*मां की याद*

जब भी होती हूं उदास, बहुत याद आती हो मां याद आती हैं बचपन की बातें, मेरे लिए जागती, तुम्हारी रातें याद आता है…. तुम्हारा…

*वही एहसास*

थकान नहीं मुझे,आराम चाहिए तू दूर नहीं, मेरे पास चाहिए आंख लग जाए आज जी भर के मेरी, मां, तेरी गोदी का वही एहसास चाहिए..…

*नटखट देवर*

भाभी के पीछे-पीछे, देवर डोल रहा है भाभी-भाभी, कहता-कहता, देखो क्या बोल रहा है बोला, भाभी तुम सबसे सुन्दर भाभी बोली काम बताओ, यूं ना…

दर्द..

दर्द से ही उपजे कविता, ये तो सबने ही जाना दर्द में भी हंस सके जो, उसे ज़माने ने माना *****✍️गीता

*दिल*

जो हरदम काम करे, तनिक भी ना आराम करे वो दिल ही तो है, ख़ुश रखना उसे सर्वदा, औरों का हो, या हो अपना.. *****✍️गीता

*बेला*

मेरा नाम बाबूजी ने, बड़े लाड से रखा था बेला…… मेरे जन्म पर एक पौधा भी रोपा था, बेला का….. बेला के फूल की तरह,…

हमसफ़र

किसी का कोई हमसफ़र, कहीं खो जाए अगर तो ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए, उसे ढूंढ़ कर ले आएं घर गलती किसकी है, किस से…

*मोहब्बत*

ज़िन्दगी मोहब्बत के बिना, नहीं चलती है एक साथी है जरूरी, ना हो किसी का कोई, हमसफ़र, तो उसकी कमी खलती है हमसफ़र की आंखों…

पनघट

पनघट से पानी लाती नारी की तस्वीर सजाली कमरे में, उस रईस ने ये कभी ना सोचा, ये कौन से गांव की है । *****✍️गीता

बिजलियां

अपने ही गिराते हैं, इस दिल पे बिजलियां गैर तो हल्का सा धक्का लगने पर भी, माफ़ी मांग लिया करते हैं । *****✍️गीता

*वो कौन था*

*******हास्य – रचना******* वो बाहर आना चाहता था, पर कुछ था.., जो उसको रोकता था कोई तो था.., जो उसको टोकता था कोरोना काल में…

“एक अवकाश”

विद्यालय से अवकाश लेकर, हमने बहुत आराम किया सारे ताम-झाम से मुक्ति लेकर, कल, ना कुछ भी काम किया बचपन की एक सखी से, दूरभाष…

*शरद पूर्णिमा*

शरद पूर्णिमा का चांद आया झिलमिल सितारों को लिए, खीर भी बनाई है कल चाव से सब खाएंगे, वो अमृत-रस बरसाएगा सौभाग्य देकर जाएगा सुन्दर…

*बचपन*

कागज़ की कश्ती चलती थी कागज़ का जहाज़ भी उड़ता था, थे अमीर बहुत तब हम, वो बचपन कितना, अच्छा था सखियों संग ,उपवन में…

*आशा की किरण*

इस भ्रामक दुनियां में, बनूं आशा की किरण अन्दर ही अन्दर आहत हुई, फ़िर भी मैं, मुस्काती हूं कोमल हूं, कमज़ोर नहीं हूं, खुद को…

*भाग्य*

भाग्य भरोसे भूल से, नहीं बैठना है मनुज प्रभु भी करते हैं, उनकी ही मदद जो अपनी मदद, आप, किया करते हैं.. यहां “आप” शब्द…

*कर्म*

कर्म ही जीवन का सार, कर्म ही प्राणों का आधार कर्म करते हुए हो इच्छा, सौ वर्ष तक जीने की कर्म नहीं तो इस दुनियां…

काव्य-गोष्ठी

काव्य-गोष्ठी का हुआ, कार्यक्रम, शानदार सावन का धन्यवाद है, आयोजन किया है पहली बार सावन कवि सतीश जी ने, लिया संचालक भार कविताओं की गूंज…

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