**खुदखुशी**
चोरी से चुपके से तुम सब कुछ देखा करते हो मैं जानती हूँ तुम ऑनलाइन भी रहते हो जाने क्या बैठ गया है तुम्हारे मन…
चोरी से चुपके से तुम सब कुछ देखा करते हो मैं जानती हूँ तुम ऑनलाइन भी रहते हो जाने क्या बैठ गया है तुम्हारे मन…
अगर राधा ना होती तो श्याम से प्रीत कौन करता ? अगर मीरा ना होती तो भक्ति के पद कौन गाता फिरता ? यही तो…
तू जब हुआ करता था मेरे करीब तो एक अलग एहसास हुआ करता था आज जब दूर है मुझसे तो कोई एहसास ही नहीं होता…!!
कोशिश बहुत करता है वो मुझे तोड़ने की, मगर मैं वो चट्टान हूँ जो पिघल तो सकती है मगर टूट नहीं सकती…
अभी तक अस्तित्व पर ना कोई सवाल उठा था जो देखता था मुझको बस वाह ! करता था मेरी खुशियों की झोली बहुत थी भारी…
मैं नन्हीं-मुन्हीं बच्ची हूँ अकल की थोड़ी कच्ची हूँ मां अपनी गोदी में सुला ले मैं तो तेरी बच्ची हूँ थक जाती हूँ खेल-खेलकर सब…
तमाशा नहीं जिन्दगी हकीकत है, जी लो जी भर के कल किसको फुर्सत है… रोज़ लड़ते हो तुम धन-दौलत के पीछे, उतना ही कमाओ जितनी…
रात को ये कैसे-कैसे ख्वाब आते हैं ! तेरे खयाल मेरी रूह को छू जाते हैं बिस्तर ये जाने क्यूँ काटने को दौड़ता है !…
रात-दिन रतजगे किये हैं हमने इश्क में हम तो अपने यार की धूनी रमते हैं इश्क में…. लौटकर वो आएगा ये सोंचकर अभी खड़े जहाँ…
गलतफहमियों में जीना अच्छा लगता है….. मुझको तेरा हर एक बहाना अच्छा लगता है….. कभी तू रोये कभी तेरी बातें मुझे रुलायें मुझको तेरा इठलाना…
जरा-सा मजाक हमने क्या कर दिया आप तो रूठ गये.. जरा-सी तवज्जो हमने क्या दी आप तो रूठ गये.. कितना हुनर बख्शा है आपको ऊपर…
तुम अपने हो तभी शिकायत कर देती हूँ जो मन में आता है कह देती हूँ तुम्हें हरगिज बुरा लगता है यह भी जानती हूँ…
तुम कितनी भोली हो बाला तेरा कितना रूप निराला मीठी-मीठी बातों से तुम मुझको रोज रिझाती हो सुबह होते ही तुम जाने कहाँ गुम हो…
बैंगनी चूड़ियां ************** तुमने पहली मुलाकात में जो भेंट की थी बैंगनी चूड़ियां उनकी खनक आज भी कानों में गूंजती है जब टूटा था हमारा…
आधुनिक नारी ने तोड़ दी हैं गुमनामी की जंजीरें बढ़ाई है अपनी ताकत अपनी मेहनत से पाया है बुलंदियों का आसमां कभी खैरात में नहीं…
तिरस्कृत महिला **************** तिरस्कार मनुष्य को जीवित ही मार देता है ये वह जहर है जो धीरे- धीरे असर करता है शेक्सपियर भी कह गये…
कल रात चाँद ने कहा मुझसे कुछ तो परेशानी है तुम्हें जो रोज़ चले जाते हो तुम समुंदर किनारे… जब रात को सब सो जाते…
तुम्हारी मौजूदगी और मेरी तड़प थक गई हूँ अब मैं एक जगह रुककर, तुम जब आते हो दिल का दर्द क्यों बढ़ जाता है? रूबरू…
हम समझते थे इस चमन को अपना सदा और करते थे प्रीत इसकी धूल से गुजारते थे शाम इसकी गोद में घास पर बैठकर स्वर्ग…
तुम्हारी बेरुखी को प्यार समझूं या खता समझूं तू ही बता ना आखिर क्या समझूं ? सामने आकर भी मुह फेर लेते हो बेबसी समझूं…
बन पाता है जो मुझसे उतना योगदान मैं देती हूँ जितनी मेरी क्षमता है उतनी ही सेवा करती हूँ| थक जाती हूँ जब मैं ज्यादा…
द्वार पर खड़ी हूँ भीख दे दो सीख नहीं कुछ अन्न-जल दे दो तेरे बाल- बच्चे सलामत रहें, घर-द्वार फूले-फले, बड़ी भूंख लगी है कुछ…
गुलाबी सर्द रातों में तुम्हारी याद आती है तैरते हैं जब सितारे आसमान की गोद में, बिछा लेता है चाँद जब हिमालय पे बिस्तर और…
हर सुबह होती है मुस्कुराते हुए रात होते-होते आँख भर आती है जिन्दगी की उलझनों में उलझती हूँ ऐसे कि जिन्दगी की शाम हो जाती…
भाई दूज स्पेशल:-💟💟 ******************** जब मैं छोटी थी तो तू ही था जो उंगली पकड़ता था मेरी गिरती थी तो तू संभाल लेता था हाँ,…
भाई दूज का दिन है बहनों प्यार लुटाओ प्यारे-प्यारे भाई को अपने हाथों से मिष्ठान खिलाओ… भाई-बहन के प्रेम का परिचय देता है यह त्योहार…
आजकल फुर्सत नहीं होती है जिंदगी बेवक्त मशरूफ रहती है… त्योहार का मौसम है मगर जाने क्यूं ! होंठों पर खामोशी पसरी रहती है….. है…
बचकर चलो रे राही! घर के बाहर मौत खड़ी संभल चलाओ गाड़ी घर के बाहर मौत खड़ी…. हेलमेट लगाकर बाहर निकलो सीटबेल्ट भी बांध के…
एक माटी का दीपक सिखा गया खुलकर हँसना, हँसकर जीना, जीकर अपना सपना पूरा करना एक माटी का दीपक सिखा गया….. बोला प्रज्ञा ! मत…
मुझको तो बस तन्हाई में ही जीना है सिसक-सिसक कर रहना है घुट-घुट आँसू पीना है कोई ना समझा मेरी पीर को तो तुम क्या…
टिमटिम करता देखो दीपक बच्चों इसे सजा दो अपने घर के हर कोने को रोशन आज बना दो बाल दिवस है प्यारे बच्चों आज तुम्हारा…
नम हैं लोचन तिमिर के चारों तरफ फैला उजाला चीरता तम को चला कौमुदी से भरा प्याला रात बैठी गगन में देख अचरज चकित थी…
सुबह होने में अभी कुछ रात बाकी है सो जाने दो मुझको जरा कुछ रात बाकी है…. मुझको टूटकर बिखरने में लगेगा कुछ और वक्त…
आई शुभ दीवाली देखो आई शुभ दीवाली टिमटिम करते देखो दीपक आई शुभ दीवाली धनतेरस को खूब खरीदा हमनें सोना-चाँदी सज-धज देखो लक्ष्मी माँ आई…
चाइनीज झालर नहीं दीये जलाओ किसी गरीब के घर रोशनी करके दीपावली मनाओ झुग्गी, झोपड़ी वालों के भी अरमान होते हैं किसी एक के घर…
जिन्होंने दूर अनेकों रोग किये औषधियों पर कितने शोध किये उन धन्वन्तरि को नमन करती है प्रज्ञा जिन्होंने लाखों तन नीरोग किये..
पी लेती हूँ घूंट जहर का अमृत का अरमान नहीं जो समझे मेरे मन को ऐसा कोई इंसान नहीं दीप जले सपनों के कई पर…
भाग्य कहाँ ले जाता है और कहाँ मैं जाती हूँ ! प्रीत के बदले प्रीत लुटाती प्रीत नहीं मैं पाती हूँ.. जीत सके जो मेरा…
गर पढ़ते हो जिस्म मेरा तो सुन लो क्या तुम इस लायक हो! दर्द दिया करते हो मुझको चैन नहीं आने देते पढ़ते हो बस…
पटाखे ना जलाओ मित्र दीपों को जलाओ अपने मन के अन्धकार को मिटाओ राम आये अवध में तो हे देशवासियों ! अपने क्षेत्र को दीपों…
पहले रहती थी खिलखिलाती मुस्कुराती मैं कली फिर आया एक भंवरा मेरे सम्मुख हे अली ! पी लिया उसने मेरे जीवन का सारा रस अली…
जो बंदे बकरा-मुर्गा काट छौंककर खाते हैं वो मानुष भगवान के घर में उल्टा लटकाए जाते हैं निर्जीवों का तो इस जग में कोई मान…
वो छोटे-छोटे मासूम से थे कमरे में मेरे बैठे थे मैं गई रात को देर से थी उस समय थोड़ी-सी सर्दी थी फिर देखा मैंने…
जाने क्यूँ तुम मुझे इतना चाहते हो ना चाहते हुए भी प्यार जताते हो हम किसी और की अमानत हैं साहब! क्यों हम पर इतना…
मैं पैदा हुआ तो था कुछ अजीब फूटा हुआ था मेरा नसीब शंकर-पार्वती का मिश्रित रूप हूँ मैं चुप रहो अर्धनारीश्वर हूँ मैं बचपन से…
वो उठा ले झाडू तो सबकी शामत आ जाती है मेरे पूरे दिन की मेहनत ना रास किसी को आती है हाथ में उसके पानी…
यूं नजरों से ना देख मुझे रूह में झांक कभी मैं क्या हूँ उसका परिचय तू पाएगा तभी रूप तो मेरा उजला-उजला बस दिल थोड़ा-सा…
सब मुझे देख रहे थे ऐसे जैसे मैं कोई चीज बिकाऊ कुर्सी, मेज खरीदने जैसे वो कर रहे थे भाव-ताव क्या मेरा कोई स्वाभिमान नहीं…
सब मुझे देख रहे थे ऐसे जैसे मैं कोई चीज बिकाऊ कुर्सी, मेज खरीदने जैसे वो कर रहे थे भाव-ताव क्या मेरा कोई स्वाभिमान नहीं…
माँ मुझे बुला लो कुछ दिन अपने पास यहाँ कुछ भी अच्छा नहीं लगता प्यार तो सब करते हैं पर फिर भी कुछ नहीं जचता…
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