ग़ज़ल
बंधु ! शक्ति–स्वरूपा माँ दुर्गा की आराधना के अकल्पनीय दिवस और अंतत: वैभव एवं विजय के पर्व ‘दशहरा’ पर मन–मानस में व्याप्त ‘लोभ–मोह–आघात’ के प्रतीक…
बंधु ! शक्ति–स्वरूपा माँ दुर्गा की आराधना के अकल्पनीय दिवस और अंतत: वैभव एवं विजय के पर्व ‘दशहरा’ पर मन–मानस में व्याप्त ‘लोभ–मोह–आघात’ के प्रतीक…
वतन में आज नया आफताब निकला है, हर एक घर से गुल ए इंकलाब निकला है। सवाल बरसों सताते रहे थे जो हमको, सुकूनबख्श कोई…
तेरी कलम को कभी अपनी रुबाई नहीं दूंगा, मैं तुझको चश्म-ए-नम की कमाई नहीं दूंगा l तेरी आंखों में वहम के कई पर्दे टंगे हुए…
ज़रा सा गौर से सुन अब ये आईंदा नहीं होना, कि मुझको तेरा होके और शर्मिन्दा नहीं होना| जहां मतलबपरस्ती आशनाई नोच खाती है, मुझे…
अगर इश्क हो तो ही होती गज़ल है। ख़यालों के बिस्तर पे सोती गज़ल है।। दिशा है दिखाती ये भटके हुओं को, दिलों…
हंसाकर कहीं तुम रुला तो न दोगे, कोई जख़्म फिर से नया तो न दोगे। हसीं वादियों के सपने दिखाकर, कहीं यार तुम भी दग़ा…
****** यही सोचा मैं ज़िंदगी की बेहिसी पर ग़ज़ल कहूँगा अज़ाब तेरे, तेरी अज़ीयत की चाशनी पर ग़ज़ल कहूँगा भटक रहा हूँ मैं कबसे तन्हा…
******** तुम जो आओ ख्वाब में तो राब्ता रह जाएगा इक दिया उम्मीद का दिल में जला रह जाएगा पूछ लो तुम हाल मेरा बस…
2.01(63) मैं ! तुझे छू कर; ‘गु…ला…ब’ कर दूँगा ! ज़िस्म के जाम में, ख़ालिस शराब भर दूँगा !! तू; मेरे आगोश में, इक बार…
बचपन साथ बहारें देखें बड़े हुए बंटवारें देखें फिर आँगन में धुप ना आयी आँखे अब दीवारें देखें चल फिर रेत के महल बनायें और…
ज़िंदगी को इस—–तरह से जी लिया । एक प्याला-–फिर; ज़हर का पी लिया ॥ वक़्त के सारे ‘थ…पे…ड़े’ सह लिए । गम जो बरपा, इन…
ღღ_मैं भी लिक्खूँगा किसी रोज़, दास्तान अपनी; मैं भी किसी रोज़, तुझपे इक ग़ज़ल लिक्खूँगा! . लिक्खूँगा कोई शख्स, तो परियों-सा लिक्खूँगा; ग़र गुलों का…
इन परों में वो आसमान, मैं कहॉ से लाऊं इस कफ़स में वो उडान, मैं कहॉ से लाऊं (कफ़स = cage) हो गये पेड…
२१२२ १२१२ २२ अपने ही क़ौल से मुकर जाऊँ । इससे बेहतर है खुद में (खुद ही) मर जाऊँ ।। तू मेरी रूह की हिफ़ाजत…
इस मंच से जुड़े सभी काबिल रचनाकारों के नाम- ****उड़ान भरने दो**** अपनी आगोश में ये आसमान भरने दो, ये नये परिन्दे हैं,इन्हें उड़ान भरने…
काश! कोई तो रास्ता निकले. मुश्किलों से मेरा गला निकले. जान..छूटेगी.. उसके.. छूने से, जान आये तो मेरी जां निकले. लाख सदियों में तय नहीं…
**मेरी गज़लों में तुझे ढूढ रहे हैं ज़माने वाले** मेरी गज़लों में तुझे ढूढ रहे हैं ज़माने वाले, अब कहां तुझको छुपाऊं छोड़ के…
ताज़ा गज़ल- मेरा ये हुक्म है सांसों::Er Anand Sagar Pandey मेरा ये हुक्म है सांसों कि एहतियात रहे, वो रहे ना रहे ता-उम्र…
एक पुरानी गज़ल- **ख्वाबों की फसलें आज भी मैं बोया करता हूं::गज़ल** हक़ीक़त जान ले कि रात भर मैं रोया करता हूं,…
???????? ग़ज़ल ——— डगमगाती सी नाव है भाई । भाइयों में तनाव है भाई ।। याद कैसे रहे लगी दिल की । आज झूठा लगाव…
**समझदार लोग धूल फांकते हैं::आनन्द सागर** जो अपने आगे दूसरों को कम में आंकते हैं, ऐसे ही समझदार लोग धूल फांकते हैं l …
रात भर करवटें मैं बदलता रहा अँधेरो में खुद को छलता रहा टूटा नहीं जमाने की चोट से साँसों की तपिश से पिघलता रहा ताल्लुक…
कदम हैं अब भी हरकत में कहीं ठहरा नहीं हूं मैं, यक़ीनन टूट चुका हूं मगर बिखरा नहीं हूं मैं l अभी भी आईने में…
पुरानी डायरियों से- **अब बात मेरी जान पे है::गज़ल** जेहन में दर्द जो उठता है आसमान पे है, बात ये है कि अब बात मेरी…
उपर चढ़ते , नीचे जाते ईमान खरीदे बेचे जाते ~ ए सी कमरों में बैठ कर क्या क्या नहीं सोचे जाते ~ सियासत का पहला…
**तेरे दर से उठे कदमों को::गज़ल** तेरे दर से उठे कदमों को किस मंज़िल का पता दूंगा मैं, भटक जाऊंगा तेरी राह में और उम्र…
लहू के आसूँ रोना, बमुश्किल समझ आएगा किसी से दिल लगा लो बस तजुर्बा खुद ही मिल जाएगा / जर्रा-ए-ख़ामोशी में है क्या रक्खा यहाँ…
मन की बात खुदा ही जानें आँखें तो दिल की सुनती हैं, जिनसे पल भर की दूरी रास नहीं उनसे ही निगाहें लड़ती हैं, दिल…
एक ताज़ा ग़ज़ल के चन्द अश’आर आप हज़रात की ख़िदमत में पेश करता हूँ; गौर कीजिएगा… चाहता था जिसे जिन्दगी की तरह, वो रहा बेवफ़ा…
कश्तियाँ समंदर को ठुकराने लगी है.. तुमसे भी बगावत की बू आने लगी है.. मत पूछिए क्या शहर में चर्चा है इन दिनों.. मुर्दों की…
कतरा-कतरा करके समन्दर निकाल दूंगा मैं, मैने तय किया है अपनी आंखें खंगाल दूंगा मैं ll मेरे सदमों का सबब तुम हो ये राज राज…
देखना उनकी नियत भी बे-असर हो जायेगी, चालबाज़ी जब हमारी कारगर हो जायेगी. देखना है खेल मुझे साफ़ पौशाको का उस दिन, भोली जनता जब…
तेरी बुराईयों को हर अखबार कहता है, और तू है मेरे गाँव को गँवार कहता है. ऐ शहर मुझे तेरी सारी औकात पता है, तू…
****बगावत कर लेंगे::गज़ल**** छुप के बैठे हैं कई अल्फाज़ मेरे होठों की तहों में, तुम कोई बात करोगे तो ये बेबात बगावत कर लेंगे…
**…..TERA NAAM…..** Mere Honthoon Per Jab Bhi Tera Naam Aaya Aankh Main Aansu, Haath Main Jaam Aaya Tere Ishq Ki Talab DIl Ko Aaisi Padi…
मस्जिदों में काश की भगवान हो जायें मंदिरों में या खुदा आजान हो जाये ! ईद में मिल के गले होली मना लेते काश दिवाली…
“मातृ दिवस पर चंद पंक्तियां ” …………………………………………….. जमाने में जो सच है जरा उसको बताइए दौर-ए भरम है युं नही बातें बनाईए | युं कहकहे…
मेरी पुरानी रचना… ……………………….. खाक पर बैठ कर इतना भी इतराना क्या दर्द चेहरे पे लिखा है इसे छिपाना क्या…! कब कहां किस तरह से…
भूल कर भूल से ये भूल मत किया किजे कभी किसी को भरोसा नही दिया किजे | मुकर गर जाइये करके करार दिलवर से इस…
……………गजल…………. हम समंदर को समेटे चल रहे है ठंडे पानी में भी हम उबल रहे है ! दुश्मनों के पर निकलते जा रहे है देख…
“गजल” चलो इक बार हम एक दुसरे में खो कर देख लें चलो इक बार हम एक दुसरे के होकर देख लें ! बिताएँ है…
जिन्दगी जब भी मुस्कुराती है गीत उनके ही गुनगुनाती है | पलक गीरते जो पास होती है आँख खुलते ही चली जाती है || कदम-कदम…
तेरी आँखों में रहूँगी तो सँवर जाऊँगी गर तेरे बदले मिले दुनिया मुकर जाऊँगी ख्याल हूँ कैद न कर तू मुझे इन पलको में खुशबू…
तेरी तस्वीर रू ब रू कर ली जब भी जी चाहा गुफ्तगू कर ली हम ने दिल में बसा लिया तुम को अपनी हर सांस…
” गजल ” जहर मौत और जिन्दगी भी जहर है सिसकती है रातें दहकता शहर है | सदमों का आलम बना हर कही पर सहम…
हिसारे जात से बाहर निकल के देखते हैं चलो खुद का नज़रिया हम बदल के देखते हैं … सफर का शौक है हम को कहीं…
कौन है जिसने ज़ख्मों को सहलाया है चेहरे पर मुस्कान सजाये आया है क्या ग़म है, यह कैसा हाल बनाया है फूल सा हंसमुख चेहरा…
कौन है जिसने ज़ख्मों को सहलाया है चेहरे पर मुस्कान सजाये आया है क्या ग़म है, यह कैसा हाल बनाया है फूल सा हंसमुख चेहरा…
नींद भी आती नहीं.. रात भी जाती नही.. कोशिशें इन करवटों की.. रंग कुछ लाती नहीं.. चादरों की सिलवटों सी हो गई है जिंदगी..…
कागज पे हालाते-दिल लिखते हुये इक दिन मौत आ जानी है मुझे मरते , तड़पते , बिलखते हुये इक दिन मौत आ जानी है !!…
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