भारत चीन तकरार

करारा जवाब मिलेगा, अभिनंदन अपने पास होगा जब पाकिस्तान का बात होगा, 56″ इंच का साथ होगा, युद्ध जब चीन से होगा, जवानों का बलिदान…

सैनिक

प्रिय सैनिक, जो तुम हो तैनात सीमाओं पर, तो हम हैं निश्चिंत घरों घर। है तुम्हारी रडार सी पैनी नजर , तो हमारे नैनो में…

जागो हे भरतवंशी

जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…

कविता

तुम रहे हमेशा आगे ऐसे तूफान भी न छू पाए तुम्हारे देश के एक- एक कण को……. कोई अपना बनाकर न ले जाए….. जान हथेली…

ललकार

देखो चली नौजवानो की टोली। खेलेंगे लाल फिर लहू की होली।। चारो दिशाओं में गूंज रहा है। इंक़िलाब जिंदाबाद की बोली।। अग्निपथ पे चल पड़े…

जागो

आज फिर ए वीर, इम्तहान की घडी आई है। जागो ए सपूत, माँ फिर बेटा कह के बुलाई है।। उठा के बंदूक हाथ में शरहद…

सोचता हूँ….

सोचता हूँ, क्यों ये बंदूकें है तनी? उन जीवों पर जो दिखते हूबहू हम जैसे, नेताओं के कठपुतले बन, मात्र खून के कतरे है बहे।…

आज़ादी

लगा के निशाना दुश्मन पे, अपनी ताक़त दिखा देंगे। ज़ुल्म के सिन्हा चीर कर, वतन को आज़ाद कर देंगे।।

जंग

सिर पे कफ़न बांध चले हम, ईट के जवाब पत्थर से देने। देखे किस में कितना है दम, चले बस हम यही आजमाने।।

दम

जब जब ज़ुल्म कीआंधी हमारे देश में आयी। तब तब हम प्रहरी अपने देश की लाज बचायी।। निशाना हमारा चूक जाए ऐसा कभी हुआ नहीं।…

नारी शक्ति

मैं पुत्र उस नारी की जिनकी आंखों में पीड़ा देखी , उजागर करता हूं उन पीड़ा का……….। जनमानस से भरा जिसने धरती को , घर…

मजदूर

हमारा कसूर क्या था आखिर क्यों मजदुर हुए हम दर दर भटकने पर मजबूर हुए हम इस महामारी से तकरार है रोजी रोटी की दरकार…

आ अब लौट चले

अब छोड़ चले हम परदेश । जब से लगी किस्मत में ठेस ।। घर परिवार में मिल जायेंगे । वहीं पे रूखी सुखी खायेंगे।। एक…

मजदूर की व्यथा

कोरोना नामक महामारी हमारे देश में है आई इस महामारी ने पूरे प्रशासन में हड़कंप है मचाई। सरकारों ने महामारी से निपटने के लिये कई…

फिर आएँगे

कह चले हैं अलविदा उन शहरों को जिनमें हम कमाने-खाने आए थे, महामारी में बचे रहे तो.. फिर आएँगे l मजदूर हूँ, हुनर हाथों में…

नमस्कार

कवि /कवित्रियों की वेब गोष्ठी को पूनम का प्रणाम🙏 आप अनुभवी गानों में एक कविता प्रस्तुत करने का साहस कर रही हूंँ आपके स्नेह और…

“खिड़कियों से झांकती आँखें”

कितनी बेबस हैं लोह-पथ-गामिनी (रेलगाड़ी) की खिड़कियों से झांकती 👁आंखें। इन आंखों में अनगिनत प्रश्न उपस्थित हैं। कितनी आशाएं कीर्तिमान हो रही हैं । अपने…

बेहाल मजदूर

आया ‘कोरोना वायरस’ सबसे ज्यादा हम बेहाल हुये। सच कहता हूँ हम मजदूरों के बहुत ही बुरे हाल हुये। छूटा रोजगार तो, दाल रोटी के…

दिल हार गया

गये थे परदेश दो वक्त के रोटी कमाने। क्या पता था करोना आएगा दिल जलाने।। दिल में सपने ले के, चले थे हम परदेश ।…

प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूर मजदूर हूं, मजबूर हूं, कैसी है तड़प हमारी, या हम जाने, या रब जाने, आया कैसा चीनी कोरोना, ले गया सुख-चैन हमारा, जेब…

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