अभिमान

इतना घमंड क्यों भरा है इन्सान में मत जियो अभिमान’ में। नफरत की बेल इतनी क्यों चढ़ा रखी है कांटों की सेज क्यों बिछा रखी…

चांद की गोद में

ये वादियां ये फिजाएं क्यों बुलाती हैं मुझे जाने क्यों इतनी मोहब्बत जताती हैं मुझे। इन फिजाओं में लिपटी हुई मोहब्बत है मेरी दुआओं में…

चादर

सपनों की धूप में हम अपनी चादर सुखा रहे थे तेरे दिखाये हुए रास्ते में हम फूल बिछा रहे थे तेरी बेचैनी बढ़ गई थी…

शबनम

सबसे छुपा कर रखा है तुझको तू किसी और का ना हो जाये डर लगता है मुझको धूप की चादर हो चाहे शबनम की फुहार…

शिकायत

शिकायतों के पुलिंदे……. ……….अगर खोलना चाहोगे ? उस हुजूम में ……….. …….सबसे आगे मुझको पाओगे

शायरी।।

इन नशीले नैनों से सम्मोहित करके कत्ल कितनों के किए होंगे तुमनें…. हादसों का शिकार हो गया मेरा प्यार भी किसी और का हो गया

रोको मत

मत रोको !!!! जाने वाले को जाने दो 🤗 उसको भी अपनी औकात समझ में आ जाएगी।❣ लौट के फिर वो आएगा आपके पास…. ….जब…

Khayal

उसके होंठों को जब तुमने प्यार से चूमा होगा । ❤ खयाल एक पल को मेरा भी तो आया होगा । ❤

रिश्ते

लओट कर ना आया,ओ रहबर – रहगुजर मेरा, त उमर रहा,तनहा सफर मेरा, हर रिश्ते फरेब देते रहे मुझे,ज़िन्दगी के हर मोड़ पर, बेवजह नेछावर…

शायरी

खूबसूरत है वो ऊपर से उसकी सादगी जुबान से मोती गिरते हैं फिर भी वो हमसे प्यार करने की वजह पूछते हैं

आधार

आधार मेरी ज़िन्दगी का तू है मेरी सुबह और शाम तू है कैसे जिएंगे तेरे बिन जब मेरी आखरी साँस भी तू है

तू ना बदला…

लगी थी आस तुम आओगे मेरी आवाज सुनकर तड़प उठोगे मेरी हालत देखकर मुस्कुराओगे ख्व़ाब बुनकर। ऐसा कुछ ना हुआ तू ना बदला….. जैसा था…

हाव भाव

उन्हें खुद लिखना आता है तब भी भाव नहीं समझते हैं भावनाओं से परे हैं हाव भाव नहीं समझते हैं लाख कोशिश करें हम उनके…

आधारहीन

आधारहीन भावनाओं का कोई अस्तित्व नहीं होता… आग में कूदी हुई किस्मत का कोई वर्चस्व नहीं होता…

कभी कभी

कुछ लोगों से बात करके बहुत सुकून मिलता है एक अजब सा एहसास होता है दिल में मचलता है और मिलने को तड़प उठता है…

Love -2

Part -2 ❤ तुमने मेरे दिल को और रुलाया है मुझे प्रेम का पुष्प मसलकर आसमान से गिराया है मुझे। तुमने रूहानी इश्क को जिस्मानी…

Love -1

Part-1❤ आज सबूत माँग रहे हो कि तुमसे कब, कहाँ और कैसे प्यार किया ?? पहचानने से इनकार कर दिया मुझे ! और कर ही…

सबूत

बड़ा सबूत माँगते हो मेरी शख्सियत का। खुदा ने तो मेरे कदमों में जन्नत भी रख दी है।

एक अजनबी

आज एक अजनबी से मुलाकात हुई उसकी एक मुस्कान हृदय की शिराओं को झकझोर गई…. अन्दर एक प्रकाश का ज्वार फूटा! लौ जली, उसकी चितवन…

Damini

बदन पर साड़ी लपेटकर कितनी सुंदर लग रही है ये हुस्न देखकर दामिनी भी नतमस्तक हो रही है

उस तक बात

उस तक बात नहीं पहुँचती आजकल ब्लॉक है सब जगह बात हुए अरसा हो गया कभी कभी देखता हु सपनो मे वही मेरा औकात है…

तलवार।

वह कैसी तलवार कि जिसमें धार नहीं है कौन कहेगा सिन्धु जहाँ मझधार नहीं है, सिर्फ ताप के लिए जले वह ज्वाला कैसी आँखों से…

सन् 1857 की महाक्रांति के योद्धा, हरियाणा के राजनायक राजा राव तुलाराम पर कविता –

( सभी कवि एवं पाठको को मेरा नमस्कार , आज 10 महीने बाद इस वेबसाइट पर आने का अवसर मिला है , एक वीरता पूर्ण…

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