दो महान सपूत देश के..

October 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बापू गांधी और लाल बहादुर,
दोनों हैं इस देश की शान
एक का नारा सत्य , अहिंसा ,
दूजे का जय -जवान, जय-किसान
अपने इस देश की खातिर,
दोनों ने अपने प्राण किए न्यौछावर,
दिया अपने जीवन का बलिदान
कोटि-कोटि नमन है उन वीरों को
जिनका चरित्र है, इतना महान
एक के पास थी सच की लाठी,
दूजे की थोड़ी छोटी कद और काठी
प्रधान मंत्री बने देश के,
किए कार्य कई महान
गांधी जी ने चरखा चला कर,
ये संदेश पहुंचाया घर -घर
स्व -रोजगार की ओर कदम उठाया,
बनें सभी अब आत्म -निर्भर
आओ मिलकर दीप जलाएं,
आज उनका जन्म दिन मनाएं ।

*****✍️गीता*****

ज़िन्दगी मोबाइल की गुलाम हो गई..

October 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी “मोबाइल” की गुलाम हो गई ,
“मोबाइल” के संग ही सुबह और शाम हो गई
लिखना हो तो मोबाइल, पढ़ना हो तो मोबाइल,
अब ये बातें तो आम हो गईं
मिलने के भी मोहताज ना रहे ,
“मोबाइल” से ही बातें तमाम हो गई
मोबाइल में मन लगता है सभी का,
आधी ज़िन्दगी इसी के नाम हो गई..

*****✍️गीता*****

आह,लगेगी उस गुड़िया की

September 30, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आह लगेगी उस गुड़िया की,
बच तो तुम भी ना पाओगे
हर बेटी देश की, आवाज़ उठाएगी,
तुम भी बख़्शे नहीं जाओगे
“सूली चढ़वाऊंगी, फांसी लगवाऊंगी,
अपने हत्यारों को सज़ा दिलाने,
पुनर्जन्म ले कर भी आऊंगी
पुनर्जन्म ले कर भी आऊंगी “..

एक वादा..

September 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

किसी से किया कोई वादा,
उसको निभा रहे हैं
जीने की चाह नहीं है,
बस, जिए जा रहे हैं .

*****✍️गीता*****

ये दुनियां

September 30, 2020 in शेर-ओ-शायरी

होते ना अगर तुम,
तो छोड़ देते ये दुनियां
हम कभी की….
वो हंस दिए, और बोले,..
तो हम हैं ना,
ना कहना ..,ये अब कभी भी..

*****✍️गीता*****

मोती

September 30, 2020 in मुक्तक

सागर में मोती मिलें,
गहरे तल में खोज
किनारों पर तो बस रेत मिले,
चाहे जा बैठो रोज़ …..

ऑनलाइन कक्षाएं

September 29, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऑनलइन कक्षाओं का आया दौर,
विद्यार्थी घर में हो रहे हैं बोर
एक बोली मुझसे, मैडम आपकी बहुत याद आए,
हम सखियां भी अब मिल नहीं पाएं
दूजी बोली, मन नहीं लगे सुबह और शाम,
मम्मी कराती हैं ,घर के भी काम
मैनें सबको बोला है, जल्दी ही टीका आएगा
पहले सा मौसम लाएगा..
बच्चाें थोड़ा सब्र करो, वो दिन जल्दी है आएगा
वो दिन जल्दी ही आएगा….

*****✍️गीता*****

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