आज की नारी

March 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज की नारी,
सीमित नहीं है
घर की चार दिवारी तक।
तन से कोमल मन से सशक्त
है नारी …
निभाए दोहरी ज़िम्मेदारी।
शिक्षा, चिकित्सा का क्षेत्र हो,
या हो फिर विज्ञान।
आज की नारी ने,
बनाया हर क्षेत्र में स्थान।
हर कला में पारंगत है,
पाती है समाज में सम्मान।
घर भी संभालती है,
काम पर भी जाना है
दोनों ही स्थानों पर,
उसका ठिकाना है।
आज हर क्षेत्र में,
नारी का बोलबाला है।
करती है सारे काम फिर भी मुस्कुराए,
बस थोड़ा सा प्यार
और थोड़ा सा सम्मान ही तो चाहे।।
_____✍️गीता

प्रोत्साहन

March 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्री बोर्ड की परीक्षा का,
परिणाम जब आया
उसने अपेक्षा से कम ही अंकों को पाया।
“क्यों अंक अच्छे नहीं आए हैं तेरे”
वह खाता था डाँट पिता से साँझ और सवेरे।
रोज़-रोज़ की डाँट से,
एक दिन तंग आया
घर छोड़ने का उसने मन बनाया।
दो-तीन जोड़ी कपड़े भरकर,
वह बस्ते में लाया,
अपनी इस इच्छा को,
अपने एक साथी को बतलाया।
साथी छात्र ने उसको बहुत समझाया,
अरे प्री बोर्ड ही तो है भाई
,सालाना परीक्षा में अभी समय है
करो और तैयारी।
साथी छात्र ने चुपके से,
शिक्षिका को यह बात बताई
शिक्षिका सुनते ही बहुत अधिक घबराई।
फोन मिलाया उसके पिता को
और उसके घर आई।
प्री बोर्ड में अंक कम ही देते हैं हम,
यह राज़ की बात पिता को समझाई।
बच्चे को प्रोत्साहित करना,
इसी में है सबकी भलाई।
हतोत्साहित ना करना उनको,
उनकी किशोरावस्था है आई।
शिक्षिका की बातें सुनकर,
“पिताजी” को समझ आई।
हाथ जोड़कर बोले वो,
अब नहीं डाँटूगा उसको।
प्रोत्साहन ही देंगे हम,
यह कसम है खाई।।
_____✍️गीता

चाँद सदा ही मुस्काए

March 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

दर्पण कब खुद सजता है,
दर्पण के आगे हम सजें।
चाँद रहता है गगन में,
पर मुझे लगे उतरे मेरे आँगन में
हर रात को जब मैं सो जाऊं,
वो रजत छिड़कने आ जाए
तारों की सुन्दर टोली संग,
चाँद सदा ही मुस्काए।।
_____✍️गीता

गौरैया दिवस

March 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

पता नहीं कहाँ खो गई,
वह छोटी सी प्यारी सी चिरैया।
फिर से खेलने, फुदकने को,
आँगन में आओ प्यारी गौरैया।
किस की बुरी नजर है तुम पर,
यह हमको बतलाओ।
चीं-चीं चूँ-चूँ करने को,
फ़िर आँगन में आओ।
किसी बात पर गुस्सा हो क्या,
या हो तुम घबराई
कितने दिन और साल बीते,
तुम नजर ना आई।
देख कर तुमको बचपन में,
मैं कितना मुस्काती थी
छत पर रखकर कुछ दाना पानी,
तुम्हें खाते-पीते देख खिलखिलाती थी।
सुनो तुम्हारे लिए ही,
गौरैया दिवस बनाया है
आज गौरैया दिवस मनाया है।
आजा छोटी सी चिरैया,
तुमको सभी ने बुलाया है।
किसी ने भी नहीं भुलाया है।।
______✍️गीता

ख़ामोशी का हलाहल

March 19, 2021 in मुक्तक

ख़ामोशी की तह में,
छिपा कर रखते हैं हम,
अपने सारे ग़म।
क्योंकि कर के कोलाहल,
दिखाकर दुःख दर्द अपने
नहीं मिटेंगे अन्धेरे ज़िन्दगी के।
पीना ही पड़ता है,
ख़ामोशी का हलाहल
ज़िन्दगी के कुछ उजालों के लिए ।।
_____✍️गीता

प्रकृति का नियम

March 19, 2021 in गीत

नफ़रतों के बीज बोकर,
प्रेम की फ़सलें उगाना।
कैसे सम्भव हो सकेगा,
यह जरा हमको बताना।
शूल बो कर शूल उगेंगे,
फूल बो कर फूल उगेंगे।
यह तो प्रकृति का नियम है,
इसमें कैसा है समझाना।।
_____✍️गीता

ज़िन्दगी की राहें

March 18, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़िन्दगी की राहें,
सदा कुछ सिखाती ही जाएँ।
कुछ लोग हाथ पकड़ कर,
काम निकाल, छोड़ दें झटक कर।
पकड़ कर राह सच्चाई की,
कुछ निभाएँ साथ भी।
रंग-बिरंगी दुनिया है यह,
रंग सभी दिखलाते हैं
कुछ पक्के कुछ कच्चे रंग।
यहां-वहां दिख ही जाते हैं।।
______✍️गीता

कठपुतली

March 18, 2021 in मुक्तक

कठपुतली तो देखी होगी ना….
हाँ, वही काठ की गुड़िया।
जिसकी डोर रहती है सूत्रधार के हाथों में,
वह अपनी उँगलियों से जैसे चाहे,
उसे नचाता है….
दर्शकों को भी आनन्द आता है।
लगता है कि उसमें जान है,
लेकिन, कहां….
वह तो बिल्कुल बेजान है।
नाचती रहती है सूत्रधार के इशारों पर केवल।
इशारों पर नाचोगे,
तो नचाएगा यह जमाना…
हे प्रभु, कभी किसी को किसी की कठपुतली न बनाना।।
_______✍️गीता

शिक्षा पर हो सबका अधिकार

March 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

शिक्षा सबके लिए जरूरी,
शिक्षा बिन ज़िन्दगी अधूरी।
शिक्षा से ही है सम्मान,
शिक्षित की एक पृथक पहचान।
शिक्षा समृद्धि की कुंजी है,
शिक्षा से मिलें संस्कार।
शिक्षा मानवता का धर्म सिखाए,
शिक्षा से हो आचरण में निखार।
शिक्षा उज्जवल भविष्य का साधन है,
शिक्षा पर हो सबका अधिकार।।
_____✍️गीता

आशा की किरण

March 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज्यों सूर्य की किरण,
मिटा देती है धरा का तम।
वैसे ही एक आशा की किरण,
संचार कर देती है खुशियों का
बन कर जीवन की तरंग।
आशा न टूटे कभी,
निराश न होना मनुज।
आशा पर ही टिका है,
भावी जीवन का आधार।।
______✍️गीता

जीवन शैली क्यों बदल रहे हो

March 15, 2021 in गीत

अभी कोरोना खत्म नहीं है,
अभी से घर से क्यों निकल रहे हो।
अभी तो वैक्सीन लगी नहीं है,
बढ़ रहा है यह रोग फ़िर से,
यह बात समझ क्यों नहीं रहे हो।
मास्क भी उतार फेंका,
सामाजिक दूरी भी नहीं है।
ऐसा गजब तुम कर क्यों रहे हो।
अभी कोरोना खत्म नहीं है,
अभी से,जीवन शैली क्यों बदल रहे हो।।
_____✍️गीता

कविता की समीक्षा

March 15, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

*******हास्य रचना******
जब कोई करता है,
मेरी कविता की बुराई,
आत्मा रोती है मेरी,
देती है रो-रो दुहाई।
मरहम सा लग जाता है,
उस वक्त…..
जब आती हैं समीक्षाएं,
दिल प्रसन्न हो उठता है।
देने लगता है दुआएं।।
_____✍️गीता

कोरोना खत्म नहीं हुआ है

March 15, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोरोना खत्म नहीं हुआ है,
फिर भी बाहर घूमें लोग।
मास्क भी नहीं लगा हो तो,
लग जाएगा रोग।
लग जाएगा रोग सेहत ठीक ना होगी।
कहे “गीता” बाहर घूमना बंद करो तुम,
नहीं रहोगे ठीक बन जाओगे रोगी।
रहे जरूरी काम , बाहर तभी जाना तुम,
इस डिजिटल युग में हो जितना संभव,
घर से ही अपना काम करें हम।।
____✍️गीता

*नज़्म कोई मोहब्बत की*

March 14, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुना दो आज मुझको तुम,
नज़्म कोई मोहब्बत की।
हो जिसमें बस बात,
कुछ तेरी कुछ मेरी।
छोड़कर सब दुख दर्द दुनियां के,
चलो, वक्त कुछ साथ बिताते हैं।
कह दो आप कुछ अपनी,
कुछ हम अपनी सुनाते हैं।
मौसम भी सुहाना है
सुहानी साँझ आई है,
चलो पूछें साँझ से आज,
क्या सौगात लाई है।।
______✍️गीता

कर्म ही तेरा स्वाभिमान है

March 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर्म किए जा ए इन्सान,
फल की चिंता मत करना
फल तो देगा ही भगवान।
महाभारत के दौरान,
अर्जुन के हृदय में उत्पन्न हुए थे
कुछ भ्रम-भाव,
उनका करने समाधान।
श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था,
अर्जुन की दुविधा को दूर किया था।
शरीर अस्थाई है आत्मा है स्थाई,
आत्मा अजर है आत्मा अमर है।
तन केवल आत्मा का परिधान है।
तेरा कर्म ही तेरा स्वाभिमान है
यही तो गीता का ज्ञान है।
कर्मों से ही हे मानव तेरा सम्मान है।।
_____✍️गीता

माँ

March 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ ममता का सागर है,
प्रेम का छलकता गागर है।
माँ की महिमा को यूं जानें,
कि माँ हमें इस दुनियाँ से,
नौ माह पूर्व ही जाने।
हमें यह दुनियाँ दिखाने को,
प्रभु ने चुन लिया माँ को।
प्रभु का प्रतिनिधि है माँ,
माँ ही है प्रथम गुरु,
माँ से ही यह जीवन शुरू।।
_____✍️गीता

बरखा रानी

March 12, 2021 in गीत

देखो ये बादल बिना फ़िकर
उड़ते फिरते इधर-उधर।
कभी-कभी करते शैतानी,
छम-छम खूब बरसाते पानी।
सूख रही थी मेरी बगिया,
जल बरसाने आए मेघा।
बरखा रानी को संग लाए।
बरस गई जब बरखा रानी,
चलने लगी पवन सुहानी,
मौसम हो गया है रूमानी।।
_____✍️गीता

*एक-दूजे के लिए*

March 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

नारी स्नेह की मूरत है,
लुटाती प्रेम और ममता।
पुरुष पौरुष की सूरत है,
उसका प्रेम नहीं थमता।
देता है अधिक दिखावा करे कम,
दे खुशियां मिटा दे गम।
नारी ममता की मूरत है,
पुरुष संघर्ष की सूरत है,
दोनों को ही इस जहां में,
एक-दूजे की जरूरत है।।
____✍️गीता

शिव रात्रि,उमा महादेव के विवाह की वर्ष गांठ

March 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हर ओर सत्यम शिवम सुंदरम,
हर हृदय में हर-हर हैं।
गरल कंठ में धारण कर,
वो सरल भोले शंकर हैं
व्याघ्र खाल तन पर लपेटे,
भस्म-भभूत ललाट पर लगाए
डम-डम डमरू बाजे जिनका,
वो गिरीश गंगाधर हैं।
कर में जिनके त्रिशूल साजे,
वाम अंग “मां”गौरी विराजें
शिरोधरा में विचरें भुजंग
वो आशुतोष,शिव शंभू शंकर,
वो विश्वनाथ वो नीलकंठ,
पीड़ा का सबकी कर दें अंत।
चंद्र शिखर पर धारण करते,
वो चंद्रशेखर वो महादेव,
कैलाश पति को है नमन।
आज शिव रात्रि है,
उनके विवाह की वर्ष-गांठ।
आज अपने विवाह की वर्ष-गांठ पर,
घूम रहे हैं कैलाश पर,
गौरीनाथ थाम कर हाथ,
निज वनिता का।
है अनंत काल तक साथ,
दिवस हो या रात
अभिनंदन है उमा-महादेव का।
ललाट पर लगाकर चंदन,
करें उमा-महादेव का वंदन।
पूजा में अर्पित करें,
बेलपत्र भांग, धतूरा,
दूध शहद रोली-मौली
धूप दीप नैवेद्य से,
पूजन हो गौरी महेश का।
पंच फल, गंगाजल
अर्पण हो वस्त्र, जनेऊ और कुमकुम का।
इस प्रकार अभिनंदन हो मां पार्वती और शिव का
पुष्पमाला, शमी का पत्र,
खसखस लोंग सुपारी पान,
खुशबूदार इलायची द्वारा,
करें उमा-महादेव का स्वागत सम्मान।
समग्र सृष्टि है जिनकी शरण में,
कर बद्ध नमन है,उमा-महादेव के चरण में।।
______✍️गीता

मेहनत

March 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी अपनी मेहनत का,
खाए सब संसार
कह गए विद्वान लोग,
यही जीवन का सार
जैसे हांडी काठ की,
चढ़े ना दूजी बार।
चढ़े न दूजी बार,
एक बार ही चढ़ती है,
मेहनत ही है जो,
किस्मत से भी लड़ती है।।
_____✍️गीता

गुलाब से बिखर गए

March 10, 2021 in गीत

फिज़ाओं में गुलाब से बिखर गए,
उनके आने से हम और निखर गए।
सखियां भी पूछे हमें घेर कर,
किसका हुआ है यह तुम पर असर।
इठलाती, शरमाती सी फिरती हूं,
लहराती जाए मेरी नीली चुनर।
ह्रदय के तार झंकृत होने लगे,
जब से पड़ी है उनकी नजर।
नज़र न लग जाए कहीं हमें,
नज़र बचाकर भागूं इधर-उधर।।
_____✍️गीता

दुआओं की पोटली

March 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुश रहो कहकर,
दुआओं की पोटली
माता-पिता ने,
चुपके से सर पर छोड़ी।
पता भी न चलने दिया,
हर बार यही किया।
और हम नासमझ,
ज़िंदगी भर कामयाबी को,
अपना मुकद्दर मानते रहे।।
_____✍️गीता

सूझ-बूझ

March 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हड़बड़ी में कभी-कभी,
हो जाती है गड़बड़ी।
इसलिए जो भी करना है
सोच समझ कर करना है।
कोई हमें डराए तो,
नहीं किसी से डरना है।
सूझ-बूझ से काम करें हम,
आए रौशनी मिटेंगे सारे तम।।
____✍️गीता

वह नारी है

March 8, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

होली के रंगों सी मुस्कुराए,
दीवाली के दीपों सी जगमगाए,
बेटी बनकर घर महकाती है,
बहन बनकर लुटाती है स्नेह
बनकर वनिता और वधू
दूजे का घर अपनाती है।
प्रयत्न करती है,सबको सुख देने का,
प्रेम से उस घर को अपना बनाती है।
दे कर जन्म इन्सान को,
उसे इन्सानियत सिखाती है।
प्रभु की नेमत है वह,
रचती सृष्टि सारी है,
ज़रा से प्यार के बदले,
सर्वस्व लुटा दे, वह नारी है।।
______✍️गीता
*अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*

मोहब्बत के एहसास

March 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिन्दा रहते हैं मोहब्बत के एहसास,
करते हैं सदैव हृदय में वास।
महकते हैं गुल बनकर यादों में,
नहीं मोहताज हैं किन्हीं वादों के।
बहुत खास होते हैं ये एहसास,
प्रिय के पास होने का दें आभास।
फ़िर कोई दूरी नहीं सताती है,
प्रिय की याद जब आती है
बहुत काम आते हैं ये एहसास,
विरह के पलों में,
खुशी देने का करते हैं प्रयास,
करते हैं सदा ही ह्रदय में वास।।
____✍️गीता

जीवन की पहेली

March 4, 2021 in गीत

मैं दौड़ती ही जा रही थी,
ज़िन्दगी की दौड़ में।
कुछ अपने छूट
गए इसी होड़ में।
मैं मिली जब कुछ सपनों से,
बिछड़ गई कुछ अपनों से।
दौड़ती जा रही थी मैं,
किसी मंज़िल की चाह में,
कुछ मिले दोस्त,
कुछ दुश्मन भी मिले राह में।
कभी गिरती कभी उठती थी,
इस तरह मैं आगे बढ़ती थी।
कभी चट्टाने थी राहों में,
कभी धधकती अनल मिली।
कहीं-कहीं दम घुटता था,
कहीं महकती पवन मिली।
यूं ही तो चलता है जीवन,
कैसी यह जीवन की पहेली।
कुछ यादों के फूल खिले,
कुछ खट्टी-मीठी स्मृति मिली।।
______✍️गीता

*नेकी*

March 2, 2021 in गीत

नेकी कर दरिया में डाल,
यह कहावत बड़ी कमाल।
आओ सुनाऊं एक कहानी,
नेकी करने की उसने ठानी।
उस ने नेकी कर दरिया में डाली,
वह नेकी एक मछली ने खा ली।
नेकी खाकर मछली हो गई,
खुशियों से ओत प्रोत।
नेकी कर और बन जा,
किसी की खुशियों का स्रोत।।
_____✍️गीता

मुस्कुराना

February 28, 2021 in गीत

मुस्कुरा कर बोलना,
इन्सानियत का जेवर है।
यूं तेवर न दिखलाया करो,
हम करते रहते हैं इंतज़ार आपका,
यू इंतजार न करवाया करो।
माना गुस्से में लगते हो,
बहुत ख़ूबसूरत तुम
पर हर समय गुस्से में न आया करो।
बिन खता के ही खतावार से रहते हैं हम,
यूं न हमें डराया करो।
एक दिन छोड़ देंगे हम ये जहां,
फिर ढूंढोगे तुम हमें कहां।
तो मुस्कुराओ जी खोलकर,
कह दो जो कहना है बोलकर।
हमको यूं न सताया करो,
मुस्कुराना इन्सानियत का जेवर है।
यूं तेवर न दिखलाया करो।।
____✍️गीता

जीवन

February 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब्र की जरूरत है,
समय सब कुछ बदलता है।
परिवर्तनशील इस संसार में,
सांझ तक सूर्य भी ढलता है।
जीवन में श्रेष्ठ कर्म करो,
यह रामायण सिखाती है।
द्वेष,बैर भाव और लालच को,
महाभारत दर्शाती है।
महाभारत ग्रंथ ने इनका,
दुखद परिणाम दिखाया है।
श्री कृष्ण ने दे उपदेश गीता का,
जीवन जीना सिखाया है।।
_____✍️गीता

वह बेटी बन कर आई है

February 28, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक युवती बन कर बेटी,
मेरे घर आई है।
अपने खेल खिलौने माँ के घर छोड़कर,
हाथों में लगाकर मेहंदी
और लाल चुनर ओढ़ कर
मेरे घर आई है।
छम छम घूमा करती होगी,
माँ के घर छोटी गुड़िया सी
झांझर झनकाकर, चूड़ियां खनका कर,
मेरे घर आई है।
बेटी बन चहका करती थी,
बहू बन मेरा घर महकाने आई है।
एक युवती बन कर बेटी,
मेरे घर आई है।
अपनी किताबें वहीं छोड़कर,
उन किताबों को भीतर समाए
मेरे पुत्र के नाम का
सिन्दूर माँग में सजाए,
वह बेटी से माँ का सफर
तय करने आई है।
एक युवती बन कर बेटी,
मेरे घर आई है।
हर दिवाली पर,
जो सजाती थी माँ का घर,
अब रौनक बन कर
मेरे घर रंगोली बनाने आई है
मेरे घर को अपना बनाने आई है।
एक युवती बन कर बेटी,
मेरे घर आई है।।
____✍️गीता

राधा मोहन गीत

February 27, 2021 in गीत

कान्हा ने बोला राधा से,
तेरी ये अखियां कजरारी।
मन मोह लेती हैं मेरा प्यारी,
इठलाती फिर राधा बोली।
मोहन तुम्हारी मीठी बोली,
हर लेती है हिय को मेरे,
भागी भागी आती हूं सुन,
मीठी तेरी बंसी की धुन।
कान्हा बोले मृदुल भाषिणी,
सुन मेरी सौन्दर्य राषिणी
तुम हो सदा ही परम पुनीता,
तुमने मेरा मन है जीता।
तुम हो मन की अति भोरी,
तुम सबसे प्रिय सखि मोरी।।
____✍️गीता

शान्ति का पथ

February 27, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्रोध हर लेता है मति,
करता है तन-मन की क्षति।
क्रोध की ज्वाला में न जल,
क्रोध तुझे खाएगा प्रति पल।
क्रोध का विष मत पीना,
मुश्किल हो जाए जीना।
छवि नहीं देख पाता है कोई,
कभी उबलते जल में।
सच्चाई ना देख सकोगे,
कभी क्रोध के अनल में।
क्रोध में होगी तबाही,
शान्ति में ही है तेरी भलाई।
शान्ति का पथ अपना ले,
शान्ति की शक्ति पहचान
शान्ति में ही सुख मिलेगा,
शान्ति में है तेरी शान।।
_____✍️गीता

स्नेह की संजीवनी

February 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब हर ओर निराशा हो,
आशा की किरण दिखा देना।
जब राहों में हो घोर निशा,
दीपक बन कोई राह दिखा देना।
कोई साथ दे ना दे,
तुम अपना हाथ बढ़ा देना।
दर्द में जब कोई तड़प रहा हो,
स्नेह की संजीवनी पिला देना।
बनकर पथ प्रदर्शक किसी का,
उसके जीवन में उल्लास जगा देना।।
_____✍️गीता

लालच वृद्धि करता प्रति पल

February 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जंगल का दोहन कर डाला,
इन्सान तेरे लालच ने।
कुदरत के बनाए पशु-पक्षी भी ना छोड़े,
इन्सान तेरे लालच ने।
हाथी के दांत तोड़े,
मयूर के पंख न छोड़े
मासूम से खरगोश की
नर्म खाल भी नोच डाली,
इन्सान तेरे लालच ने।
चंद खनकते सिक्कों की खातिर,
यह क्या जुल्म कर डाला।
सृष्टि की सुंदरता का अंत ही कर डाला
इन्सान तेरे लालच ने।
कितना भी मिल जाए फिर भी,
लालच वृद्धि करता प्रति पल।
सुंदर पक्षी ना शुद्ध पवन
कैसा होगा अपना कल।
लगा लगाम लालच पर अपने
सोच यही होगा इसका फ़ल।।
____✍️गीता

क्या पता ..

February 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

किस मोड़ पर मंज़िल
कर रही है इन्तज़ार,
क्या पता …
किस राह में हो जाए
दीदार-ए यार
क्या पता…
जीत एक रास्ता है,
हार एक अनुभव
है जीवन का।
कल क्या हो,
किसी को क्या पता…
____✍️गीता

वह एक मज़दूर है

February 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

भवन बनाए आलीशान,
फ़िर भी उसके रहने को
नहीं है उसका एक मकान।
झोपड़पट्टी में रहने को मजबूर है
हाँ, वह एक मज़दूर है।
मेहनत करता है दिन रात,
फ़िर भी खाली उसके हाथ।
रूखी- सूखी खाकर वह तो,
रोज काम पर जाता है।
किसी और का सदन बनाता,
निज घर से वह दूर है,
हाँ, वह एक मज़दूर है।
सर्दी गर्मी या बरसात,
चलते रहते उसके हाथ।
जीवन उसका बहुत कठिन है,
कहता है किस्मत उसकी क्रूर है।
हाँ, वह एक मज़दूर है।।
_____✍️गीता

एक अजन्मी की दास्तान

February 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुन्दर सपने देख रही थी,
अपनी माँ की कोख में।
मात-पिता का प्यार मिलेगा,
भाई का भी स्नेह मिलेगा
यह सब सुख से सोच रही थी,
सहसा समझ में आया कि
एक कैंची मुझको नोंच रही थी।
क्यों कैंची से कटवाया,
मुझको मेरी माँ की कोख में।
पूछ रही है एक अजन्मी,
एक सवाल समाज से।
मैं भी ईश्वर का तोहफा थी,
क्यों मेरे जीवन का अपमान किया।
तुम्हें एक वरदान मिला था,
क्यों ना उसका सम्मान किया।
अगर मैं जीवित रहती तो,
प्रेम से घर-आंगन महका देती।
तुम कभी दुखी होते तो माँ,पापा,
अपनी सरल सरस बातों से,
तुम्हारा जीवन चहका देती।
कुछ मैडल मैं भी ले आती,
चंद प्रमाण पत्र भी लाती मैं,
इस दुनिया में मात-पिता,
तुम्हारा नाम रौशन कर जाती मैं।
अफ़सोस मगर यह ना हो पाया,
क्यों मेरा आना ना भाया।
यह जान कभी ना पाऊंगी,
अलविदा! अभी जाती हूं मैं..
लेकिन किसी समझदार
और सौभाग्य वालों के माध्यम से,
मैं लौट कर वापिस आऊंगी।।
_____✍️गीता

माँ

February 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी माँ को छोड़ कर,
वृद्धाश्रम के द्वार पर।
जैसे ही वो बेटा अपनी कार में आया,
माँ के कपड़ों का थैला,
उसने वहीं पर पाया।
कुछ सोचकर थैला उठाकर,
वृद्धाश्रम के द्वार पर आया।
बूढ़ा दरबान देख कर बोला,
अब क्या लेने आए हो
वह बोला बस यह माँ का,
थैला देने आया हूं।
दरबान ने फ़िर जो कहा उसे,
सुन कर वह सह नहीं पाया,
धरा निकली थी पैर तले से
खड़ा भी रह नहीं पाया।
वह रोता जाता था,
भीतर बढ़ता जाता था
मां सब मेरी ही गलती है,
मन ही मन दोहराता था।
दरबान ने उसे जो बताया,
सुन कर उसका अस्तित्व हिला..
चालीस वर्ष पूर्व बेटा तू
मैडम को यहीं मिला।
6-7 माह का एक बच्चा,
सड़क किनारे रोता था।
उनसे नहीं कोई तुम्हारा नाता है,
वो जन्म देने वाली नहीं,
बस पालने वाली माता है।
जिसको यहां से उठाकर ले गई,
वह छोड़ उसे फ़िर यहीं जाता है।
तू ही जाने यह कैसा तेरा खेल विधाता है।
वो करती हैं काम यहां,
उनके जीवन में आराम कहां।
जिसको दिया सहारा कभी,
पढ़ा-लिखा कर बड़ा किया।
वह आज सारे नाते तोड़कर,
उसे बेसहारा छोड़ गया।
फ़िर उस बेटे को अफसोस हुआ,
आंखों से अश्रु-धार न थमती थी,
जिसने मेरी उंगली थामी,
मैं उसका हाथ छोड़ चला था,
आह! मैं क्या करने चला था।
वापिस जाकर माँ को लाया,
माँ ने उसको गले लगाया।
माँग कर माफी अपने कृत्य की,
तब जाकर उसने चैन पाया।।
____✍️गीता

फूलों की महफ़िल

February 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब फूलों ने मिलकर,
महफ़िल एक सजाई।
किस की सबसे सुन्दर रंगत,
और किस की महक मन भायी।
बेला चमेली और मोगरा ने महक कर,
वेणी खूब सजाई।
गेंदा और गुलाब ने,
मन्दिर में धूम मचाई।
हरसिंगार के फूलों ने,
किया श्री हरि व हरि-प्रिया का श्रृंगार।
पुष्प पलाश के लाए सखि,
होली के उत्सव की बहार।।
____✍️गीता

सागर और सरिता

February 23, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सागर ने सरिता से पूछा,
क्यों भाग-भाग कर आती हो।
कितने जंगल वन-उपवन,
तुम लांघ-लांघ कर आती हो।
बस केवल खारा पानी हूं,
तुमको भी खारा कर दूं।
मीठे जल की तुम
मीठी सी सरिता,
क्यों लहराती आती हो।
नि:शब्द हो उठी सरिता,
उत्तर ना था उसके पास,
बोली तुम हो कुछ ख़ास।
ऐसा हुआ मुझे आभास,
विशाल ह्रदय है तुम्हारा।
फैली हैं दोनों बाहें
देख, हृदय हर्षित होता है।
आ जाती हूं पार कर के,
कठिन कंटीली राहें।।
____✍️गीता

बसन्त का आगमन

February 22, 2021 in गीत

हवाओं ने मौसम का,
रूख़ बदल डाला।
बसन्त के आगमन का,
हाल सुना डाला।
नवल हरित पर्ण
झूम-झूम लहराए।
रंग-बिरंगे फूलों ने,
वन-उपवन महकाए।
बेला जूही गुलाब की,
सुगंधि से हृदय हर्षित हुआ जाए।
कोमल-कोमल नव पर्ण,
अपने आगमन से
जीवन में ख़ुशहाली का,
सुखद संदेशा लाए।
बीता अब पतझड़ का मौसम,
हृदय प्रफुल्लित हुआ जाए।।
_____✍️गीता

पारिजात के फूल

February 22, 2021 in गीत

पारिजात के फूल झरे,
तन-मन पाए आराम वहां।
स्वर्ग से सीधे आए धरा पर,
ऐसी मोहक सुगंधि और कहां।
छोटी सी नारंगी डंडी,
पंच पंखुड़ी श्वेत रंग की।
सूर्य-किरण के प्रथम स्पर्श से,
आलिंगन करते वसुधा का।
वसुधा पर आ जाती बहार,
इतने सुन्दर हैं हरसिंगार।
रात की रानी भी इनका नाम,
ये औषधीय गुणों की खान।
श्री हरि व लक्ष्मी पूजन में होते अर्पण,
इनकी सुगन्ध सौभाग्य का दर्पण।
कितनी कोमल कितनी सुंदर,
इन फूलों की कान्ति है।
इन के सानिध्य में आकर बैठो,
महसूस करो कितनी शान्ति है।
____✍️गीता

सूर्य कांत त्रिपाठी निराला

February 22, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

“बदली जो उनकी आंखें
इरादा बदल गया।
गुल जैसे चमचमाया कि,
बुलबुल मसल गया।
यह कहने से हवा की
छेड़छाड़ थी मगर
खिलकर सुगंध से किसी का,
दिल बहल गया।”
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की,
“बदली जो उनकी आंखें”
से ली गई चंद पंक्तियां
निराला जी की जन्म
२१ फरवरी १८९६ को,
हुआ मिदनापुर बंगाल में।
हाथ जोड़ शत्-शत् नमन है उनको,
२०२१वें साल में।
पिता,पंडित राम सहाय त्रिपाठी,
माता का नाम था रुक्मिणी।
एक पुत्री का नाम सरोज था,
१८वें साल में उनकी मृत्यु हुई।
उनकी याद में लिखी थी कविता,
नाम था सरोज स्मृति।
बहुत उच्च-कोटि के कवि रहे,
नाम उनका अमर रहे।
इन महान कवि को,
कोटिश नमन है मेरा
प्रणाम करूं मै हाथ जोड़
इनकी कविताओं से,
आया था एक नया सवेरा।
_____✍️गीता

मेरा मन

February 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी की सिसकियां सुनती थी अक्सर,
कोई दिखाई ना देता था।
देखा करती थी इधर-उधर,
व्याकुल हो उठती थी मैं,
लगता था थोड़ा सा डर।
एक दिन मेरा मन मुझसे बोला..
पहचान मुझे मैं ही रोता हूं,
अक्सर तेरे नयन भिगोता हूं।
मासूमों पर अत्याचार,
बुजुर्गों को दुत्कार,
वृद्धाश्रमों में बढ़ती भीड़,
नारियों की पीड़,
इन्हीं से दिल दुखी है
दुनिया में क्यों हो रहा है यह व्यवहार।
कब समाप्त होगा यह अत्याचार,
बस यही सोच-सोच कर हो जाता हूं दुखी,
कब तक होगा यह जग सुखी।।
____✍️गीता

शब्द-चित्र

February 21, 2021 in गीत

कहती है निशा तुम सो जाओ,
मीठे ख्वाबों में खो जाओ।
खो जाओ किसी के सपने में,
क्या रखा है दिन-रात तड़पने में।
मुझे सुलाने की कोशिश में,
जागे रात भर तारे।
चाँद भी आकर सुला न पाया,
वे सब के सब हारे।
समझाने आई फिर,
मुझको एक छोटी सी बदली
मनचाहा मिल पाना,
कोई खेल नहीं है पगली।
पड़ी रही मैं अलसाई,
फ़िर भोर हुई एक सूर्य-किरण आई।
छू कर बोली मस्तक मेरा,
उठ जाग जगा ले भाग,
हुआ है नया सवेरा।।
____✍️गीता

धरती-पुत्र

February 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मूसलाधार बारिश से जब,
बर्बाद हुई फ़सल किसान की
बदहाली मत पूछो उसकी,
बहुत बुरी हालत है भगवन्,
धरती-पुत्र महान की।
भ्रष्टाचार खूब फैल रहा,
काले धन की भी चिंता है।
मगर किसी को क्यों नहीं होती,
चिंता खेतों और खलिहान की।
अपनी फ़सलों की फ़िक्र लेकर,
हल ढूंढने निकला है हलधर
लेकिन सबको फ़िक्र लगी है,
अपने ही अभिमान की।
मूसलाधार बारिश से जब,
बर्बाद हुई फ़सल किसान की
बदहाली मत पूछो उसकी,
बहुत बुरी हालत है भगवन्,
धरती-पुत्र महान की।
भरे पेट जो सभी जनों का,
माटी से फ़सल उगाता है।
क्यों नहीं करते हो तुम चिंता,
उसके भी सम्मान की।
संपूर्ण नहीं है कोई देश,
बिन गांव और किसान के
अफ़सोस, अन्नदाता ही फांसी खाता,
कुछ चिंता कुछ फ़िक्र करो,
धरती-पुत्र की जान की।
मूसलाधार बारिश से जब,
बर्बाद हुई फ़सल किसान की
बदहाली मत पूछो उसकी,
बहुत बुरी हालत है भगवन्,
धरती-पुत्र महान की।।
____✍️गीता

शिक्षा का महत्व

February 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

वह पढ़ना चाहता है
जीवन से लड़ना चाहता है।
आगे बढ़ना चाहता है
किंतु क्या रोक रहा उसको,
कोई टोक रहा उसको
बाप कहे कुछ कर मजदूरी,
ऐसी भी क्या है मजबूरी
चंद सिक्कों की खातिर,
कौन कर रहा बचपन पर अत्याचार है,
शिक्षा तो उसका अधिकार है।
कोई इन्हें समझाए,
यदि ये बच्चे शिक्षित हो जाएं,
तो तुम्हारे ही घर का उद्धार है।
देश का भी हित होगा,
फिर क्यों इनका अहित हो रहा।
मैं समझाती रहती हूं,
अक्सर मिलती मुझको हार है।
कैसे समझाया जाए इनको,
शिक्षा का महत्व
यही सोचती “गीता” बारम्बार है।।
_____✍️गीता

मेहनत के रंग

February 21, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो बूढ़ी थी, गरीब थी
भीख नहीं मांगी थी उसने,
पैन बेच रही थी राहों में
मेहनत का खाने की ठानी,
मेहनत का ही खाती खाना
मेहनत का ही पीती पानी।
कहती थी यह पैन नहीं है,
यह तो है किस्मत तुम्हारी
खूब पढ़ना लिखना बच्चों
बदलेगी तकदीर तुम्हारी।
बदलेगा फिर भारत सारा,
बदलेगी तस्वीर हमारी।।
____✍️गीता

*नेत्रदान*

February 20, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अंधा ना कहो आँखों वालों,
मुझे नेत्रहीन ही रहने दो।
आँख नहीं ग़म का सागर है,
कुछ खारा पानी बहने दो।
तुम क्या समझो आँखों का न होना,
एक छड़ी सहारे चलता हूं।
अपने ही ग़मों की अग्नि में,
मैं अपने आप ही जलता हूं।
कभी सड़क पार करवा दे कोई,
मैं उसे दुआएं देता हूं।
देख नहीं पाता हूं बेशक,
महसूस सदा ही करता हूं।
यह दुनिया कितनी सुंदर होगी,
चाँद, सितारे सूरज इनके बारे में सुनता हूं।
कभी देख पाऊं इनको मैं,
ऐसे ख्वाब भी बुनता हूं।
सुना है करने से नेत्र दान,
दुनियां देख सके एक नेत्रहीन।
क्या तुम भी करोगे नेत्रदान
मैं भी देख सकूं इस संसार को,
दूंगा ढेरों दुआएं तुम्हें
और तुम्हारे परिवार को।।
____✍️गीता

प्रदूषित पवन

February 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज फ़िर चाँद परेशान है,
प्रदूषण में धुंधली हुई चाँदनी
तारे भी दिखते नहीं ठीक से,
आज आसमान क्यों वीरान है।
आज फिर चाँद परेशान है।
प्रदूषण का असर,
चाँदनी पर हुआ
चाँदनी हो रही है धुआं-धुआं।
घुट रही चाँदनी मन ही मन,
यह कैसी है अशुद्ध सी पवन
दम घोट रही सरेआम है,
आज चाँद फ़िर परेशान है।
प्रदूषित पवन में विष मिले हैं,
यह सुनकर सभी हैरान हैं।
चाँदनी ले रही है सिसकियां,
आज चाँद फ़िर परेशान है।।
_____✍️गीता

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