मन के घाव

मन के घाव भी भरने जरूरी हैं तेरे-मेरे नैन भी मिलने जरूरी हैं आकाश से धरती के जो हैं फासले तय हैं बरस कर बूंद…

कार्तिक पूर्णिमा और देव-दीपावली

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दीपावली मनाते हैं सारी अप्सराएं नृत्य करती हैं इन्द्रदेव झूमते जाते हैं पूंछा मैंने माँ से एक दिन; क्यों देव दीपावला…

“अनाथ आश्रम”

अनाथ आश्रम ★★★★★★★ मेरे माँ-बाप कैसे होंगे यही सवाल अक्सर मस्तिष्क में गूंजता रहता है अक्सर मुझे वो काकी याद आ जाती हैं जिन्होंने मेरी…

लावारिस बचपन

लावारिस बचपन ************** सड़कों पर भटक-भटक कर है कैसे बचपन बीता, और नहीं खाने को है एक निवाला मिलता… जाने कहाँ हैं मेरे माँ-बाप नहीं…

*शिल्पकार*

कवि नहीं शिल्पकार हूँ मैं ! एक ऐसा कवि, जो कागज पर अपनी भावनाओं भरी कलम से शब्दरूपी नक्काशी करता है.. जिसकी सुंदरता सिर्फ नेत्रों…

*आख़री खत*

वो मीठी बातें और मुलाकातें करते थे हम रात भर जो प्यार भरी बातें तुम जाने कितने तोहफे मुझे दिया करते थे, हर तोहफे में…

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