अपनों को दूर से
अपनों को दूर से रू-ब-रू 1 होते हुए देखा है, हमने अपनी तमन्ना को लहू होते हुए देखा है। इक कसक जो दिल में दफ़न…
अपनों को दूर से रू-ब-रू 1 होते हुए देखा है, हमने अपनी तमन्ना को लहू होते हुए देखा है। इक कसक जो दिल में दफ़न…
अँधेरी बस्ती में रोशनी राशन में बाँटी जाती है, लोहे के हार पहनकर, ज़िंदगी काटी जाती है। आजकल आफ़ताब1भी आता नहीं है नज़र, हुकूमत चाँद-सितारों…
शोले से जलते जिगर¹, जुगनू से टिमटिमाने लगे, तूफ़ान भी अब यहाँ, झोंके हवा के खाने लगे। तेग़-ए-पुश्त² शायद हो गई है गायब उनकी, जो…
सख़्त मग़रूर 1 चश्म 2 में ज़रा इंतज़ार तो हो इश्क़ उनके लिए भी ज़रा दुस्वार3 तो हो। बता दे अपनी हक़ीक़त जल्दी ही हम…
जाने कैसा शहर था, हर तरफ़ कहर था, धूप ही धूप मिली, दोपहर का पहर था। ख़ामोशी हर तरफ़, ख़ाक-सी फैली हुई, कैसे हो गुफ़्तगू…
मिज़ाज-ए-गर्दिश-ए-दौराँ1 बदल गया होगा, जो आया है दर पे आज, कल गया होगा। मकाँ-ए-रंक2 में जो आया है इतराता हुआ, ज़रूर वो कल किसी के…
मेरी नज़्म को अपने ज़ेहन 1 में उतर जाने दे, अहसासों को मेरे ज़रा सा असर कर जाने दे। भटकता रहा हूँ ताउम्र अजनबी दुनिया…
जुगनुओं का क़त्ल करने, काली रात आई है, माहताबों 1 ने अपनी सूरत, बादलों में छुपाई है। सहर का नाम मत लो, शब न ख़त्म…
जिंदगी को जिंदगी से जुदा कर रखा है, हमने अपनी मौत का गुनाह कर रखा है। बस्ती को रोशन करने की ख़ातिर हमने, अपना घर…
क्या बताएँ आपको दास्ताँ-ए-दिल 1 अब हम, क़त्ल कर के ख़ुद का, हुए क़ातिल अब हम। तमीज़दार ख़ल्क़ 2 में तमाशबीन 3 हम बन गए,…
आपकी बेरहम यादें और मैं, बहुत सारी फरियादें और मैं। चुप रहेंगी खींचकर आज साँसें, मेरी बेबस निनादें 1 और मैं। इंतज़ार कर रही हैं…
मर्ज़ 1 नहीं मालूम गर तो दवा न दीजिए, बुझा न सको आग तो, हवा न दीजिये। छुपा लो जख्म-ओ-दर्द ज़ेहन 2 में कहीं, यूँ…
साथ तो सब हैं, फिर भी तनहा सफ़र अपना, हज़ारों मकाँ की बस्ती में, अकेला घर अपना। तुम हो ख़ामोश, मैं भी गुमशुम-सा हूँ यहाँ,…
शजर1 सूखा है, खिज़ाँ2 अरसे से ठहरी है, लगेगा वक़्त कुछ और, चोट ज़रा गहरी है। लगता है एक और बम पड़ेगा फोड़ना, सुना है…
बेवजह उनका नाम बार-बार याद आता है, ज़ेहन में जमा दर्द आँखों में पिघल जाता है। अब निगाहों ने भी पकड़ ली है दिल की…
मुस्कुराता हूँ ग़म को, लिखता जाता हूँ, क़त्ल कर जिंदगी को, मैं जीता जाता हूँ। पन्ने पलटता हूँ जब जिंदगी की किताब के, तेरा नाम…
अपने फ़साने-ए-ग़म मैं किसको सुनाऊँ, हाल-ए-दिल-ए-हस्सास1 किसको बताऊँ। ये दिल की उलझन, ये सितम-ए-हयात2, अब इन हालातों को मैं कैसे सुलझाऊँ। हर शख़्स ख़ुश है,…
ये ग़म मेरे प्यार का उन्वान 1 बन गया, जो था अपना आज अनजान बन गया। मलहम की चाह में सूखे सारे ज़ख़्म, हर ज़ख़्म…
मेरी आँखों से इतना बहा है तू, देखूँ मैं जिस जगह, वहाँ है तू। मुबालग़ा1 नहीं है ये मोहब्बत का, मुत्तसिल 2 है मेरा मकाँ,…
जिंदगी कैसे – कैसे जली देखो, कुंदन – सी 1 निखर चली देखो। ख़िज़ाँ-दीदा2 काँटों से सँवर कर, गुलशन हो गई मेरी गली देखो। मीठी…
जिक्र करता हूँ बस हिज़्र1 का, ऐसी बात नहीं, कभी वस्ल2 का कुछ न कहा, ऐसी बात नहीं। ठहरे हुए हैं कई ख़्याल, आकर ज़ेहन3…
मु’अय्यन 1 मंज़िल न सही, कहीं तो पहुँच जाऊँ, मुकम्मल2 नज़्म न सही, चंद लफ़्ज़ में ढल जाऊँ। इक मुब्हम3 मुअम्मा4 सी हो गई है…
लिखा है बस वही, जो दिल पे गुज़री है, कैसे कहें ये शब 1, कैसे अकेले गुज़री है। ओढ़ कर आ गए वो आज मेरे…
दर-दर गिरते रहते हैं, अक्सर संभलने वाले, खाते हैं अक्सर घाव, मरहम रखने वाले। कर लिया था तौबा इश्क़ की गलियों से, मगर मिले हर…
जिंदगी अंधेरों में तो हमें गँवानी थी, रोशनी दो पल की जो कमानी थी। जिन्हें हमने ख़ुद से भी करीब माना, वो शख़्सियत असल में…
अपने अश्क़ो को हम दफ़नाने आए हैं, दर्द की नई फसल हम उगाने आए हैं। चुनावी वादों को पूरा करेंगे आज वो, अंधी भीड़ को…
चंद सिक्के मिले हैं मुझे दिनभर की मज़दूरी के, आँखों में आँसू आते हैं मेरी मजबूर मजबूरी के। कौन उठाए आवाज़ आज नाइंसाफ़ी के खिलाफ़,…
अब कहाँ वो ज़माना रहा जाँ लुटाने का, रिवाज़¹ नहीं अब रूठे को मनाने का। किसके हवाले करें आज दिल हम अपना, गुज़र गया वह वक़्त…
बेगाने है वो तो फिर अपने से लगते हैं क्यों, आने से उनके मौसम आख़िर बदलते हैं क्यों। आँखों में जो जम गए थे हिज्र…
आपकी यादों को अश्कों में मिला पीते रहे, एक मुलाक़ात की तमन्ना में हम जीते रहे। आप हमारी हक़ीक़त तो कभी बन न सके, ख़्वाबों…
दो पल में लगी आग, ज़माने में बुझती है, रिश्तों में पड़ी गाँठ, कब-कहाँ खुलती है। जो दे गया दग़ा हमें, वादा-ए-वस्ल 1करके, तुम्हारी शक्ल…
बिछड़ने के ख़्याल से हम मिलने से डरते हैं, मगर कैसे बताएँ किस कदर तनहा मरते हैं। देख न ले वो हमें, कहीं पुकार न…
आज कुरेद गया वो अरसे से जमे जज़्बातों को, कुछ बूँदें फिर से भिगो गईं सूखे रुख़सारों 1 को। दर्द आज फिर से झाँकने लगा…
बर्बाद-ओ-बेकस1 दिल का कोई सहारा भी हो, उनके मकाँ-ए-दिल में एक कोना हमारा भी हो। जो बात ज़ेहन 2 में थी, वो ज़ुबाँ पर आ…
इक मुखौटा है, जिसे लगा कर रखता हूँ, जमाने से ख़ुद को मैं छुपा कर रखता हूँ। दुनिया को सच सुनने की आदत नहीं, सच्चाई…
सवा ले चल हमें भी उस निशाँ तक उमीदें रक़्स करती हैं जहाँ तक तसव्वुर की रसाई है जहाँ तक किसी दिन तो मैं पहुँचूंगा…
अब पैकर-ए-ख़्याल-ए-सनम बन गया हूँ मैं यानी वजूद-ए-लुत्फ़-ओ-करम बन गया हूँ मैं اب پیکرِ خیالِ صنم بن گیا ہوں میں یعنی وجودِ لُطف و کرم…
रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में । हम यूँ भटक रहे हैं सहरा-ए-जिंदगी में ।। तुम तैर कर तो देखो सूखी हुई नदी…
वो खिड़की के जानिब अगर देखते है हर एक बार मुझको मगर देखते है जो कूचे से निकला हूँ कल परसो मै वो दीदार को…
जो उस के, महल में जाते हैं उसे देख के, फिसल जाते हैं हवा का रुख, जो बदलता है सियासतदाँ, बदल जाते हैं जो ठोकर,…
जिस तरह मुझ पे तोहमत लगा रही है वो शायद मेरे किरदार से वाक़िफ़ नहीं है वो झूठों के इस बाज़ार में मुंसिफ भी बैठ…
उस के साथ चलने, का मसअला नहीं ये बात और है के, अब हौसला नहीं कुछ बात तो होगी, के उसने दगा दिया उससे मुझे…
जिसको देख, डर गया कोई उससे इश्क, कर गया कोई वो ग़मज़दा, हो के बैठे थे उसका ग़म भी, हर गया कोई लोग जिससे, किनारा…
मुस्कुरा के दिखाने, से क्या फ़ायदा दर्द ए दिल को छुपाने, से क्या फ़ायदा उसने नज़रों से, नज़रों पे जो वार की अब यूं नज़रे…
उसका आमद, इस पार है क्या, क्या मेरा, इन्तेजार है क्या? हर पल वो, रंग बदलता है, गिरगिट का, रिश्तेदार है क्या दिल ने दिल…
इश्क से राबता भी नहीं फासला भी नहीं कर सके। कुछ संवारा भी ना जा सका, दुर्दशा भी नहीं कर सके। तुम हंसी थे बहुत…
इश्क का अब फसाना नहीं चाहिए तेरे दिल में ठिकाना नहीं चाहिए तुम मेरी याद में गर तड़प ना सको तुमको दिल भी लगाना नहीं…
मेरी दुश्मन है बे- अकली हमारी दिखी औकात अब असली हमारी मेरे आँसू छुपा लेता है बिस्तर हँसी है यार अब नकली हमारी। हमें ही…
बार बार नही इजहार एक बार होता है ज़िंदगी मे भी बस प्यार एक बार होता है. कुछ लोग गिनाते अपनी ढेर सारी मुहब्बतें पर…
उसने जुलेखा की तरह कीमत लगाई मेरी, मैं ता उमर जिसकी आंखो में डूबा रहा। उन्ही हाथों में कत्ल का सामान मिला मुझको, मैं अपना…
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