ग़ज़ल

बंधु ! शक्ति–स्वरूपा माँ दुर्गा की आराधना के अकल्पनीय दिवस और अंतत: वैभव एवं विजय के पर्व ‘दशहरा’ पर मन–मानस में व्याप्त ‘लोभ–मोह–आघात’ के प्रतीक…

ग़ज़ल

2.01(63) मैं ! तुझे छू कर; ‘गु…ला…ब’ कर दूँगा ! ज़िस्म के जाम में, ख़ालिस शराब भर दूँगा !! तू; मेरे आगोश में, इक बार…

यादें

बचपन साथ बहारें देखें बड़े हुए बंटवारें देखें फिर आँगन में धुप ना आयी आँखे अब दीवारें देखें चल फिर रेत के महल बनायें और…

ग़ज़ल

ज़िंदगी को इस—–तरह से जी लिया । एक प्याला-–फिर; ज़हर का पी लिया ॥ वक़्त के सारे  ‘थ…पे…ड़े’  सह लिए । गम जो बरपा, इन…

“ग़ज़ल लिक्खूँगा!”

ღღ_मैं भी लिक्खूँगा किसी रोज़, दास्तान अपनी; मैं भी किसी रोज़, तुझपे इक ग़ज़ल लिक्खूँगा! . लिक्खूँगा कोई शख्स, तो परियों-सा लिक्खूँगा; ग़र गुलों का…

कफ़स

इन परों में वो आसमान, मैं कहॉ से लाऊं इस कफ़स में वो उडान, मैं कहॉ से लाऊं   (कफ़स  = cage) हो गये पेड…

ग़ज़ल

२१२२ १२१२ २२ अपने ही क़ौल से मुकर जाऊँ । इससे बेहतर है खुद में (खुद ही) मर जाऊँ ।। तू मेरी रूह की हिफ़ाजत…

ग़ज़ल

काश! कोई तो रास्ता निकले. मुश्किलों से मेरा गला निकले. जान..छूटेगी.. उसके.. छूने से, जान आये तो मेरी जां निकले. लाख सदियों में तय नहीं…

ग़ज़ल

उपर चढ़ते , नीचे जाते ईमान खरीदे बेचे जाते ~ ए सी कमरों में बैठ कर क्या क्या नहीं सोचे जाते ~ सियासत का पहला…

“आँखें”

मन की बात खुदा ही जानें आँखें तो दिल की सुनती हैं, जिनसे पल भर की दूरी रास नहीं उनसे ही निगाहें लड़ती हैं, दिल…

जिन्दगी

एक ताज़ा ग़ज़ल के चन्द अश’आर आप हज़रात की ख़िदमत में पेश करता हूँ; गौर कीजिएगा… चाहता था जिसे जिन्दगी की तरह, वो रहा बेवफ़ा…

गजल

मस्जिदों में काश की भगवान हो जायें मंदिरों में या खुदा आजान हो जाये ! ईद में मिल के गले होली मना लेते काश दिवाली…

गजल

“मातृ दिवस पर चंद पंक्तियां ” …………………………………………….. जमाने में जो सच है जरा उसको बताइए दौर-ए भरम है युं नही बातें बनाईए | युं कहकहे…

गजल

मेरी पुरानी रचना… ……………………….. खाक पर बैठ कर इतना भी इतराना क्या दर्द चेहरे पे लिखा है इसे छिपाना क्या…! कब कहां किस तरह से…

गजल

भूल कर भूल से ये भूल मत किया किजे कभी किसी को भरोसा नही दिया किजे | मुकर गर जाइये करके करार दिलवर से इस…

गजल

……………गजल…………. हम समंदर को समेटे चल रहे है ठंडे पानी में भी हम उबल रहे है ! दुश्मनों के पर निकलते जा रहे है देख…

गजल

“गजल” चलो इक बार हम एक दुसरे में खो कर देख लें चलो इक बार हम एक दुसरे के होकर देख लें ! बिताएँ है…

गजल

जिन्दगी जब भी मुस्कुराती है गीत उनके ही गुनगुनाती है | पलक गीरते जो पास होती है आँख खुलते ही चली जाती है || कदम-कदम…

ग़ज़ल

तेरी तस्वीर रू ब रू कर ली जब भी जी चाहा गुफ्तगू कर ली हम ने दिल में बसा लिया तुम को अपनी हर सांस…

गजल

” गजल ” जहर मौत और जिन्दगी भी जहर है सिसकती है रातें दहकता शहर है | सदमों का आलम बना हर कही पर सहम…

Ghazal

हिसारे जात से बाहर निकल के देखते हैं चलो खुद का नज़रिया हम बदल के देखते हैं … सफर का शौक है हम को कहीं…

ग़ज़ल

कौन है जिसने ज़ख्मों को सहलाया है चेहरे पर मुस्कान सजाये आया है क्या ग़म है, यह कैसा हाल बनाया है फूल सा हंसमुख चेहरा…

ghazal

कौन है जिसने ज़ख्मों को सहलाया है चेहरे पर मुस्कान सजाये आया है क्या ग़म है, यह कैसा हाल बनाया है फूल सा हंसमुख चेहरा…

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