हिंदी दिवस
यादों के भरोसे कट रही है जिन्दगी बाकी तो मर ही चुकी थी प्रज्ञा’ तेरे इन्तज़ार में। हिंदी वो भाषा है जो हृदय की गहराईयों…
यादों के भरोसे कट रही है जिन्दगी बाकी तो मर ही चुकी थी प्रज्ञा’ तेरे इन्तज़ार में। हिंदी वो भाषा है जो हृदय की गहराईयों…
मोहब्बत में कितने फलसफे लिखे मेरे खत तेरे तकिये के नीचे मिले बुला लो अगर बुलाना है वरना आ जाओ इस दिल में तुम्हारा ही…
किताबों पे पड़ी धूल को कब से झाड़ा नहीं मैने आँगन को भी बुहारा नहीं बाल गंदे हो जाएँगे, रंग दब जायेगा, इसलिये कभी किसी…
बे इन्तेहा मोहब्बत करते हैं ये हम बहुत गलत करते हैं तू मेरे कदमों के लायक भी नहीं और हम तुझे सर पर बिठा कर…
मोहब्बत इतनी ना करो कि पागल हो जाओ इस नूरानी चेहरे के अलावा भी मेरे और रूप हैं।।
एक अर्से से… सम्भाल रखा है… ….इन पत्तों को क्योंकि …..इसी पर तुमने मोहब्बत लिखी थी…!!!
तुमने कहा- ….मेरी इबादत करोगे लाज आ गई !!!! तुम्हारी बात सुनकर…..😊
1) क्यों मजबूर हुए हम ये कभी सोंचा है?? मेरा गुरूर तो तुम्हें दिखता है वक्त मिले तो कभी सोंचना जरूर ! ये मासूम सा…
Mera guroor hi tod diya tumne… Kitna naaaz tha tum par….😞 आओ लौट चले पुराने कल में, कोई बाधा ना हो जीवन में……
इन नशीले नैनों से सम्मोहित करके कत्ल कितनों के किए होंगे तुमनें…. हादसों का शिकार हो गया मेरा प्यार भी किसी और का हो गया
मत रोको !!!! जाने वाले को जाने दो 🤗 उसको भी अपनी औकात समझ में आ जाएगी।❣ लौट के फिर वो आएगा आपके पास…. ….जब…
तू जहाँ रहे आबाद रहे जिए यूँ ही मुस्कुराकर आसमान में ज्यों सूरज वैसे ही तेरी शक्सियत जिन्दाबाद रहे।। 🙏🙏🙏🙏
जख्म खाए हुए बैठा हूँ रोता हूँ दिल में और हँसता हूँ
है क्या मजाल जो मैं तुमसे कुछ कहूँगा रो रहा हूँ मैं और रोता ही रहूँगा….
कभी कभी यूँ भी होता है वो सामने होती है और दिल गमों से चूर होता है।😭
उसकी खूबसूरत जुल्फें और मुस्कान दिल कैसे ना हो बेईमान!!!
खूबसूरत है वो ऊपर से उसकी सादगी जुबान से मोती गिरते हैं फिर भी वो हमसे प्यार करने की वजह पूछते हैं
आधार मेरी ज़िन्दगी का तू है मेरी सुबह और शाम तू है कैसे जिएंगे तेरे बिन जब मेरी आखरी साँस भी तू है
इरादा है तुम्हें अपना बनाने का मौका तो मिले पास आने का।🤣🤣
तेरे नाम की माला कब तक जपता रहूँ देख गैरों के साथ तुझे कब तक जलता रहूँ!!!
तमाशबीनों की निगाहें मुझे घूरती क्यों हैं तेरे घर में फिर से कोई जश्न है क्या ????
जीवन का हर लम्हा तेरे साथ होता !! तो ना मैं फ़िरता यूँ…. बदहवास होता!!!!
लगी थी आस तुम आओगे मेरी आवाज सुनकर तड़प उठोगे मेरी हालत देखकर मुस्कुराओगे ख्व़ाब बुनकर। ऐसा कुछ ना हुआ तू ना बदला….. जैसा था…
उन्हें खुद लिखना आता है तब भी भाव नहीं समझते हैं भावनाओं से परे हैं हाव भाव नहीं समझते हैं लाख कोशिश करें हम उनके…
आधारहीन भावनाओं का कोई अस्तित्व नहीं होता… आग में कूदी हुई किस्मत का कोई वर्चस्व नहीं होता…
बड़ा सबूत माँगते हो मेरी शख्सियत का। खुदा ने तो मेरे कदमों में जन्नत भी रख दी है।
❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ रात मायूस करती है और सुबह उम्मीद जगाती है❤
गरीब मैं नहीं तू है जिसका दिल पैसे के लिए धड़कता है और प्रेम के लिये धड़कना भूल जाता है ।
नजाने कब ख़तम होगी ज़द्दो ज़हद ज़िन्दगी की, अभी टॉक उलझा हूँ ज़िन्दगी क सवालो मे। अंदाज़ उसका बे मिसाल था,बेवफाई उसने की, मगर मई…
उदास रहा है चेहरा उदास रहेगा तुझे खो कर के ये कभी ना हँसेगा
दुनिया क्या कहेगी ये सोचेगा तो रुक जाएगा सफलता के लिए तपना पडे़गा , जितना तपेगा उतना निखर जाएगा मेहनत के बल पर ये जमाना…
Mana ki Zindagi ek kowaishon ka samandar hai,har khowaishe puri hon ye zaruri to nahi. ———————- Na jane kab khatam hogi jaddo-zahad zindagi ki,abhi talak…
कितनी बार सोंचा तुम्हारे बारे में ना सोंचूं, यही सोंचते सोंचते रात हो गई।
Sabka bhla soch k itna achha krte krte; Apna itna bura kr gyi, pta hi na chla… Ek naariyal ka kirdaar tha mera, Kyu mera…
सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं ~ मुहम्मद आसिफ अली
पैर थक गए हैं तेरी ठोकरों से, ए जिंदगी! मगर कहता! हौसला इन पैरों का, ज़फ़र तो हम भी नहीं छोड़ेंगे। और तेरे सितमों का…
बारिश की एक फुहार से, सुखे पेड़ में भी जान आ जाती है और जब होता है जिक्र प्यार का, मुझे मेरी मां याद आ…
तकलीफ अंदर के शोर से है, तनहाई तो यूँ ही बदनाम होती है। गिरता है खारा जल जब भी ऑंख से, वह सुबह वह शाम,…
इन्तज़ार की भी एक हद होती है, ————————– आज इन्तज़ार की सारी हदें पार कर दी हमनें…
तुम भी सही थे और हम भी सही थे, बस समय की मार थी और सारे पैतरे गलत थे।
हम अपनी तकलीफें किसी को बता नहीं सकते, कोई तमाशा ना बना दे मेरी बेबसी का इसलिए किसी को दिल के छाले दिखा नहीं सकते।
मेरी शराफत को लोग मेरी कमजोरी समझते हैं नासमझ है वह लोग जो मुझे नासमझ समझते हैं।
गूंगी नहीं हूं मैं मुझे भी बोलना आता है बस मेरे संस्कार मुझे मौन कर देते हैं।।
जिंदगी जिस राह पर चल रही है, उसकी कोई मंजिल नहीं है, कश्ती साहिल पे थी सही, मजधार में डूब रही है, कत्ल हुआ है…
जिंदगी जिस राह पर चल रही है, उसकी कोई मंजिल नहीं है, कश्ती साहिल पे थी सही, मजधार में डूब रही है, कत्ल हुआ है…
एक दूसरे पर उंगली उठाते-उठाते जीवन गुजर जाता है, पर एक कवि ही है जो स्वयं की कमियों को ढूंढ पाता है।
मन को सम्भाल कर रखा है तेरी यादों को सहेज कर रखा है आँख में आँसू रोज आने लगे हैं, क्योंकि जो कल मेरा था…
जो सावन में भी न मिल पाया वो ये माह कहां से देगा इस महीने का तो नाम ही “सितम-बर” है ये रहम कहां से…
पियक्कड़ों के शहर में शरबत ढूंढ रहा हूं खारे सागरों से मीठा पानी पुकारता रहा हूं अपने हाथों से अंजुली भर के पानी पिलाती हो…
छुपाकर ही रखना बेबसी, मानुष ! दिल ए इज़हार मत करना, कर लेना बातें,परछाईं से अपनी, जमाने को दीदार मत करना, और बैठे हैं लोग…
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